गाजियाबाद की सैकड़ों बीघा जमीन का अधिग्रहण रद्द

याची के अधिवक्ता महेश शर्मा का कहना था कि उनकी खेती की जमीन 15 मई 1975 को यूपीएसआईडीसी के लिए अधिग्रहित कर ली गई थी। लेकिन जमीन का कब्जा नहीं लिया गया। भूमि अब भी याचियों के कब्जे में है और वह उस पर खेती करते हैं।

Update: 2019-04-18 15:37 GMT

प्रयागराज: हाईकोर्ट में गाजियाबाद के लोनी तहसील के नूर नगर गांव की सैकड़ों बीघा जमीन का अधिग्रहण रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अधिग्रहण के बाद से आज तक भूमि का न तो कब्जा लिया गया और न ही किसानों को मुआवजा मिला है।

इस हालत में नियमानुसार अधिग्रहण समाप्त हो जाता है। पुष्पा त्यागी व कई अन्य किसानों की याचिका पर जस्टिस पीकेएस बघेल और जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने सुनवाई की।

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याची के अधिवक्ता महेश शर्मा का कहना था कि उनकी खेती की जमीन 15 मई 1975 को यूपीएसआईडीसी के लिए अधिग्रहित कर ली गई थी। लेकिन जमीन का कब्जा नहीं लिया गया। भूमि अब भी याचियों के कब्जे में है और वह उस पर खेती करते हैं। जुलाई 2004 में यूपीएसआईडीसी के महाप्रबंधक ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर सूचित किया कि अब उनको भूमि की जरूरत नहीं है।

सरकार चाहे तो जमीन अधिग्रहण से मुक्त कर सकती है। इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने अधिग्रहण को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जबकि अधिग्रहित भूमि का आज तक अवार्ड घोषित नहीं किया गया है और ना ही मुआवजा मिला है। कोर्ट ने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार इस स्थिति में अधिग्रहण की कार्यवाही समाप्त हो जाती है।

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