लखनऊ: आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक और एक से अधिक शादी जैसे शरई कानून को जायज करार दिया है। बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में पैरवी करने का फैसला किया है। बोर्ड ने तीन तलाक, गुजारा भत्ता, चार शादियां, जैसे मामलों में शरीयत कानून के खिलाफ आ रहे अदालती फैसलों को पर्सनल लॉ में दखलंदाजी करार दिया है।
बोर्ड की बैठक में क्या हुआ
-शनिवार को नदवा कालेज में बोर्ड की बैठक हुई।
-बैठक में बोर्ड के सदस्य जफरयाब जीलानी ने कहा कि अदालतों के जरिए पर्सनल लॉ में दखलंदाजी की जा रही है।
-उन्होंने कहा कि अदालतें तलाक और गुजारा भत्ता मामले में शरीयत कानून के खिलाफ फैसले नहीं दे सकती हैं।
-यह मुस्लिम शरीयत कानून में सीधी दखलंदाजी है।
-हमारा संविधान मुसलमानों को शरीयत कानून के मुताबिक अपने मसले हल करने की अनुमति देता है।
-खास तौर पर बैठक में मुसलमानों के पारिवारिक मामलो में सरकारी अदालतों के बढ़ते इंटरफेरेंस पर विचार किया गया है।
-कुछ ऐसे ही मामले सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं। पर्सनल लॉ बोर्ड इसे शरीयत और पर्सनल लॉ के मामलों में दखल मान रहा है।
सरकारी स्कूलों में किसी मजहब की तालीम देना संविधान में नहीं
-जफरयाब जिलानी ने स्कूलों में योग कराए जाने का जिक्र किया।
-उन्होंने कहा कि सरकारी और एडेड स्कूलो में किसी भी मजहब की तालीम नहीं दी जा सकती है।
-यह संविधान में नही है।
-अगर कोई व्यक्तिगत रूप से मजहबी शिक्षा देना चाहता है, तो वह दे सकता है।
योग और सूर्य नमस्कार का विरोध जारी रखेगा बोर्ड
-जफरयाब जिलानी ने बताया कि साल 2015 में राजस्थान में सूर्य नमस्कार और योग को वाजिब करार दिया गया।
-बैठक में यह मसला भी उठा।
-इसको देखते हुए दीन और दस्तूर बचाओ आंदोलन को जारी रखने का फैसला किया गया है।
शायरा बानो प्रकरण में जवाब दाखिल करेगा बोर्ड
-बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा कि ऐसे ही दो केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहे हैं।
-एक मामले में कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है और शायरा बानो प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर दिया है।
-इसमें वक्फ बोर्ड पार्टी नहीं था।
-अब बोर्ड ने पार्टी बनने का फैसला लिया है।
-इस मामले में उलेमा की मदद से जवाब तैयार कर दाखिल किया जाएगा।
-उन्होंने कहा कि ऐसे मामलो में बोर्ड खुद एक पक्षकार के तौर पर सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने की तैयारी कर रहा है।
क्या है शायरा बानो प्रकरण
-उत्तराखंड की तलाकशुदा शायरा बानो का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
-शायरा बानो ने तीन-बार बोल कर तलाक देने की प्रथा तलाक-ए-बिदत, निकाह हलाला और बहु पत्नी प्रथा की संवैधानिकता को चुनौती दी है।
-निकाह हलाला के तहत तलाक के बाद पुरुष दोबारा उसी महिला से शादी नहीं कर सकता।
-जब तक उसका किसी और मर्द से विवाह और तलाक ना हो जाए।
-बहु-पत्नी प्रथा के मुताबिक मुस्लिम पुरुषों को 4 पत्नियां रखने की छूट है।
-शायरा बानो इन प्रथाओं को चुनौती देने वाली अकेली मुसलमान नहीं हैं।
-शायरा ने कोर्ट से बोर्ड कानून 1937 की धारा 2 को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है।
मुस्लिम औरतों के बीच मस्जिद में नमाज पढ़ना कोई मसला नहीं
-जफरयाब जिलानी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मुस्लिम औरतों के बीच मस्जिद में नमाज पढ़ना कोई मसला नहीं है।
-यह मामला मीडिया में है।
-बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा करने की जरूरत ही नहीं समझी गई।
-भारत माता की जय के मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई।
-बैठक में बाबरी मस्जिद कमेटी, तफहीम शरीयत समिति, दारूल कजा समेत अन्य समितियों की रिपोर्ट भी रखी गई।
-बैठक में विवादित बयानों के लिए चर्चित असदुददीन ओवैसी भी शामिल हुए।