Agra: यमुना में गिर रहे नाले, लाखों लोग दूषित पानी के हवाले, पूर्व मंत्री ने पूछा- कहां गए शुद्धिकरण के लिए आए 1000 Cr.?

Agra News: पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता राजा अरिदमन सिंह सवाल उठाया कि, यमुना शुद्धिकरण के लिए आए 1000 करोड़ रुपए आखिर कहां गए। पत्र लिखकर सरकार से इसकी शिकायत की है।

Report :  Arpana Singh
Update:2023-12-01 21:44 IST

Raja Mahendra Aridaman Singh (Social Media)

Agra News: पूर्व मंत्री और वर्तमान भाजपा विधायक रानी पक्षालिका सिंह (BJP MLA Rani Pakshalika Singh) के पति राजा महेंद्र अरिदमन सिंह ने सरकार को पत्र लिखकर यमुना की बदहाली बताई है। पत्र में लिखा है कि सनातन संस्कृति और हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, बेहद पूज्य और कृष्ण प्रिया कालिंदी (यमुना) नदी में आज भी 61 नालों का पानी गिर रहा है। लाखों लोग प्रदूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं।

पत्र में ये भी लिखा कि, जल शुद्धि के लिए आधुनिक तकनीक हमारे पास उपलब्ध नहीं है। जो सीवेज ट्रीटमेंट प्लाट उपलब्ध भी हैं उनके कर्मचारी डीजल बचाने के चक्कर में उनका पूरा उपयोग नहीं करते। परिणामस्वरूप यमुना जल निरंतर प्रदूषित हो रहा है। आखिरकार, यमुना को निर्मल बनाने के लिए यमुना एक्शन प्लान-एक (Yamuna Action Plan- 1) और यमुना एक्शन प्लान दो के तहत सरकार के 1000 करोड़ रुपए आखिर कहां गए? यह चिंता जताते हुए तीन बार के पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता राजा अरिदमन सिंह (Raja Mahendra Aridaman Singh) ने उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव और मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन को जनहित में ऐतिहासिक नगरी आगरा की मूलभूत समस्याओं के निराकरण के साथ विशेष कार्य योजना को अमल में लाने के संबंध में गंभीर और विस्तृत पत्र लिखा है।

नलों का पानी प्यास बुझाने योग्य नहीं

सरकार को लिखे पत्र में राजा अरिदमन सिंह ने कहा कि, 'पूरे आगरा जिले में पेयजल की समस्या तीन दशक से ज्यादा पुरानी है। न तो यमुना निर्मल है। न ही नलों से आने वाला पानी प्यास बुझाने योग्य है। उन्होंने लिखा है कि, यमुना एक्शन प्लान एक और यमुना एक्शन प्लान दो के तहत यमुना नदी में सीधे गिरने वाले 91 नालों को टैप किए जाने के लिए जापानी सहायता से फंड आया था। इसके बावजूद आज भी यमुना में 61 नालों का पानी गिर रहा है।'

दिल्ली तक की समाप्त हो जाती है यमुना

उनका कहना है कि वर्ष 1997-98 में जब मैं उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री था ।तब मैंने तत्कालीन सिंचाई मंत्री से यमुना के बारे में बात की थी।  उन्होंने कहा था कि यमुना तो दिल्ली तक ही समाप्त हो जाती है। हरियाणा और दिल्ली की खपत के बाद कई शहरों से गुजर कर मथुरा होते हुए यमुना इतनी प्रदूषित हो जाती है कि आगरा की जनता को यमुना का शुद्ध पानी मिल ही नहीं पाता है।

करवाएं टेक्निकल ऑडिट

राजा अरिदमन सिंह ने पत्रों में लिखा है कि यमुना को निर्मल बनाने के लिए सरकार द्वारा यमुना कार्य योजनाओं के तहत जारी किए गए 1000 करोड़ रुपए प्रशासन द्वारा खर्च किए गए। इसका टेक्निकल ऑडिट यानी भौतिक सत्यापन कराया जाना जरूरी है। क्योंकि यमुना की हालत तो वैसी की वैसी ही है। फिर आखिर इतनी बड़ी धनराशि कहां डूब गई।

