लखनऊ: नेतागीरी में सब कुछ जायज है। इसकी मिसाल है एक जिला पंचायत सदस्य जिसने पद के लिए कागजों पर जाति बदल ली। लेकिन बड़ी बात ये है कि आरोप साबित हो जाने और कार्रवाई की सिफारिश के बाद भी इस नेता पर कार्रवाई नहीं हो रही है।
कुर्सी के लिए फर्जीवाड़ा
-मामला मुरादाबाद जिला पंचायत वार्ड नंबर 2 ठाकुरद्वारा सीट का है।
-यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी।
-अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र लगाकर यहां से शमशाद जीते और जिला पंचायत सदस्य बन गए।
जांच में आरोप साबित
-इस बात की शिकायत हुई कि उनका प्रमाणपत्र फर्जी है।
-सीडीओ आन्द्रा वामसी ने दो सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी।
-समिति ने जांच में शमशाद का जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाया और अपनी रिपोर्ट सौंप दी।
-जिला निर्वाचन कार्यालय के प्रभारी अधिकारी आन्द्रा वामसी ने जिला शासकीय अधिवक्ता से कानूनी राय मांगी।
कार्रवाई की सिफारिश
-शासकीय अधिवक्ता ने सर्टिफिकेट रद्द करके पद से हटाने और आपराधिक मामला दर्ज करने को कहा।
-आरोप है कि रिपोर्ट के बाद भी डीएम कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
-जब इस बारे में डीएम मुरादाबाद जुहेर बिन सगीर से बात की गई तो उन्होंने मामले की जानकारी होने से इनकार किया।
बदल लिया था धर्म
-मामला बलवंत पुत्र रामचरण का है जो 1990 में इस्लाम धर्म अपना कर शमशाद हो गया।
-पिछले 25 वर्षों से वह तहसील ठाकुरद्वारा के शरीफनगर गांव रह रहा है।
-इसके बावजूद उसने जिला पंचायत सदस्य निर्वाचन के लिए तहसीलदार से एससी सर्टिफिकेट बनवा लिया।