आगरा से भाजपा प्रत्याशी एसपी सिंह बघेल मुश्किल में
हाईकोर्ट की डिवीजनल बेंच ने आज अपने अंतरिम आदेश में कहा कि अनुसचित वर्ग में शामिल किसी भी जाति को घटाने बढाने का अधिकार केवल संसद को है। इसी आधार पर यूपी सरकार के इस फैसले पर हाईकार्ट ने रोक लगाई है।
लखनऊ: आगरा से भाजपा उम्मीदवार और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल की मुश्किलें बढ सकती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के उस नोटीफिकेशन पर अंतरिम रोक लगा दी है जिसमें 2013 में धनगर जाति को पिछडे वर्ग से हटाकर अनुसचित जाति में शामिल कर दिया गया था। इसके बाद दिसम्बर 2017 में भी योगी सरकार ने इसी तरह का नोटीफिकेशन जारी कर दिया।
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हाईकोर्ट की डिवीजनल बेंच ने आज अपने अंतरिम आदेश में कहा कि अनुसचित वर्ग में शामिल किसी भी जाति को घटाने बढाने का अधिकार केवल संसद को है। इसी आधार पर यूपी सरकार के इस फैसले पर हाईकार्ट ने रोक लगाई है।
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दरअसल एसपी सिंह बघेल धनगर जाति के हैं और उन्होंने यूपी सरकार के इसी नोटीफिकेशन के आधार पर आगरा लोकसभा तथा पूर्व में टूंडला विधानसभा से चुनाव लडा था। यह दोनों ही सीटे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। टूंडला विधानसभा सीट से विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद वह प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बने हैं।
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टूंडला सीट से विधानसभा का चुनाव हारने वाले बसपा के राकेश बाबू ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उसी याचिका की सुनवाई करते हुए आज कोर्ट ने यूपी सरकार के नोटीफिकेशन पर स्टे का आदेश दिया। यदि कोर्ट ने यूपी सरकार के नोटीफिकेशन को रद्द कर दिया तो एसपी सिंह बघेल की मुंश्कले बढ सकती हैं।