जानिए 19 पॉइंट्स में, एक डाकू जिसके नाम से तीन राज्यों के सीएम की फूंक सरक जाती थी
लखनऊ : तारीख नोट कीजिए.. 18 अक्टूबर। ये आज की ही तारीख है। लेकिन साल था 2004। उस दिन देश और दुनिया को ऐसी खबर मिली जिसपर किसी को आसानी से यकीन नहीं हुआ। आखिर खबर भी थी कि कुख्यात चंदन तस्कर किडनैपिंग किंग जो कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के 6 हजार स्क्वायर किलोमीटर के इलाके के बेताज बादशाह को एनकाउंटर में मार गिराया गया है।
नाम था उसका वीरप्पन...वो वीरप्पन जिसके नाम से इन तीनों सूबों के सीएम तक पसीना छोड़ देते थे। उनको कमजोरी फील होने लगती। ये वो दौर था जब वीरप्पन आतंक का दूसरा नहीं पहला नाम था।
आज हम आपको बताएंगे की वीरैय्या के वीरप्पन बनने की कहानी
- 1962 में 10 की उम्र में वीरैय्या ने एक तस्कर की हत्या कर दी। इसके बाद उसने वन विभाग के तीन अधिकारियों को भी मार गिराया था। इतना छोटा बच्चा कैसे इस कांड को अंजाम दे पाया ये कहानी तो उसकी मौत के बाद ही बंद हो गयी।
- उसके गांव वाले बताते हैं कि वीरैय्या एक गरीब परिवार में जन्मा था। उसे तो वन विभाग वालों ने अपने फायदे के लिए तस्कर बना दिया था। लेकिन जब वो उनके सिर का दर्द बना गया तो उसे निपटाने में लग गए। लेकिन मंशा पूरी नहीं हुई और वीरैय्या जंगलों में छिप गया। अपना गैंग बनाया और वीरप्पन के नाम से फेमस हो गया।
- 1987 में वीरप्पन ने चिदंबरम नाम के एक वन अधिकारी को किडनैप किया और 22 कर्मियों की पुलिस टीम को जान से मार दिया।
- 1997 में वीरप्पन ने दो फोटोग्राफर किडनैप किए। जब इन दोनों की रिहाई हुई तो इन्होंने दुनिया को बताया कि जो वीरप्पन के बारे में हमें बताया गया है वो सच नहीं है। उसके नाम पर जंगलों में बड़े खेल हो रहे हैं, जिनमें अधिकारी और नेता भी शामिल हैं।
- 2000 में वीरप्पन कावेरी जल विवाद में कूदा और अपनी बात कर्नाटक और तमिलनाडु के सीएम तक पहुँचाने के लिए कन्नड़ फिल्म स्टार राजकुमार को किडनैप कर लिया। रिहाई के लिए मांगे 50 करोड़ और बॉर्डर से लगे इलाकों के लिये वेलफेयर स्कीम।
- 2002 में वीरप्पन ने कर्नाटक के मिनिस्टर नागप्पा को किडनैप किया और मौत के घाट उतार दिया।
- कहा जाता है कि मंत्री की हत्या के बाद उसके गैंग को पुलिस ने घेर लिया लेकिन एक मंत्री ने उसे बचा लिया वर्ना 2002 में ही उसे मौत की नींद सुला दिया जाता।
- वीरप्पन ने कुल 184 लोगों को मारा था। इसमें 97 पुलिस वाले थे।
- पुलिस और ख़ुफ़िया विभाग उसके आगे बौने साबित हो चुके थे। उसके आतंक का आलम ये था कि कोई भी पुलिस वाला उस टीम का हिस्सा नहीं बनना चाहता था जो वीरप्पन के नाम पर बनती थी।
- 5 करोड़ का इनाम था उसके सिर पर। एक बार पुलिस ने उसे घेरे में लिया तो उसने अपनी नवजात बच्ची का गला घोंट दिया।
- वीरप्पन ने अपने जीवन में 10 हजार टन चंदन की लकड़ी बेच दी। जिसकी कीमत 2 अरब रुपये थी।
- वीरप्पन को मारने के लिये टास्क फोर्स बनाई गई। उस पर खर्च आया 100 करोड़।
- 2003 में विजय कुमार एसटीएफ चीफ बने तो उन्होंने वीरप्पन के खात्में का बीड़ा उठाया।
- वीरप्पन के बारे में प्रसिद्द था कि वो जंगल में हुई हलचल से जान लेता था की ये किसी जानवर की वजह से हुआ या फिर कोई इंसान है।
- ऐसे में विजय ने खतरा मोल लेते हुए उसके गैंग में अपने कुछ आदमी भर्ती करवाए थे। गैंग के इन नए सदस्यों ने कुछ ही समय में वीरप्पन पर अपना प्रभाव जमा लिया और उसे आंख का इलाज कराने के लिए जंगल से निकलने के लिए मना लिया।
- जंगल से निकल पपीरापट्टी गांव में एक एंबुलेंस ली गई। इस एंबुलेंस को एक पुलिसकर्मी चला रहा था।
- जिस रास्ते से एंबुलेंस को निकलना था वहां पुलिस मौजूद थी। एक सुनसान स्थान पर एंबुलेंस रोक कर ड्राइवर भाग गया। इसके बाद गाडी पर फायरिंग होने लगी। वीरप्पन मारा गया। वो वीरप्पन जिसने 40 साल सरकार की नाक में दम कर रखा था। उसे जिंदा पकड़ने की कोशिश नहीं की गई। क्योंकि वो छूट जाता और संभव था आगे चलकर नेता बन जाता। इसलिए पुलिस ने उसे कोई वॉर्निंग नहीं दी थी।
- तमिलनाडु की तात्कालिक सीएम जयललिता ने इस ऑपरेशन में शामिल पुलिसवालों को प्रमोशन तीन-तीन लाख रुपये का ईनाम दिया।
- विजय कुमार ने इस ऑपरेशन पर बाद में एक किताब लिखी Veerappan: Chasing The Brigand।
आरोप जो लगे मौत के बाद
वीरप्पन की पत्नी शादी से पहले उसकी मुछों और उसके नाम पर फिदा थी। मुथुलक्ष्मी ने कहा कि शादी की सिर्फ यही एक वजह थी। मुथुलक्ष्मी ने वीरप्पन की मौत के बाद कहा कि वीरप्पन को नेताओं ने फंसाया था। उसके सारे पैसे नेताओं ने हड़प लिए हम दर दर की ठोकरें खा रहे हैं, बच्चों को सब चिढ़ाते हैं। वर्ष 2000 के बाद हम साउथ छोड़ नॉर्थ में बसने का मन बना रहे थे लेकिन मौका नहीं मिला।
उन्होंने बताया एसटीएफ चीफ विजय कुमार ने उनको मारने के लिए गैंग में अपने आदमी भर्ती करवाए हमें ये बात पता थी लेकिन हमने उन्हें नहीं मारा।
वीरप्पन की पत्नी ने बताया कि प्रिय से मेरी दोस्ती हुई। वो मेरे काफी करीब आ गई थी मुझे अपनी लगने लगी थी लेकिन वो पुलिस इन्फॉर्मर निकली।