सृजन : कुछ अल्फाजों को अपने मैंने ताले में बंद रखा है, सब्र टूटे न.....

Update: 2018-07-17 11:55 GMT

( चारू खरे )

कुछ अल्फाजों को अपने मैंने ताले में बंद रखा है

सब्र टूटे न कहीं मेरा बस इसीलिए हसरतों को खामोश कर रखा है

दहलीज से न उतरे दिल काश कोई ऐसा किनारा मिल जाए

दे दे मुझे तू तुझमें थोड़ी सी जगह

तो शायद इस गरीब को ठिकाना मिल जाए

बेपनाह मोहब्बत ने मुझे बेपरवाह सा कर रखा है

ऐ ज़िन्दगी बता इतना, उसकी इबादत कर मैंने कौनसा गुनाह कर रखा है

एक अरसे बाद जैसे किसी के ख्वाब ने मेरा सुकून छीना है

मिले न मिले वो, मैंने खुदको उसके नाम कर रखा है

जब उतरने लगूँ धड़कन से तेरी तो इशारा कर देना

साथ हो छोड़ना तो एक झूठा सा सही पर एक प्यारा बहाना कर देना

सारे अपनों को आजकल मैंने बेगाना कर रखा है

शायद एक गैर से दिल लगाकर खुद को भी भुलाए रखा है

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