सफाई में किस स्थान पर है आपका शहर, जानिए मोबाइल एप से

Update:2017-05-18 15:26 IST

नई दिल्ली: आप अपने शहर में साफ-सफाई से खुश हैं और चाहते हैं कि यह बात पूरे देश के लोग जानें तो इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है अपने स्मार्टफोन पर स्वच्छता अभियान के तहत सरकार की ओर से शुरू किए गए एप को डाउनलोड करना। हाल ही में देश भर के शहरों की स्वच्छता के आधार पर रैंकिंग जारी की गई और आंकड़ों से पता चला है कि इस रैंकिंग को तय करने में नगर निगमों के दावों और स्वतंत्र जांच की अपेक्षा नागरिकों की भागीदारी ने कहीं अधिक प्रभावित किया।

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शहर विकास मंत्रालय द्वारा जारी स्वच्छ सर्वेक्षण-2017 रिपोर्ट से 20 शहरों के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर यह खुलासा हुआ। सरकार द्वारा शुरू किए गए इस मोबाइल एप 'स्वच्छता एमओयूडी' के जरिए ही सरकार ने इस स्वच्छता रैंकिंग को तैयार करने में नागरिकों की भागीदारी का मूल्यांकन किया। स्वच्छता रैंकिंग के लिए जनभागीदारी के लिए तय किए गए 600 अंकों में इस एप के जरिए अधिकतम 150 अंक निर्धारित किए गए थे।

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इंडियास्पेंड ने रिपोर्ट में शामिल जिन 20 शहरों के आंकड़ों का विश्लेषण किया उनमें 13 शहरों को जन भागीदारी के लिए स्वच्छता एप उप-वर्ग में 85 या उससे अधिक अंक मिले। इन 13 शहरों में से नौ शहरों ने वार्षिक स्वच्छता रैंकिंग में पिछले वर्ष की अपेक्षा औसतन 10 पायदान की छलांग लगाई।

वहीं अन्य जिन सात शहरों को जन-भागीदारी के लिए 80 से उससे कम अंक मिले और वे वार्षिक स्वच्छता रैंकिंग में औसतन 36 पायदान फिसले।

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समाचार-पत्र 'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' ने नई दिल्ली स्थित विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र में उप महानिदेशक चंद्र भूषण के हवाले से लिखा है, 'सर्वेक्षण की प्रविधि की गंभीरता से समीक्षा करने की जरूरत है, क्योंकि यह पर्यावरण संरक्षण के विपरीत काम करने वाले शहरों को उत्साहित करने वाला है और पर्यावरण संरक्षण की ओर बदलते मिजाज और स्थानीय समाधानों को अपनाने वाले शहरों को हतोत्साहित करने वाला है।'

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समाचार पत्र 'हिंदुस्तान टाइम्स' में सात मई, 2017 को प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरों की स्वच्छता के आधार पर रैंकिंग तैयार करने में इस्तेमाल की गई प्रविधि में खामियां हैं, जैसे नगर निगमों द्वारा किए गए दावों पर अत्यधिक भरोसा करना, तय मानकों के आधार पर नतीजे निकालने में गलती और जनभागीदारी के आंकड़ों में छेड़छाड़ की संभावना शामिल है। शहर विकास मंत्रालय हर साल देश के शहरों की साफ-सफाई के आधार पर रैंकिंग जारी करता है। पिछले वर्ष जहां स्वच्छता सर्वेक्षण में 73 शहरों को शामिल किया गया था, वहीं इस साल 434 शहरों को शामिल किया गया।

सरकार ने इस वर्ष स्वच्छता सर्वेक्षण की अंक प्रणाली में भी बदलाव किया और नगर निगम के लिए निर्धारिक अंकों में से 100 अंक जनभागीदारी के लिए तय कर दिया।

