मथुरा में खेली गई फूलों की भव्य होली, तस्वीरों में देखिए मनमोहक दृश्य

Update:2021-03-17 20:11 IST
मथुरा में खेली गई फूलों की भव्य होली, तस्वीरों में देखिए मनमोहक दृश्य

मथुरा । गोकुल स्थित गुरु शरणानंद जी के रमणरेती आश्रम मे पारंपरिक होली खेली गई । कृष्ण लीलाओं के मंचन के साथ गुलाब ,गेंदा व टेसू के 2 मन फूलों से भगवान भक्त और संतो ने होली खेली । इस दौरान श्रद्धालुओ पर लड्डुओं की बरसात हुई लड्डुओं को लपकने के लिए भक्त लालायित रहे और मदमस्त दिखाई दिए । इस अलौकिक होली के सुखद आनंद के साक्षी प्रख्यात कथा वाचक रमेश भाई ओझा सहित कई बड़े संत बने । कोरोना के चलते इस बार 90 वें गोपाल जयंती महोत्सव में होली तो खेली गई लेकिन सिर्फ फूलों से । जबकि हर बार टेसू के फूलों से बने रंग अबीर गुलाल इस होली के आनंद की छटा को और चार चांद लगाया करते थे ।

सभी भक्तजन और साधु संतो ने बड़े ही हर्षोल्लास के साथ खेली होली

राधा कृष्ण की पावन भूमि पर होली खेलने के लिए देश विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु मथुरा पहुंचते हैं और ब्रज में जगह जगह अलग अलग तरीके से खेली जाने वाली होलीयो का आनंद लेते हैं। गोकुल के रमणरेती आश्रम में राधा कृष्ण के स्वरूप के साथ भक्तजन और साधु संतो ने बड़े ही हर्षोल्लास के साथ होली खेली ।

विराजमान भगवान के अचल विग्रह की आरती उतारी गई

होली के आयोजन से पहले मंदिर में विराजमान भगवान के अचल विग्रह की आरती उतारी गई। इस आरती की खास बात यह है कि पिछले 16 सालों से इस आरती में हाथी गजराज भी शामिल होते है और घंटे व चमर को सूड़ में पकड़ कर भगवान को रिझाते है वहीं दूर दराज से आये लोग ब्रज की रज को अंगीकृत करते हुए ब्रज रज में लोट लगाते है और अपने को धन्य मानते है ।

भगवान को होली खेलने का न्योता

कृष्ण और राधा के अचल स्वरूप की आरती के बाद शुरुआत होती है उस होली के आंनद की। जिसका इंतज़ार भगवान भक्त और संतो को साल भर रहता है । होली कार्यक्रम की शुरुआत में सबसे पहले गुरुशरणानंद महाराज राधा कृष्ण स्वरूप की आरती उतारते है ओर भगवान को होली खेलने का न्योता देते है । न्योता मिलने के साथ ही राधा कृष्ण स्वरूप उन लीलाओं को जीवंत करते है जो द्वापर में भगवान कृष्ण ने राधा के साथ रची थी ओर जिसके बाद से ब्रज ओर विश्व मे होली खेलने की परंपरा शुरू हुई ।

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लड्डुओं की बरसात की और भक्तो का मुंह मीठा कराया

गुरु शरणानंद आश्रम में खेली गई इस परंपरागत होली में भगवान कृष्ण की मयूर लीला यमुना तट पर पानी भरने के लिए गोपियों से माखन मिश्री लीला व हसी ठिठोली की लीलाओं का मंचन भी श्रद्धालुओं के लिए आनंदित व मंत्रमुग्ध करने वाला था । राधा कृष्ण के वाद संवाद ,हंसी ठिठोली के बाद सखियों और राधा रानी ने जैसे ही प्रेम पगी लाठियों का कृष्ण और सखाओ पर प्रहार किया। वैसे ही प्रेम रस की बरसात गोकुल धाम में साक्षात दिखाई दी । होली के खेलने के साथ ही संतो ओर राधा कृष्ण स्वरूपों ने लड्डुओं की बरसात की और भक्तो का मुंह मीठा कराया । इसी बीच भक्तो ने भगवान के स्वरूपों और संतो पर 2 टन फूलों की बरसात की और उसके बाद जो मनमोहक और अलौकिक नजारा था वह आपके सामने तस्वीरों में है।

कान्हा की नगरी में ब्रज रज् पर चलने पर मिलता है आनंद

फागुन के महीने में कान्हा की नगरी में ब्रज रज् पर चलने के बाद जो आनंद मिलता है उसका साक्षी बनने के लिए देवता भी इंद्रलोक से लालायित रहते है । इस प्रेम पगी होली का रस दूर दराज से आये भक्तो ने प्राप्त किया है । आप भी सुन लीजिए कि ब्रज की होली खेलने के बाद किस आनंद की प्राप्ति होती है ।

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टेसू के फूलों से बने रंग की बरसात

ब्रज की होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और ब्रज में अनेकों जगह अलग अलग तरीके से होलियां खेली जाती हैं। वहीं मथुरा के गोकुल स्थित श्री उदासीन कार्ष्णि रमणरेती आश्रम में भी पारंपरिक होली का आयोजन गोपाल जयंती के दौरान होता है । हर बार होली में अबीर गुलाल टेसू के फूलों से बने रंग की बरसात भी लोगो को मंत्रमुग्ध करती थी लेकिन इस बार कोरोना के चलते सिर्फ फूलों की होली से ही आनंद लिया गया और भगवान के साथ होली खेलने के बाद गुरु शरणानंद व रमेश भाई ओझा ने अपने आप को सौभाग्यशाली माना ओर बताया कि होली का क्या महत्व है ।

रिपोर्ट : नितिन गौतम

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