Election Commissioner: देश में इलेक्शन कमिश्नर कैसे चुना जाता है ? सुप्रीम कोर्ट ने क्यों जताया एतराज़?
Election Commissioner: इलेक्शन कमिश्नर अरुण गोयल की नियुक्ति का मामला चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े किए हैं. इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं कि चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति?
Election Commissioner: एक दिन पहले ही VRS लेकर इलेक्शन कमिश्नर का ओहदा संभालने वाले अरुण गोयल की नियुक्ति का मामला चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सवाल उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने जुमेरात को केंद्र सरकार से सवाल किया कि पूर्व आईएएस अफ़सर अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त के तौर पर सुपर फास्ट नियुक्ति की इतनी जल्दी क्यों थी, जबकि चुनाव आयुक्त जैसे बड़े ओहदे पर चुनाव को लेकर पहले से ही सरकार का एतराज़ रहा है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से गुरुवार को अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल मांगी. कोर्ट का कहना है, चुनाव आयुक्त के भर्ती की फाइल बहुत तेजी से पास की गई है. हम उनकी योग्यता पर नहीं, उनकी भर्ती के अमल पर सवाल उठा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बैंच ने केंद्र सरकार से कहा कि वो बस यह देखना चाहते हैं कि इस नियुक्ति में कोई हैंकी पैंकी यानी गड़बड़झाला तो नहीं हुआ है. बैंच ने कहा कि हम तो बस ये जानना चाहते हैं कि नियुक्ति के लिए क्या प्रोसेस अपनाया गया है? अगर यह नियुक्ति कानूनी तौर पर सही है, तो घबराने की क्या जरूरत है?
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों उठाए सवाल?
1985 बैच के IAS अरुण गोयल ने 18 नवंबर को उद्योग सचिव ओहदे से VRS ले लिया था. इसके बाद 31 दिसंबर को उनके रिटायरमेंट की तारीख थी, लेकिन 19 नवंबर को ही उन्हें इलेक्शन कमिश्नर तक़रुर कर दिया गया. 21 नवंबर को उन्होंने ओहदा भी संभाल लिया. इतनी तेजी से इनकी नियुक्ति की फाइल आगे बढ़ने पर ही सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए. अरुण गोयल की नियुक्ति पर अर्ज़ीग़ुज़ार की जानिब से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने सवाल उठाते हुए कहा कि जिन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है, वह गुरुवार तक केंद्र सरकार में सचिव स्तर के अधिकारी थी. अचानक से उन्हें वीआरएस दिया जाता है और एक दिन में ही उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया जाता है. भूषण ने सवाल उठाया कि केंद्र सरकार एक ही दिन में नियुक्ति कर देती है और कोई नहीं जानता कि इसके लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई? इस पर जस्टिस जोसेफ ने भी कहा कि किसी व्यक्ति को वीआरएस लेने में तीन महीने लगते हैं. इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने एक स्वतंत्र चयन पैनल का गठन के निर्देश की मांग करने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को अपना फैसला महफ़ूज़ रख लिया.
कैसे होती है चुनाव आयुक्त की भर्ती?
मुल्क के संविधान के मुताबिक, चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं. यह नियुक्ति 6 साल के लिए होती है या यह कार्यकाल उनकी 65 साल की उम्र तक रहता है. इन्हें वो वेतन और भत्ते मिलते हैं जो सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को मिलते हैं. भारतीय चुनाव आयोग को यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत मिला है. जिसमें कहा गया है कि चुनावों को कंट्रोल करना, इन्हें आयोजित कराना और नज़र रखने की शक्तियां चुनाव आयोग के पास हैं.संवैधानिक तौर पर चुनाव आयोग के सदस्यों की संख्या बदलती रही है. संविधान का अनुच्छेद 324(2) कहता है कि चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त कितने होंगे, यह वक्त वक्त पर राष्ट्रपति तय करते हैं.
कब-कब बदले नियम
2 जनवरी, 1990 को तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने नियम में बदलाव किया और चुनाव आयोग को सिंगल मेम्बर बॉडी बनाया. तीन साल बाद फिर इसमें बदलाव किया गया. 1 अक्टूबर 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने दो और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक ऑर्डिमेंस जारी किया. उसके बाद चुनाव आयोग में तीन सदस्य कीनियुक्ति का नियम बना. आयोग से जुड़े निर्णय लेने में तीनों चुनाव आयुक्तों को समान अधिकार दिए गए हैं