7 घंटे गिड़गिड़ाते रहे परिजन, फिर भी डॉक्टर्स की लापरवाही ने ले ली महिला की जान

Update:2017-09-06 10:19 IST

शाहजहांपुर: यूपी के शाहजहांपुर में स्वास्थ विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां डॉक्टर्स की बड़ी लापरवाही के चलते महिला की मौत हो गई। मृतका के परिजनों का आरोप है कि सुबह दस बजे महिला को जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। 7 घंटे तक डॉक्टर्स और नर्स के आगे गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन कोई भी मरीज को देखने नहीं आया। खास बात ये है जब परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया। तभी कुछ लोगों ने आरोपी डॉक्टर से लेकर सीएमओ और डीएम तक कोई फोन किया। उसके बावजूद एक घंटे तक कोई भी अधिकारी जिला अस्पताल नहीं पहुंचा, जिसके बाद परिवार महिला के शव को बगैर शिकायत करे ही अस्पताल से घर ले गए।

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क्या है पूरा मामला

दरअसल थाना सदर बाजार के मोहल्ला हददफ चौकी निवासी भूरा अपनी 40 वर्षीय पत्नी प्रवीन को लेकर जिला अस्पताल पहुंचा। भूरा ने बताया कि उसकी पत्नी को पिछले तीन साल से टीवी की बीमारी हो गई थी। उसका इलाज बरेली में हो रहा था। कल वह अपनी पत्नी को बरेली लेकर गया था, जहां कुछ जांच बता दी थी। भूरा के मुताबिक वह रिक्शा चलाता है। गरीब होने के कारण वह जांचे प्राईवेट में नहीं करवा पा रहा था। इसलिए सुबह दस बजे जिला अस्पताल लाए थे। अस्पताल आते ही उसकी पत्नी की तबियत बिगड़ने लगी। उसको अस्पताल में ही भर्ती करा दिया था।

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उस वक्त ड्यूटी डॉक्टर एमएल अग्रवाल की थी। पति के मुताबिक प्रवीन को भर्ती तो कर लिया लेकिन सात घंटे तक उसको कोई भी डॉक्टर या नर्स देखने तक नहीं आई। ओर न ही उसको सात घंटे तक कोई दवा दी गई। आखिरकार शाम मे पांच बजे प्रवीन की मौत हो गई। जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। डॉक्टर से लेकर सीएमओ और डीएम तक सूचना की गई, लेकिन एक घंटे तक किसी भी अधिकारी ने अस्पताल में आने की जहमत नहीं उठाई। जिसके बाद परिजन शव को घर लेकर चले गए।

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क्या है परिजनों का कहना

मृतका के परिजनों का कहना है कि डॉक्टर एमएल अग्रवाल की लापरवाही से ही प्रवीन की मौत हुई है। सात घंटे तक डॉक्टर उनके मरीज को देखने क्यों नहीं आए और क्यों नही उनके मरीज को सात घंटे तक दवा दी गई? अगर प्रवीन को टाइम पर इलाज मिल जाता तो उसकी जान बच जाती। परिजनों का कहना है कि यहां इलाज भी नहीं मिलता है और जब लापरवाही के चलते मरीज मर जाता है। तब परिजन कार्रवाई की बात करते हैं और हंगामा भी करते हैं। उसके बाद बावजूद कोई अधिकारी भी अस्पताल नहीं पहुंचता है। इससे साफ हो जाता है यहां दवा भी नही मिलती है और न्याय भी नही मिलता है।

ये हाल है योगीराज में जिला अस्पताल से लेकर जिला प्रशासन तक का, कोई भी सुधरने का नाम नहीं ले रहा है और लगातार मरीजों की लापरवाही को लेकर मौतें होती जा रही हैं। अस्पताल में मौजूद कुछ लोगों ने सीएमओ आरपी रावत को फोन किया तो उनका सीयूजी नंबर नहीं उठा और न ही सीएमओ साहब ने उस नंबर फोन करने की जहमत उठाई।

उसके बाद बड़ी उम्मीदों के साथ लोगों ने जिलाधिकारी नरेंद्र सिंह को फोन किया तो सीयूजी नंबर बात हुई तो कहा कि पीएनटी पर फोन करके सूचना दे दो। जब उस नंबर पर सूचना दी गई तब परिजनों को उम्मीद जगी कि अब कोई अधिकारी यहां जरूर आएगा, जिससे वह डॉक्टर की लापरवाही की शिकायत अधिकारियों से कर सकेंगे।

लेकिन परिजन सिर्फ इंतजार करते ही रह गए। एक घंटा बीत जाने के बाद भी किसी भी अधिकारी ने पीड़ित परिवार से मिलने की जहमत नहीं उठाई।

ऐसे मे सवाल ये उठता है कि जब डॉक्टर लापरवाही करते हैं, तो उनकी शिकायत आलाधिकारी से की जाती है, लेकिन जब आलाधिकारी ही फोन न उठाएं और डीएम तक किसी शिकायत को गंभीरता से न लें, तो उनके खिलाफ कार्रवाई कौन करेगा? आखिरकार बगैर कार्यवाई कराए परिजन शव घर लेकर चले गए।

इस मामले पर जब अधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो किसी अधिकारी का फोन तक नहीं उठा।

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