बैराज बेहद जरूरी

पूर्व मंत्री ने आगे लिखा है कि, कई दशकों से आगरा में बैराज बनाए जाने की घोषणा की जा रही है। 1990 के दशक में इस संबंध में अध्ययन भी हुआ था कि बैराज अपस्ट्रीम बने या डाउनस्ट्रीम। जल की निरंतर उपलब्धता और यमुना के पानी की निर्मलता के लिए बैराज या रबर चेक डैम अविलंब बनाया जाना बेहद जरूरी है। साथ ही, यमुना जल को शुद्ध और परिशोधित करने की आधुनिक तकनीक जल निगम को उपलब्ध करवाना भी बेहद आवश्यक है ताकि आगरा वासियों को निरंतर शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो सके।

जल स्रोतों को किया जाए पुनर्जीवित

उन्होंने लिखा है कि मैंने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी जुटाई तो पता लगा कि आगरा जनपद में तालाब, पोखर और अन्य जल स्रोतों सहित तहसीलवार कुल 2825 ऐसी वाटर बॉडीज हैं, जिन पर अवैध कब्जे नहीं हैं।भारत के प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी ने भी लगभग 3 वर्ष पहले जल शक्ति मंत्रालय केंद्र में बनाया। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में भी माननीय योगी जी द्वारा जल शक्ति मंत्रालय बनाया जा चुका है। हालांकि, मैं जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी को यह सूची प्रदान कर पिछले 4 वर्षों से निरंतर प्रयास कर रहा हूं कि इन जल स्रोतों को भूगर्भ और वर्षा जल संचयन के लिए पुनर्जीवन प्रदान किया जाए। इस दिशा में हुई प्रगति की अभी कोई जानकारी नहीं है। इस दिशा में सरकार द्वारा बनाए जा रहे अमृत सरोवरों का कदम सराहनीय है, इनसे भूगर्भ जल संचित करने में सहायता मिलेगी।

वैकल्पिक गंगाजल लाने की योजना पर किया जाए विचार

आगरा में गंगाजल आ रहा है लेकिन पूरे शहर को गंगाजल नहीं मिल पा रहा। वर्ष 2006 में गंगाजल की योजना बनी थी। वर्ष 2012 में जब मैं मंत्री बना तो इस योजना की जानकारी मिलने पर मैंने तत्कालीन मुख्यमंत्री और तत्कालीन मुख्य सचिव से इस संबंध में चर्चा की और पत्र लिखकर भी दिया। अंततः पाइपो द्वारा गंगाजल की आपूर्ति का यह काम जल निगम को दिया गया। 23 जुलाई, 2012 को नई डीपीआर बनाकर स्वीकृत हुई। मोदी जी द्वारा इस परियोजना का बाद में उद्घाटन किया गया।

उल्लेखनीय है कि, जल निगम की एक रिपोर्ट के अनुसार गंगाजल आगरा के लिए वर्ष 2026 तक ही पर्याप्त होगा। साथ ही इसका कुछ हिस्सा मथुरा को दे दिया जाएगा। दूसरी ओर आगरा की बढ़ती आबादी के अनुरूप खपत बढ़ने पर गंगाजल की आपूर्ति पूरे शहर को कैसे हो पाएगी जब आज ही पूरे शहर को गंगाजल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इन परिस्थितियों में यह आवश्यक है कि आगरा के लिए वैकल्पिक गंगाजल लाने की योजनाओं पर विचार करके जानकारी जुटाई जाए और पहले  ही इस दिशा में काम शुरू कर दिया जाए ताकि समय आने पर पेयजल का संकट उत्पन्न न हो।

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