बढ़ी मुश्किलें: क्यों न पद से बर्खास्त हों यूएस तोमर, 25 जुलाई तक मांगा जवाब

Update:2017-07-20 21:46 IST
बढ़ी मुश्किलें: क्यों न पद से बर्खास्त हों यूएस तोमर, 25 जुलाई तक मांगा जवाब

लखनऊ: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विवि, लखनऊ के पूर्व कुलसचिव (निलंबित) यूएस तोमर की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। राज्यपाल राम नाईक ने तोमर के ​खिलाफ गठित जांच समिति की जांच रिपोर्ट को स्वीकार लिया है। उसमें भ्रष्टाचार के आरोप सही पाए गए हैं।

अब तोमर को नोटिस भेजकर उनसे 25 जुलाई तक स्पष्टीकरण मांगा गया है कि क्यों न उनके विरुद्ध राज्य सरकार को कुलसचिव पद से बर्खास्त किए जाने के आदेश जारी करने के निर्देश दिए जाएं।

तोमर पर लगे थे ये आरोप

-44 कॉलेजों को जान-बूझकर उच्चतम न्यायालय के आदेश के विरुद्ध सम्बद्धता प्रदान किया जाना।

-सत्र 2013-14 में सम्बद्ध महाविद्यालयों को प्रवेश देने के समय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में नियमों के विपरीत सम्बद्धता आदेश निर्गत करना।

-रिट याचिकाओं में कुलसचिव द्वारा पैरवी न किया जाना।

-जान-बूझकर उच्चतम न्यायालय में प्रतिशपथ पत्र न दाखिल किया जाना।

-सत्र 2014-15 में कुलसचिव के रूप में तोमर का अपने स्तर से अनाधिकृत बैंक खाता खोलना। —विवि की आधिकारिक वेबसाइट से इतर किसी अन्य वेबसाइट को शुरू करना।

-और संस्थाओं से आॅनलाइन आवेदन प्राप्त किया जाना

-अपनायी गई प्रक्रिया में विश्वविद्यालय अधिनियम/विनियमों का अनुपालन न किया जाना।

-तोमर पर भ्रष्टाचार एवं अनुशासनहीनता के भी आरोप थे।

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मामले में अब तक

-यूएस तोमर पर लगे आरोपों की जांच को 5 नवम्बर 2015 को जांच समिति का गठन हुआ।

-न्यायमूर्ति एसके त्रिपाठी (अवकाश प्राप्त) की अध्यक्षता में समिति का गठन।

-प्रो गुरदीप सिंह बाहरी कुलपति डाॅ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय और सर्वेश चन्द्र मिश्रा सेवानिवृत्त आईएएस को सदस्य नामित किया गया था।

-समिति को वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करनी थी।

-जांच के दायरे में तोमर की कुलसचिव पद पर नियुक्ति का मामला भी शामिल था।

-राज्यपाल ने 23 नवम्बर 2015 को तोमर को कुलसचिव पद से निलंबित कर दिया था।

-तीन सदस्यीय जांच समिति ने 31 मई 2017 को अपनी 483 पृष्ठीय अंतिम जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी थी।

-तोमर को 15 जून 2017 तक उनका पक्ष रखने के लिए समय दिया गया था।

-तोमर ने राज्यपाल के समक्ष व्यक्तिगत सुनवाई का अनुरोध किया था।

-राज्यपाल ने इसे स्वीकार किया था।

-14 जुलाई और 17 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से सुनवाई का अवसर प्रदान किया था।

 

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