पीएम मोदी के भाषण से आया आइडिया, इन दो युवाओं ने छोटे से गांव को बना दिया 'स्मार्ट गांव'

Update:2018-07-30 11:30 IST

लखनऊ: समाज और देश बदलने की बातें तो हर कोई करता है लेकिन हकीकत में बहुत कम ही ऐसे लोग होते है। जो इन पर अमल करते है। उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के दो आईटी प्रोफेशनल युवा 'स्मार्ट गांव' नाम का ऐप बनाकर अपने गांव के हजारों लोगों की जिंदगी बदल रहे हैं। उन दोनों युवाओं ने मिलकर देश का पहला 'स्मार्ट गांव' बनाया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में इन दोनों आईटी प्रोफेशनल युवाओं की तारीफ की है।

newstrack.com आज आपको इन दोनों युवाओं की अनटोल्ड स्टोरी के बारे में बता रहा है।

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ऐसे आया ऐप बनाने का आइडिया

रायबरेली के लालगंज के रहने वाले योगेश साहू ने अपने दोस्त रजनीश बाजपेयी के साथ मिलकर तौधकपुर गांव को हाईटेक बना दिया। उन्हें ये आइडिया पीएम मोदी के एक भाषण को सुनने के बाद आया था। साल 2015 में अपने अमेरिका दौरे के दौरान पीएम ने सैन जोस सेंटर में एक भाषण में कहा था' ''कभी मेरे देश में हमलोग सुना करते थे कि भारत से ब्रेन ड्रेन को रोकने के लिए कुछ करना पड़ेगा' भारत की धरती कई 'मोती' पैदा करती है…ये ब्रेन ड्रेन ब्रेन गेन भी बन सकता है।" इस भाषण को सुनने के बाद रजनीश और योगेश ने स्मार्ट गांव एप बनाने की सोची। भारत के गांवों में इंटरनेट का इस्तेमाल हर साल 26 फीसदी बढ़ रहा है। इन दोनों ने इसी को आधार बनाकर एक एप विकसित किया।

ऐसे बदल गई गांव की सूरत

लालगंज तहसील के अंतर्गत आने वाला तौधकपुर गांव कभी पिछड़ा गांव माना जाता था। लेकिन अब यही गांव तेज गति से विकसित हो रहा है। 'स्मार्ट गांव’' ऐप की मदद से गांव के लोग न केवल पूरी दुनिया से जुड़े रहते हैं बल्कि किसी भी जानकारी और सूचना के लिए उन्हें किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। गांव में सीसीटीवी कैमरा से लेकर कूड़ेदान और स्ट्रीट लाइटें लगी हैं। इन बुनियादी सुविधाओं के अलावा गांव में एक आदर्श प्राथमिक विद्यालय भी है। स्कूल में ही बच्चों और गांव के लोगों के लिए हेल्थ कैंप भी लगते हैं। गांव के लोगों को इंटरनेट की सुविधा प्रदान करने के लिए वाई-फाई भी लगा है और बिजली की आपूर्ति 18-20 घंटे है। ये सभी सुविधाएं स्मार्टगांव ऐप पर ट्रैक की जा सकती हैं। इस एप ने इस गांव की तस्वीर बदल दी।

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स्मार्ट गांव बनाने में लगे तीन साल

इस गांव को स्मार्ट गांव में बदलने में तीन साल का लंबा वक्त लगा। इस दौरान इस गांव के निवासियों, ग्राम प्रधान, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और रायबरेली के सीडीओ ने काफी मेहनत की। इनकी बदौलत ही इस गांव में डिजिटल क्रांति आ सकी। इस गांव की तस्वीर सफलतापूर्वक बदलने के बाद योगेश और रजनीश ने अब छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के 6 गांवों की तकदीर बदलने की ठानी है।

 

 

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