पहचान छिपाकर लंदन की कंपनी को लगाई थी 14 करोड़ की चपत, गिरफ्तार

अमेरिकी कंपनी वीसोले इंक के सीइओ और निदेशक फिल आल्पे से साफ्टवेयर डेवलेप करने के नाम पर 14 करोड़ की धोखाधड़ी करने वाले ज्ञान रंजन को कोतवाली सेक्टर-20 ने गिरफ्तार कर लिया है। ज्ञान रंजन गौर सिटी में अपनी पहचान बदलकर रह रहा था।;

Update:2019-01-05 19:47 IST

नोएडा: अमेरिकी कंपनी वीसोले इंक के सीइओ और निदेशक फिल आल्पे से साफ्टवेयर डेवलेप करने के नाम पर 14 करोड़ की धोखाधड़ी करने वाले ज्ञान रंजन को कोतवाली सेक्टर-20 ने गिरफ्तार कर लिया है। ज्ञान रंजन गौर सिटी में अपनी पहचान बदलकर रह रहा था।

इसे सेक्टर-02 की सी-18 चौथे तल से गिरफ्तार किया गया। दरअसल, कंपनी के सीईओ ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री व डीजीपी को ट्वीट से की थी। जिसके बाद कोतवाली सेक्टर-20 पुलिस एक्शन में आई और आरोपी को गिरफ्तार किया।

अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहने वाले फिल आल्पे के मुताबिक, उनकी कंपनी अच्छी गुणवत्ता के सॉफ्टवेयर अपने ग्राहकों को उपलब्ध कराती है। सेक्टर-2 स्थित आइटी कंपनी माइ माइंड इंफोटेक के हिमांशु खत्री ने वर्ष 2006 में उनसे कारोबार के सिलसिले में मुलाकात की थी। उस दौरान हिमांशु के साथ अच्छी गुणवत्ता के सॉफ्टवेयर मुहैया कराने को लेकर करार हुआ था।

खत्री ने 40 हजार डॉलर प्रति माह लेकर अपने सबसे बेहतर और अनुभवी कर्मचारियों से तैयार किए गए अच्छी गुणवत्ता के सॉफ्टवेयर मुहैया कराने का भरोसा दिया था। खत्री की कंपनी से वे 2015 तक सॉफ्टवेयर लेते रहे। ज्ञान रंजन इसी कंपनी में सौरभ कुमार के आधार पर अपनी फोटो लगाकार फर्जी तरीके से काम कर रहा था। जिसका इंटरव्यू हिमांशु खत्री ने करवाया था। फिलहाल मामले का मुख्य आरोपी हिमांशू खत्री फरार है। पुलिस टीमों द्वारा दबिश दी जा रही है।

लंदन से वीडियो कांफ्रेसिंग से हुआ था साक्षात्कार

हिमांशू खत्री अधिक पढ़े लिखे लोगों का साक्षात्कार विडियो कांफ्रेसिंग के जरिए कंपनी के मालिक से करवाता था। इसके बाद उनकी आईडी पर कम पढ़े लिखे लोगों की फोटो लगकार मोटी तंख्वा एठता था। ज्ञान रंजन उनमे से एक है। करीब 2006 से 2015 तक उसने ऐसे कई कर्मचारी अपनी कंपनी में रखे। और लंदन में बैठे कंपनी मालिक को इसकी भनक तक नहीं लगी।

लेकिन लगातार घाटा होने के बाद कंपनी मालिक ने इसकी जानकारी हासिल की। जिसके बाद हिमांशु खत्री के नाम मुकदमा दर्ज करवाया गया। ज्ञान रंजन की गिरफ्तारी के बाद पुलिस का दावा है कि वह जल्द ही हिमांशू खत्री तक पहुंच जाएंगे।

दो से तीन लाख दिलावाता था वेतन

कंपनी मालिक द्वारा सॉफ्टवेयर तैयार करने वाले कर्मचारियों के अनु•ाव और शिक्षा आदि की जानकारी मांगी, लेकिन उन्हें गलत जानकारी दी गई। हिमांशु कम अनुभवी लोगों को ज्यादा दिखाकर उक्त व्यक्ति के नाम करीब 2 से 3 लाख रुपए प्रतिमाह वेतन लेता था। ऐसे में कंपनी मालिक को कई लाख रुपए का चूना लगा। साथ ही कम गुणवत्ता के साफ्टवेयर डेवलप कर दिए जिससे कंपनी को लगातार घाटा होता रहा।

फर्जी आधार से छिपाई पहचान

ज्ञान रंजन ने अपना असली नाम छुपा कर फर्जी आधार कॉर्ड तैयार किया। उसने सौरभ कुमार के आधार कार्ड पर अपनी फोटो लगाकर लोगों को गुमराह किया। फिलहाल पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। कोतवाली थाना-20 प्रभारी मनोज पंत ने बताया कि ज्ञान की गिरफ्तारी के बाद कई अहम जानकारी मिली है। जल्द ही मुख्य आरोपी हिमांशू खत्री को गिरफ्तार किया जाएगा।

ये भी पढ़ें…नोएडा- ग्रेटरनोएडा को ग्लोबल सस्टेनेबल सिटीज के लिए चुना गया, UN ने चुना

Tags:    

Similar News