AMAZING: टूट गई परंपरा की झूठी दीवार, जब विधवाओं ने रंगीन कपड़ों में किया रैंप वॉक
उत्तराखंड: एक अरसे बाद जो उन्होंने अपनी आंखों में काजल लगाया, तो खुद को ही निहारती रही। सालों बाद जब उन्होंने उस सफ़ेद रंग से दामन छुड़ाकर रंगीन कपड़े पहने, तो जैसे एक पल को उनकी दुनिया ही रंगीन सी हो गई। किसी ने सोचा भी नहीं था कि 90 साल की उम्र में भी वह उतनी ही खूबसूरत लग सकती हैं, जितनी की वह अपनी जवानी के दिनों में लगती थी। चेहरे पर मेकअप लगाए हुए जब 90 साल की एक विधवा ने छड़ी के सहारे रैंप पर चलना शुरू किया, तो पूरा हाल तालियों की गूंज से भर गया।
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यह अनोखी रैंप वॉक को साधारण रैंप वॉक नहीं थी। इस रैंप वॉक के जरिए सालों साल पुरानी परंपरा ने उन बंधनों को तोड़ने का प्रयास किया, जो विधवाओं की ख़ुशी पर ग्रहण बनकर चले आ रहे थे। एक विधवा से हमेशा उन सभी खुशियों को छीन लिया जाता है, जिनकी समाज में रहते हुए वह हकदार होती है। बता दें कि यह रैंप वॉक विधवाओं के लिए आयोजित फैशन शो का हिस्सा था। जिसका आयोजन सुलभ इंटरनेशनल एनजीओ ने किया था।
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इस अनोखे रैंप वॉक में वृंदावन और वाराणसी के साथ-साथ केदारनाथ के पास देवली ब्रह्मग्राम की करीब 400 विधवाओं ने हिस्सा लिया। रैंप वॉक की ख़ुशी इन विधवाओं के चेहरों पर साफ़-साफ़ झलक रही थी।
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बता दें कि जब से देवली ब्रह्मग्राम को उत्तराखंड में विनाशक बाढ़ थी, तब से इसे ‘विधवाओं के गांव’ के नाम से जाना जाता है। रैंप वॉक के लिए तैयार की गई 33 साल की विधवा उर्मिला तिवारी ने कहा, 'मैंने जो आज कपड़े पहने हैं, उसे देखें ऐसे कपड़े मैंने अपनी शादी के दिन भी नहीं पहने थे'।
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विधवाओं के लिए राखी गई इस अनोखी रैंप वॉक का नजारा ही कुछ और था। वृंदावन से आई उर्मिला तिवारी ने फैशन शो की इम्पोर्टेंस को समझाया। उर्मिला तिवारी ने कहा कि विधवाओं से अक्सर कहा जाता है कि वो क्या करें या क्या नहीं करें? लेकिनइस तरह के आयोजन पुरानी परंपराओं को तोड़ते हैं। साथ ही उन्हों यह भी कहा कि 'इस रैंप वॉक के जरिए हमारी लाइफ में खुशियां भरी गई हैं'।