बेसिक शिक्षा विभाग के 27000 स्कूल बंद करने की सूचना के बाद AAP ने सभी किया प्रदर्शन
मध्य प्रदेश में 23000 सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं, असम में 8000 स्कूल बंद हो चुके हैं, उत्तराखंड में 1100 सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं। दरअसल भारतीय जनता पार्टी की सरकारों की सच्चाई यही है।
AAP Protest: उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के 27731 स्कूलों के बंद करने की खबर के बाद मचे राजनीतिक बवाल के बीच आम आदमी पार्टी ने अब इस मुद्दे को लेकर प्रदेश सरकार को घेरा है। शनिवार को आम आदमी पार्टी ने प्रदेश के सभी 75 जिला मुख्यालयों पर इस स्कूल बंद करने के विरोध में धरना प्रदर्शन किया।
आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि प्रदेश की योगी सरकार उत्तर प्रदेश में लगातार बंद हो रहे सरकारी स्कूलों और गिरती शिक्षा व्यवस्था का परिणाम है। स्कूलों को बंद होने से रोकने के खिलाफ आम आदमी पार्टी शानिवार को प्रदेश के सभी जिलों में धरना प्रदर्शन किया।
पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता वंश राज दुबे ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने एक तुगलकी फरमान उत्तर प्रदेश की जनता के बीच में दिया है. 27000 सरकारी स्कूलों को बंद करने का एक फरमान उत्तर प्रदेश की सरकार ने निकाला, जिसकी सूचना अखबारों के माध्यम से सभी को मिली है। किस तरीके से पहले 2017 में, 2018 में और 2020 तक उत्तर प्रदेश की लगभग 26000 सरकारी स्कूलों को योगी आदित्यनाथ की डबल इंजन की सरकार ने बंद कर दिया है। सरकार दोबारा से सत्ता में आई है और अब एक नया फरमान जारी कर 27000 स्कूलों को बंद करने का नया फरमान जारी कर दिया। जब यह खबर मीडिया और अखबारों के माध्यम से जनता के बीच में आई तो योगी आदित्यनाथ ने अपनी अधिकारियों से एक बयान जारी करवाया जिसमें बेसिक से विभाग में बयान जारी करके इस विषय पर सफाई दिया कि कि यह खबर भ्रामक है।
बाराबंकी बीएसए में इस आदेश के बाद 6 विद्यालयों को बंद कर दिया है
वंशराज दुबे ने कहा कि किस तरह से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री डबल इंजन की सरकार चलाते हुए उत्तर प्रदेश की जनता को गुमराह कर रहे हैं। क्योंकि जो अधिकारी बयान दे रहे हैं उसी अधिकारी के आदेश पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बाराबंकी ने एक पत्र जारी किया है। जिसमें जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बाराबंकी के पत्र में कहा गया है कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बाराबंकी के अंदर 6 स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है और तो और सरकार ने कॉलेज का यू-डीआईएसई कोड भी खत्म कर दिया है। यानी स्कूल को विभागीय सूची से खत्म कर दिया गया है। यह आज उत्तर प्रदेश की मौजूदा हकीकत है। जहां दो कार्यकाल के अंदर योगी आदित्यनाथ सरकार ने करीब 52000 स्कूलों को बंद करने का कदम उठाया है।
शिक्षा का अधिकार कहता है कि एक किलोमीटर के अंदर प्राथमिक विद्यालय होना चाहिए, 3 किलोमीटर के अंदर उच्च प्राथमिक विद्यालय होना चाहिए। लेकिन योगी आदित्यनाथ सरकार आरटीई के अनुच्छेद 21(ए) में दिए गए नियमों की अनदेखी कर सरकारी स्कूलों को बंद कर रही है। ये दलितों, पिछड़ों और गरीबों के बच्चे हैं जो सरकारी स्कूलों में पढ़ने जाते हैं। बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रहे हैं। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सपनों को चकनाचूर करने का काम कर रहे हैं। पूरे भारत में 22 राज्यों में भाजपा की सरकार है। इन 22 राज्यों के आंकड़ों पर नजर डालें तो भाजपा सरकार की सच्चाई यह है कि यूपी में 26000 सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं और 27000 बंद होने वाले हैं।
मध्य प्रदेश में 23000 सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं, असम में 8000 स्कूल बंद हो चुके हैं, उत्तराखंड में 1100 सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं। दरअसल भारतीय जनता पार्टी की सरकारों की सच्चाई यही है। यह सरकार युवाओं और बच्चों को गरीबी के मुद्दों पर ले जाना चाहती है। दरअसल उन्हें शिक्षा से वंचित करना चाहती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री ने विधानसभा के पटल पर कहा है कि प्रदेश में 85000 शिक्षकों के पद रिक्त हैं। सरकार इन 27000 स्कूलों को बंद करके इन रिक्त पदों को भरने की बजाय इन स्कूलों को बंद करके इन्हें समाप्त करना चाहती है इस तरह उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में रिक्त पदों का बैकलॉग भी खत्म हो जाएगा।