वृंदावन की विधवाओं ने खेली रंगों के संग फूलों की होली, दिखीं कुछ इस अंदाज में

ब्रज जहां की होली सबसे निराली है, वहां इस बार अलग अंदाज में होली का आयोजन किया गया। बांकेबिहारी के धाम वृंदावन में अबकी होली पर सैकड़ों साल पुरानी परंपराओं की दीवार गिराकर पिछली साल एक नई शुरुआत की गयी थी । यहां आश्रय सदनों में रहने वाली विधवा महिलाएं प्रिय कन्हाई के साथ होली खेली। जिससे उनके जीवन में इस नई परंपरा ने एक नई ऊर्जा भरने का काम किया।

Update: 2017-03-09 13:44 GMT

मथुरा : ब्रज जहां की होली सबसे निराली है, वहां इस बार अलग अंदाज में होली का आयोजन किया गया। बांकेबिहारी के धाम वृंदावन में अबकी होली पर सैकड़ों साल पुरानी परंपराओं की दीवार गिराकर पिछली साल एक नई शुरुआत की गई थी।

यहां आश्रय सदनों में रहने वाली विधवा महिलाएं प्रिय कन्हाई के साथ होली खेली। जिससे उनके जीवन में इस नई परंपरा ने एक नई ऊर्जा भरने का काम किया ।

सुलभ इंटरनेशनल की नई पहल

श्रीधाम वृंदावन में वर्तमान में करीब 2000 विधवा महिला हैं। इनका जीवन दुख का सागर बन गया हैं। ऐसे में इन्हें कुछ नई अनुभूति कराने के लिए सुलभ इंटरनेशनल ने नई पहल को कदम बढ़ाया है। संगठन की ओर से चैतन्य विहार स्थित मीरा सहभागिनी आश्रय सदन में फूलों की होली का आयोजन किया गया। इसमें परंपरागत रूप से पहले रासलीला समारोह हुआ। जिसमें सभी विधवाओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। वहीं उन्होंने होली के दौरान कान्हा पर रंग-बिरंगे फूल बरसाकर उन्हें होली रस से सराबोर कर दिया ।

पुरानी प्रथा को किया दरकिनार

सुलभ इंटरनेशनल संस्था के अनुसार विधवाओं के जीवन में होने जा रहे इस बदलाव से वह बेहद खुश हैं। आखिर सदियों पुरानी प्रथा को दरकिनार कर उन्होंने इस बार होली खेली। विधवाओं ने होली खेलने की अपनी इच्छा जब इनकी देखभाल कर रही संस्था सुलभ इंटरनेशनल के सामने जाहिर की तो संस्था के संस्थापक डॉ बिंदेश्वरी पाठक ने सहमति जता दी। परंपरागत रासलीला कार्यक्रम के लिए संस्था की ओर से व्यापक तैयारी की गई ।

विधवाओं के लिए किए अनेकों प्रयास

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सुलभ इंटरनेशनल नामक संस्था आश्रय सदनों की विधवा-वृद्धाओं को बेहतर जिंदगी व्यतीत करने के लिए सुविधाएं प्रदान करती हैं। ये विधवाएं मंदिरों में जाकर भीख न मांगें, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इसी के तहत इस होली का आयोजन किया गया। कई सालों से अपनों का तिरस्कार और समाज की बेरुखी झेल रही इन महिलाओं के जीवन में नई उर्जा जरूर भर देगी।

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