1984 anti-Sikh riots : जिन्हें पूरा मुआवजा नहीं मिला वो कोर्ट में अर्जी दें

लाहाबद हाईकोर्ट ने श्रीगुरू सिंह सभा की 1984 सिख विरोधी दंगों पीड़ितों को मुआवजे के भुगतान को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से याची के हलफनामे का जवाब मांगा है और याचिका की अगली सुनवाई की तारीख 5 दिसंबर नियत की है। यह आदेश जस्टिस अरूण टंडन और जस्टिस राजीव जोशी की खंडपीठ ने दिया।

Update:2017-11-27 19:29 IST
1984 anti-Sikh riots : जिन्हें पूरा मुआवजा नहीं मिला वो कोर्ट में अर्जी दें

इलाहाबाद : इलाहाबद हाईकोर्ट ने श्रीगुरू सिंह सभा की 1984 सिख विरोधी दंगा पीड़ितों को मुआवजे के भुगतान को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से याची के हलफनामे का जवाब मांगा है और याचिका की अगली सुनवाई की तारीख 5 दिसंबर नियत की है। यह आदेश जस्टिस अरूण टंडन और जस्टिस राजीव जोशी की खंडपीठ ने दिया।

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याची सरदार कुलदीप सिंह का कहना है कि केंद्र सरकार के मुआवजा पैकेज का पालन नहीं किया जा रहा है। कोर्ट को उन्होंने उदाहरण के तौर पर दो नाम जे.एस वालिया और राजिंदर कौर का जिक्र किया।

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कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी से इनका ब्यौरा मांगा है और याची से कहा कि जिन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला है, ऐसे लोग कोर्ट में अर्जी दें ताकि कोर्ट सरकार को निर्देश दे सके। सरकार का कहना है कि 25 करोड़ रुपए में से 11 करोड़ रुपए ही वितरित हुए हैं। यदि पीड़ित अर्जी दे तो सरकार विचार करेगी।

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यूपी औद्योगिक सहकारी संघ पर पचास हजार हर्जाना, प्रबंधक की बर्खास्तगी रद्द

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी औद्योगिक सहकारी संघ के बर्खास्त कर्मचारी को 27 साल की लंबी लड़ाई के बाद बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने यूपी औद्योगिक सहकारी संघ को निर्देश दिया है कि वह सात फीसदी ब्याज सहित कर्मचारी को 1991 में बर्खास्तगी साल से सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान करे। कोर्ट ने याचिका 50 हजार रुपए हर्जाने के साथ स्वीकार कर ली है। यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ ने कानपुर नगर के एस.के सिंह की याचिका पर दिया है।

कोर्ट ने याची की बर्खास्तगी आदेश रद्द करते हुए कहा कि याची सेवानिवृत्त आयु पूरी कर चुका है, इसलिए उसे सेवानिवृत्त मानकर परिलाभों का भुगतान किया जाए। याची को 06 दिसंबर 1991 को बर्खास्त कर दिया गया था। याची यूपी औद्योगिक सहकारी संघ में प्रबंधक पद पर तैनात था। बिना सुनवाई का मौका दिए तथा बिना कारण बताए उसे बर्खास्त कर दिया गया। याची का कहना था कि इसी आरोप में उसे प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई थी। उन्हीं आरोपों पर याची को बर्खास्त कर दिया गया।

एक आरोप में दोहरा दंड नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि बर्खास्तगी आदेश रद्द होने पर विभाग को जांच कर कार्यवाही का मौका दिया जाना चाहिए। लेकिन, याची बहुत पहले सेवानिवृत्त आयु पूरी कर चुका है। इसलिए ऐसा आदेश देना उचित नहीं है। कोर्ट ने यूपी औद्योगिक सहकारी संघ को हर्जाना राशि दोषी अधिकारियों से वसूलने की छूट दी है।

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