डाक देरी से पहुंचाने पर मुख्य डाक महाप्रबंधक पर 25 हजार रूपये का हर्जाना

कोर्ट ने न्यायिक निर्णयों पर विचार करते हुए कहा कि डाक विभाग की गलती पर याची को मुआवजा पाने का हक है और दो हफ्ते में 25 हजार रूपया मुआवजा याची को दिये जाने का आदेश दिया है।

Update: 2019-03-11 14:38 GMT

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायिक सेवा परीक्षा में डाक देरी से पहुंचाने पर मुख्य डाक महाप्रबंधक लखनऊ को पच्चीस हजार रूपये हर्जाना दो हफ्ते में याची को देने तथा एक माह में हलफनामे के जरिए कोर्ट को सूचित करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने डाक विभाग की लापरवाही के चलते डाक भेजने में देरी के लिए निर्धारित मुआवजा एक हजार बढ़ाये जाने का कानून में बदलाव करने का भी निर्देश दिया है। साथ ही लोक सेवा आयोग को भी सलाह दी है कि वह समय से भेजी गयी डाक यदि कुछ दिन की देरी से प्राप्त होती है तो देरी को माफ करने के विवेकाधिकार प्रयोग करने का नियम बनाये ताकि डाक विभाग का खामियाजा मेधावी अभ्यर्थी को न भुगतना पड़े।

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कोर्ट ने लोक सेवा आयोग को देरी से पहुंची डाक स्वीकार कर परिणाम घोषित करने का निर्देश जारी करने से यह कहते हुए इंकार कर दिया है कि डाक विभाग पत्र भेजने वाले का एजेंट होता है। एजेंट की गलती के लिए डाक पाने वाले को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। याची की डाक एक दिन बाद पहुंचने के कारण आयोग ने अस्वीकार कर दिया था जिस पर यह याचिका दाखिल की गयी थी।

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल तथा न्यायमूर्ति एस.डी.सिंह की खण्डपीठ ने हापुड़ की सेतु सिंह की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याची ने सिविल जज (जूनियर डिवीजन) उ.प्र. न्यायिक सेवा की प्रारंभिक परीक्षा पास करने के बाद मुख्य परीक्षा का आन लाइन फार्म भेजा और हार्ड कापी डाक से 18 जनवरी 19 को हापुड़ से भेजा जिसे 28 जनवरी 19 तक आयोग में पहुंच जाना था किन्तु वह 29 जनवरी को 11 बजे आयोग को मिला जिसकी वजह से वह परीक्षा में नहीं बैठ सकी।

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याची का कहना था कि दो-तीन दिन देरी से पहुंची डाक स्वीकार की जानी चाहिए इसमें याची की कोई गलती नहीं है। कोर्ट में पोस्टमास्टर जनरल पोस्टआफिस इलाहाबाद सुवेन्द्र स्वैन ने हलफनामा दाखिल कर डाक का ब्यौरा दिया। कोर्ट ने न्यायिक निर्णयों पर विचार करते हुए कहा कि डाक विभाग की गलती पर याची को मुआवजा पाने का हक है और दो हफ्ते में 25 हजार रूपया मुआवजा याची को दिये जाने का आदेश दिया है।

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