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जनभागीदारी में भी दो हिस्से हैं। पहला ऑनलाइन, टेलीफोन के जरिए, सोशल मीडिया के जरिए या मोबाइल एप के जरिए। एप के जरिए जनभागीदारी के हिस्से 150 अंक तय किए गए हैं, जो सर्वेक्षण के लिए निर्धारित कुल 2,000 अंक का 7.5 फीसदी है। इस एप को शहरी निकायों में स्थानीय कचरा प्रबंधन से जुड़ी समस्याओं पर नागरिकों को अपनी राय रखने के लिए शुरू किया गया था और गूगल प्ले स्टोर के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक इस एप को देशभर में 10 लाख लोग डाउनलोड कर चुके हैं। गौरतलब है कि भारत में 36.75 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, जबकि देश की शहरी आबादी 37.7 करोड़ से अधिक है। इस एप के जरिए कोई भी नागरिक अपने इलाके में कचरे के ढेर की तस्वीर खींचकर अपलोड कर सकता है और कचरा प्रबंधन की कुव्यवस्था का मसला उठा सकता है। खींची गई तस्वीर को एप उसकी जगह के हिसाब से संबंधित नगर निगम को भेज देता है। नागरिक एप पर अपनी शिकायत पर हुई कार्रवाई में प्रगति पर नजर रख सकते हैं।

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सर्वेक्षण के लिए तीसरे मानक- स्वच्छता कार्य का सीधे इलाके में जाकर आंकलन करना - के लिए पहले की ही तरह 500 अंक रखे गए। इस स्वच्छता सर्वेक्षण-2017 में गुजरात और मध्य प्रदेश देश के सबसे स्वच्छ शहरों में उभरकर आए। स्वच्छता रैंकिंग में शीर्ष-50 में शामिल सर्वाधिक शहर इन्हीं दो राज्यों के रहे। शीर्ष-50 स्वच्छ शहरों में गुजरात के 12 और मध्य प्रदेश में 11 शहर शामिल रहे। स्वच्छता से संबंधित सरकारी दस्तावेजों और निरीक्षणों के अंक जहां शहरों की रैंकिंग को बदलने में खास कारक साबित नहीं हुए, वहीं जनभागीदारी से जुटे अंक शहरों की रैंकिंग को सीधे-सीधे प्रभावित करने में सफल रही। इस विश्लेषण में शामिल 20 शहरों में इस वर्ष रैंकिंग में शीर्ष पर रहे 10 और बीते वर्ष रैंकिंग में शीर्ष पर रहे 10 शहरों के अलावा स्वच्छता रैंकिंग में सर्वाधिक सुधार करने वाले शहर शामिल हैं।

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पिछले वर्ष की रैंकिंग से बाहर रहा तिरुपति इस वर्ष नौवें स्थान पर रहा, जिसे एप के जरिए जनभागीदारी के लिए 150 में 135 अंक मिले। पहले स्थान पर रहा इंदौर और दूसरे स्थान पर रहा भोपाल ने क्रमश: 24 और 19 स्थानों की छलांग लगाई। इंदौर को जहां एप जनभागीदारी के लिए 120 अंक मिले, वहीं भोपाल को 130 अंक मिले। पिछले वर्ष शीर्ष-10 में शामिल रहे चंडीगढ़, राजकोट, पिंपरी-चिंचवाड़ और ग्रेटर मुंबई की रैंकिंग में क्रमश: नौ, 11, 19 और 63 पायदान की गिरावट आई। इन शहरों को इस वर्ष एप पर जनभागीदारी के लिए 30-80 के बीच अंक मिले। पिछले वर्ष आठवें स्थान पर रहे गंगटोक को एप के जरिए जनभागीदारी के लिए कोई अंक नहीं मिला और इस साल उसे 50वीं रैंकिंग मिली। इस वर्ष जारी स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट इस बात का कोई उल्लेख नहीं किया गया है कि पिछले वर्ष शीर्ष-10 में रहे शहरों की रैंकिंग में गिरावट क्यों आई, शीर्ष पर रहे इंदौर में स्वच्छता की दिशा में क्या पहल किए गए।

(आंकड़ा आधारित, गैर परोपकारी, लोकहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत)

सौजन्य: आईएएनएस

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