जन्मदिन विशेष : जानिए सितार वादक पंडित रविशंकर को....

पंडित रविशंकर का जन्म आज ही के दिन 1920 में वाराणसी में हुआ था और 2012 में 92 वर्ष की आयु में अमेरिका के सेन डियागो में मृत्यु हो गयी। इनका संगीतकार बनने का बिल्कुल मन नही था ये अपने भाई उदय की तरह डांस करना चाहते थे।

Update: 2019-04-07 06:30 GMT
फ़ाइल फोटो

शाश्वत मिश्रा

लखनऊ: 'हमारी संस्कृति में हमें म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स की पूजा करना सिखाया जाता है क्योंकि ये भगवान का एक हिस्सा हैं' ये सोच 'गॉडफादर ऑफ वर्ल्ड म्यूजिक' और मशहूर सितारवादक 'भारतरत्न पंडित रविशंकर' की है।

जिन्होंने पूरे विश्व में क्लासिकल म्यूजिक को एक अलग मुकाम दिलाया है, इनकी खासियत यह थी कि ये इंडियन क्लासिकल म्यूजिक को वेस्टर्न कलचर में बनाते थे और इन्होंने पूरे विश्व में अलग अलग जगहों पर जाकर इस म्यूजिक कलचर को आगे बढ़ाया। जिससे पूरे विश्व में इनका म्यूजिक फैल गया और यह वर्ल्ड म्यूजिक के गॉडफादर बन गए।

पंडित रविशंकर का जन्म आज ही के दिन 1920 में वाराणसी में हुआ था और 2012 में 92 वर्ष की आयु में अमेरिका के सेन डियागो में मृत्यु हो गयी। इनका संगीतकार बनने का बिल्कुल मन नही था ये अपने भाई उदय की तरह डांस करना चाहते थे लेकिन कम उम्र में ही विश्वभर के अलग अलग देशों में जाने के बाद इनका मन सितार बजाने में लगने लगा।

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इन्होंने मशहूर संगीतवादक अलाउद्दीन खान से मैहर में संगीत सीखा, हालांकि इनको संगीत सीखने में बिल्कुल भी रुचि नही थी लेकिन अलाउद्दीन खान के सामने से प्रस्ताव रखने पर ये खुद को रोक ना पाये और संगीत सीखने के लिए हां कर दिया।

जिसके बाद इन्होंने मन लगाकर संगीत की ओर ध्यान दिया और 1949 से 1956 के बीच नई दिल्ली में ऑल इंडिया रेडियो के संगीत निदेशक के रूप में काम किया एवं 1960 के दशक में वायलिन वादक येहुदी मेनुहिन तथा जॉर्ज हैरीसन के साथ मिलकर भारतीय शास्त्रीय संगीत की शिक्षा तथा प्रस्तुति देकर इसे पश्चिम में भी लोकप्रिय बनाया।

पंडित रविशंकर ने संगीतकार के रूप में सत्यजीत रे के 'अपू ट्रिलॉजी' तथा रिचर्ड एटनबर्ग के 'गांधी' के लिए संगीत दिया और इन्हें सर्वश्रेष्ठ मौलिक स्वरलिपि के लिए वर्ष 1983 में उन्हें जॉर्ज फेंटन के साथ ऑस्कर से भी नवाजा गया।

पंडित रविशंकर वर्ष 2000 तक लगातार प्रस्तुति देते रहे उन्होंने कई बार अपनी बेटी अनुष्का शंकर के साथ भी प्रस्तुति दी। इनको मैगसेसे, तीन ग्रैमी, पद्मश्री, पद्मविभूषण अवॉर्ड सहित देश-विदेश के कई अवॉर्ड्स मिले हैं। और ये 1986 से 1992 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे।

विवादास्पद रही पर्सनल लाइफ

इन्होंने सबसे पहले 1941 में अपने गुरु की बेटी अन्नपूर्णा देवी से शादी की जिससे दोनों का एक बेटा शुभेन्द्र शंकर हुआ था जो कि अब इस दुनिया में नहीं है, 20 साल साथ रहने के बाद रविशंकर और अन्नपूर्णा देवी अलग हो गए।

इसके बाद वे क्लासिकल डांसर कमला शास्त्री के संपर्क में आए ,दोनों लंबे समय तक लिव-इन-रिलेशन में रहे। इसके बाद वे न्यूयॉर्क की कॉन्सर्ट प्रोड्यूसर सू जोन्स के संपर्क में आए। लिव-इन-रिलेशन में रहने के दौरान सू ने 1979 में एक बेटी नोराह जोन्स को जन्म दिया।

नोराह भी सिंगर और सितार प्लेयर है। सू से अलग होने के बाद 1981 में रवि शंकर, सुकन्या राजन के संपर्क में आए। साथ रहने के दौरान सुकन्या ने बेटी अनुष्का को जन्म दिया। बेटी होने के बाद दोनों ने 1989 में शादी की, उनकी दोनों बेटियां अनुष्का शंकर और नोराह जोन्स संगीत विरासत को आगे बढ़ा रही हैं।

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