Disproportionate Assets Case: अखिलेश यादव के लिए सोमवार का दिन अहम, सुप्रीम कोर्ट में आय से अधिक संपत्ति मामले की सुनवाई
Disproportionate Assets Case: यादव परिवार के खिलाफ शिकायत पूर्व कांग्रेस नेता विश्वनाथ चर्तुर्वेदी ने की थी।;
Akhilesh Yadav disproportionate assets case (Social Media)
Disproportionate Assets Case: कल यानी सोमवार 13 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में अखिलेश यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले पर सुनवाई होगी। स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव, उनके दोनों बेटे अखिलेश और प्रतीक यादव और बहू डिंपल यादव पर आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप लगा था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इसकी सीबीआई जांच शुरू हुई। यादव परिवार के खिलाफ शिकायत पूर्व कांग्रेस नेता विश्वनाथ चर्तुर्वेदी ने की थी।
इस मामले पर पिछली सुनवाई 5 दिसंबर 2022 को हुई थी। उस सुनवाई में यादव परिवार की ओर से पेश हुए सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने मामले को बंद करने का अनुरोध शीर्ष अदालत से कहा था। सिब्बल ने दलील दी कि सीबीआई 2019 में हलफनामा दायर कर कह चुकी है कि वो केस की जांच को बंद कर चुकी है। अब मामले में कुछ नहीं बचा है। सिब्बल के इस दलील का याचिकाकर्ता विश्वनाथ चर्तुर्वेदी ने विरोध किया था।
उन्होंने सीबीआई पर कोर्ट में झूठी जानकारी पेश करने का आरोप लगाया था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कपिल सिब्बल की केस बंद करने की मांग को ठुकरा दिया। चंद्रचूड़ ने तब कहा था, मुलायम सिंह यादव दुनिया में नहीं रहे मगर परिवार के दूसरे सदस्यों पर भी मामला है। हम सर्दियों की छुट्टी के बाद मामले की सुनवाई करेंगे। अगली सुनवाई की तारीख 13 मार्च 2023 की तारीख तय की गई।
क्या है पूरा मामला?
साल 2005 में विश्वनाथ चर्तुर्वेदी जो कि पेशे से वकील हैं और उस समय कांग्रेस में हुआ करते थे, ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, उनके दोनों बेटे अखिलेश और प्रतीक यादव और अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव के ऊपर आय से करोड़ों रूपये की अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की थी। 1 मार्च 2007 को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को इस आरोप की प्राथमिक जांच का आदेश दिया।
अक्टूबर 2007 में सीबीआई ने शुरूआती फाइंडिंग क बाद अदालत को बताया कि उसे मुकदमा दर्ज करने लायक सबूत मिले हैं। साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने मुलायम की बहू डिंपल यादव को जांच के दायरे से बाहर कर दिया। मुलायम, अखिलेश और प्रतीक के खिलाफ जांच चलती रही। मुलामय सिंह के पिछले साल निधन के बाद अब केवल अखिलेश और प्रतीक ही बचे हैं। अखिलेश जहां सपा सुप्रीम बन मुलायम सिंह यादव के विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं, उनके भाई प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गई हैं।
याचिकाकर्ता ने सीबीआई पर लगाए गंभीर आरोप
मार्च 2019 में याचिकाकर्ता विश्वनाथ चर्तुर्वेदी ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दाखिल कर सीबीआई पर इस मामले को ठंडे बस्ते में डालने का आरोप लगाया था। जिस पर अदालत ने जांच एजेंसी से स्टेटस रिपोर्ट की मांग की थी। अप्रैल में सीबीआई ने कोर्ट को दिए अपने जवाब में बताया था कि मुलामय सिंह यादव और उनके दोनों बेटों के विरूद्ध आय से अधिक संपत्ति के आरोपों को साबित नहीं किया जा सका। इसलिए 7 अगस्त 2013 को प्रारंभिक जांच बंद कर दी गई थी।
सीबीआई ने अपने जवाब में आगे लिखा कि उसने अपना कानूनी दायित्व निभाते हुए अक्टूबर 2013 में सीवीसी को इस बात की जानकारी दी थी। सीवीसी को जांच बंद करने के पीछे वजह की विस्तृत जानकारी भी दी गई थी। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने सीवीसी में आरटीआई फाइल कर जब इस मामले में जानकारी मांगी तो सीवीसी की ओर से बताया गया कि इस मामले में सीबीआई की ओर से उन्हें कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुआ है। उनका आवेदन सीबीआई के मुख्य विजिलेंस अधिकारी को भेजा जा रहा है। आगे की जानकारी के लिए उनसे संपर्क करें। याचिकाकर्ता ने 5 दिसंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में इसका जिक्र करते हुए कहा था कि राजनीतिक फायदे के लिए पूरे मामले में गड़बड़ियां की गईं।
याचिकाकर्ता विश्वनाथ चर्तुर्वेदी ने यूपीए पर लगाए गंभीर आरोप
आय से अधिक संपत्ति मामले में मुलायम सिंह यादव और उनके बेटों के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले विश्वनाथ चर्तुर्वेदी ने बाद में अपनी पार्टी कांग्रेस और तत्कालीन यूपीए सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर उनका इस्तेमाल करने और धोखा देने का आरोप लगाया था। चर्तुर्वेदी ने कहा था जांच बंद करने के एवज में यूपीए सरकार ने मुलायम सिंह यादव के साथ डील की थी। जिसके तहत खाद्य सुरक्षा विधेयक को सपा ने संसद में अपना समर्थन दिया था, जिसका वह पुरजोर विरोध करती आ रही थी।
उन्होंने अपनी जान को खतरा बताते हुए कहा था कि एकबार मनमोहन कैबिनेट में शामिल यूपी के एक वरिष्ठ नेता ने उन्हें अपने घर पर बुलाकर धमकी दी थी। उन्होंने मुझे धमकी देते हुए चेतावनी दी थी कि मैं सीबीआई द्वारा आय से अधिक संपत्ति मामले में दायर की जाने वाली क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ अपील न करें। बकौल चर्तुर्वेदी मंत्री ने उनसे कहा था कि मुलायम सिंह यादव को क्लीन चिट दिया जाना है क्योंकि हमें खाद्य सुरक्षा विधेयक को लेकर उनका समर्थन चाहिए।
सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ जांच की करेंगे मांग
विश्वनाथ चर्तुर्वेदी का कहना है कि यूपीए सरकार के दौरान समाजवादी पार्टी के समर्थन के चलते सीबीआई इस मामले में निष्पक्ष तरीके से काम नहीं कर पाई थी। मामले को लेकर लीपापोती की जा रही है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में वह जांच में गड़बड़ी करने और गलत जानकारी देने वाले सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ एसआईटी गठित कर जांच करने की मांग करेंगे।