लखनऊ: 21 जून को आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में मुस्लिमों की सहभागिता पर समुदाय के संगठनों ने तीखा विरोध किया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इसे संवैधानिक ढांचे पर प्रहार बताया है। बोर्ड पहले ही स्कूलों में योग की अनिवार्यता का देशव्यापी विरोध कर चुका है। बोर्ड ने मुस्लिमों को सलाह दी है कि 21 जून को हाेने वाले अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस से दूर रहें।
मुस्लिम संगठन सक्रिय
-आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में मुस्लिमों की सहभागिता का विरोध किया है।
-बोर्ड सदस्य जफरयाब जीलानी ने कहा कि यह देश के संवैधानिक ढांचे पर प्रहार है।
-जीलानी ने मुसलमानों को योग दिवस से दूर रहने की सलाह दी है।
बोर्ड पहले में सूर्य नमस्कार का कर चुका है विरोध
-पर्सनल लॉ बोर्ड योग को स्कूलों में अनिवार्य करने और सूर्य नमस्कार का पहले ही राष्ट्रव्यापी विरोध कर रहा है।
-बोर्ड ने पिछले साल इसके विरोध में अभियान के लिए एक समिति बना दी थी। बोर्ड ने कहा था कि जरूरत पड़ी तो इसके विरोध में कोर्ट जाएंगे।
-पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि शिक्षण संस्थानों में इसे अनिवार्य करके मुसलमानों पर हिंदू रीतियां थोपी जा रही हैं।
फिर उठा है विवाद
-योग और इस्लाम को लेकर पहले भी कई बार विवाद हो चुका है।
-आगामी 21 जून को केंद्रीय आयुष मंत्रालय के तहत 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' का आयोजन हो रहा है।
-आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने कहा कि आयोजन में सूर्य नमस्कार और ओम का उच्चारण अनिवार्य नहीं है।
-इसे मुस्लिम संस्थानों के विरोध का परिणाम माना जा रहा है।
योग और इस्लाम पर पुस्तक
-इससे पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखा राष्ट्रीय मुस्लिम मंच ने 'योग और इस्लाम' पुस्तक प्रकाशित की है।
-32 पन्नों और 12 चैप्टर वाली इस पुस्तक में योग को इस्लामिक बताया गया है, ताकि इसके विरोध को गलत साबित किया जा सके।
-पुस्तक में, 'योग गैरइस्लामी नहीं,' 'योग का उद्देश्य हिंदू धर्म का प्रसार नहीं है,' 'नमाज योग आसन का ही रूप है,' 'योग मुसलमानों के लिए अनजाना नहीं है,' जैसे चैप्टर शामिल हैं।