UP Nikay Chunav Result 2023: मुरादाबाद में एक 'लेटर' ने ऐसे बिगाड़ दिया सपा का खेल, पार्टी नहीं कर पाई डैमेज कंट्रोल
UP Nikay Chunav Result 2023: सपा के लेटर हेड से जारी पत्र सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। सपा प्रत्याशी और नेता जब तक एक्टिव हो कुछ समझ पाते, नुकसान हो चुका था।
UP Nikay Chunav Result 2023 : समाजवादी पार्टी का 'गढ़' कहे जाने वाले मुरादाबाद में पार्टी तीन बार से मेयर को तरस रही है। सपा के हाथ इस बार भी खाली रहे। आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले जमीन पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं में निराशा है। वहीं, निकाय चुनाव में एक फर्जी लेटर ने चुनाव परिणाम पर कितना असर डाला, ये समझने के लिए आपको ध्यान से इस खबर को पढ़ना होगा। पत्र सपा के लेटरपेड पर जारी किया गया था। पत्र में सपा प्रदेश अध्यक्ष की तरफ से कांग्रेस को समर्थन करने का ऐलान करते हुए कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए गए थे।
ये पत्र सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। सपा प्रत्याशी रईस उद्दीन नईमी समेत अन्य पार्टी नेता एक्टिव हो गए। मुरादाबाद जिलाधिकारी और एसएसपी से मिलकर शिकायत भी की। जिसके बाद सिविल लाइंस थाने में एक रिपोर्ट दर्ज भी कराई थी।
किसे मिला कितना वोट?
मेयर पद के लिए डाले गए 2,91,143 वोट में आम आदमी पार्टी (AAP) के चंदन भट्ट को नहज 5,375, एआईएमआईएम के मुस्तजाब अहमद को 6,215 और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के मोहम्मद यामीन को 15,845 वोट मिले। इसी तरह कांग्रेस के रिजवान कुरैशी को 1,17,826 और बीजेपी के विनोद अग्रवाल को 1,21,415 वोट मिले। प्रदेश की प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के सैयद रईस उद्दीन को 13,441 वोट मिले। इसके अलावा, निर्दलीय अनवर को 2,635, जूही शबनम को 1,188, नितिन वर्मा को 768, मासुमा निजाम को 1747, मुदस्सिर इस्लाम को 592, व शहीद हुसैन को 2077 वोट मिले। नोटा बटन को 2019 मतदाताओं ने दबाया।
बीजेपी-कांग्रेस को मिले कितने प्रतिशत वोट?
बीजेपी के लिए यह जीत एक चुनौती रही। पिछले चुनाव में करीब 20 हजार मतों से जीतने वाली बीजेपी इस मर्तबा 3,500 वोट के अंतर से जीत दर्ज करने में सफल रही। हालांकि, बीजेपी प्रत्याशी ने 41.71 फीसदी और कांग्रेस प्रत्याशी ने 40.46 प्रतिशत वोट हासिल किए। इस तरह करीब 2 फीसद अधिक वोट से बीजेपी कैंडिडेट की जीत संभव हो सकी। कांग्रेस की हार जरूर हुई है, लेकिन सम्मानजनक रही। कांटे की टक्कर देखने को मिली।
एक पत्र ने फोड़ दी समाजवादी पार्टी की तकदीर !
दरअसल, समाजवादी पार्टी के लेटरहेड से जारी पत्र ने उसे इस चुनाव में कहीं का नहीं छोड़ा। हालांकि, सपा इसे पहले ही फर्जी बता चुकी है। लेकिन, लेटर वायरल होने के बाद वोटरों का रुझान समाजवादी पार्टी से जाता रहा। इसका प्रभाव कम करने के लिए सपा के प्रदेश अध्यक्ष ने तत्काल एक और लेटर जारी किया। जिसमें हाजी रईस उद्दीन नईमी को प्रत्याशी बताते हुए उन्हें ही चुनाव लड़ाने का निर्देश कार्यकर्ताओं को दिया गया था। उन्होंने साफ किया था कि, उनके लेटर पैड का गलत इस्तेमाल कर फर्जी तरीके से उसे जारी किया गया।
ऐसे हुआ ध्रुवीकरण
जानकार बताते हैं कि इस लेटर के जारी होने से पहले चुनाव में हिंदू-मुस्लिम रंग नहीं दिख रहा था। सब सामान्य था। सपा के अलावा कांग्रेस, बसपा और एआईएमआईएम से चार मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में थे। बीजेपी और AAP ने ही हिंदू प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। ये चुनाव 'नगर की सरकार' बनाने का होता है। प्रदेश सरकार पर इसका कोई असर नहीं होता। अमूमन ये चुनाव स्थानीय चेहरों पर ही लड़े जाते हैं। चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा प्रत्याशी से पंजाबी समाज, ब्राह्मण वोट की नाराजगी और बुध बाजार के व्यापारियों का गुस्सा जैसी कई चर्चाएं सियासी हल्कों में तैर रही थी। वोटरों का रूझान चौतरफा होने के कारण सभी वर्गों के सियासी रंग में रंगे थे। जाति और धर्म चुनाव का आधार नहीं था। लेकिन, एक पत्र ने सपा का खेल बिगड़ दिया। जिसके जारी होते ही मतदाताओं में ध्रुवीकरण होने लगा। भाजपा और प्रत्याशी से नाराजगी खत्म होने लगी। इसी तरह मुस्लिम मतदाता भी कांग्रेस की तरफ एकजुट होने लगे। जानकार मानते हैं कि चिट्ठी की बारीकी से जांच होनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह चुनाव में फर्जीवाड़ा न हो सके।