UP में दिखेगा बदला हुआ शैक्षिक माहौल, इन जिलों में खुलने जा रहे विश्वविद्यालय
अब उत्तर प्रदेश सरकार ने अलीगढ़ सहारनपुर व आजमगढ के राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना की प्रक्रिया आरंभ कर दी है। सरकार स्पोर्टस विश्वविद्यालय, आयुष विश्वविद्यालय तथा विधि विश्वविद्यालय की भी स्थापना कराने जा रही है।
लखनऊ: अब उत्तर प्रदेश सरकार ने अलीगढ़ सहारनपुर व आजमगढ के राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। सरकार स्पोर्टस विश्वविद्यालय, आयुष विश्वविद्यालय तथा विधि विश्वविद्यालय की भी स्थापना कराने जा रही है। प्रयास है कि अलग अलग विश्वविद्यालयों की अपने कार्यों के आधार पर पहचान हो।
उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कही ये बात
उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने कहा कि पूरे प्रदेश में विश्वविद्यालयों में आमूलचूल बदलाव की प्रक्रिया आरंभ की गई है। सरकार की मंशा है कि यूपी को उच्च शिक्षा के बेहतरीन केन्द्र के रूप में स्थापित किया जाए। इस दिशा में समेकित प्रयास किए जा रहे हैं। नई शिक्षा नीति के लागू होने से इन प्रयासों को विशेष बल मिलेगा।
मुख्य अतिथि राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल एवं केंद्र सरकार में कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय के मंत्री महेन्द्र नाथ पाण्डेय की उपस्थिति में आयोजित प्रो राजेन्द्र सिंह रज्जू भय्या विश्वविद्यालय प्रयागराज के तीसरे दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ने नई शिक्षा नीति को अमलीजामा पहनाने की दिशा में कदम आगे बढा दिए हैं। इसके लिए ठोस कार्ययोजना के तहत आगे बढा जा रहा है। इसके लिए बाकायदा 16 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
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उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, बेसिक शिक्षा तथा तकनीकी शिक्षा विभाग में अलग अलग स्टीयरिंग कमेटी बनाई गईं हैं। इनके द्वारा ही नई शिक्षा नीति को लागू करने की दिशा में आगे बढा जा रहा है। टास्क फोर्स की 6 व स्टीयरिंग कमेटी की 17 बैठकें हो चुकी है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 17 वर्किंग ग्रुप भी बनाए गए हैं। सुधारों की प्रक्रिया को अल्पकालीन, डिप्टी सीएम डा दिनेश शर्मा ने कहा कि मध्यकालीन व दीर्घकालीन प्रक्रिया में बांटकर आगे बढा जा रहा है। प्रदेश में एमफिल पाठ्यक्रम को समाप्त कर दिया गया है।
सरकार का उद्देश्य- समावेशी शिक्षा प्रदान करना
पाठ्यक्रमों के पुनर्गठन को तेज करने के साथ ही क्रेडिट की हस्तांतरणीयता, अकादमिक के्रडिट बैंक, मूल्यांकन की विधि में बदलाव, कौशल विकास व उद्योग के साथ गठजोड जैसे कार्य की तरफ प्रगति हुई है। मीडियम टर्म उद्देश्य में जीईआर को बढाना, समानता व समावेश के तहत विशेष बच्चों के लिए विशेष प्रयास, करियर काउंसिलिंग शोध अनुसंधान व नवाचार की दिशा में भी कार्य किए जा रहे हैं। दीर्घकाल में चरणबद्ध तरह से सम्बद्धता प्रणाली को समाप्त करना, कालेजों को स्वायत्ता प्रदान करना, आदि क्षेत्रों में केन्द्र सरकार के निर्देशों के अनुरूप काम किया जाएगा। सरकार का उद्देश्य समावेशी शिक्षा प्रदान करने का है।
विद्यार्थियों को होगी सुविधा
न्यूनतम साझा पाठ्यक्रम के लिए उच्च शिक्षा विभाग व विश्वविद्यालय काम कर रहे हैं। प्रयास है कि करीब 70 प्रतिशत कोर्स समान हो तथा शेष 30 प्रतिशत विश्वविद्यालय स्तर पर तैयार हो। इससे विद्यार्थियों को एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने में सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि यह नीति शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव लेकर आएगी। हर विश्वविद्यालय व महाविद्यालय में महिला सशक्तीकरण प्रकोष्ठ के साथ ही कौशल विकास व औद्योगिक प्रकोष्ठ बनाए जा रहे हैं।
वर्ष 2021-22 के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने जो लक्ष्य तय किए हैं उनमें परास्नातक स्तर पर नई संरचना को लागू करना, इन्क्यूवेशन व इनोवेशन हब बनाना, ई लर्निंग पार्क व ई सुविधा केन्द्र बनाना है जिसके लिए भी निर्देश दे दिए गए हैं। इसके साथ ही एक ऐसा पायलेट प्रोजेक्ट आरंभ किया जिसके तहत कुछ महाविद्यालयों के पुस्तकालय के लिए प्रीलोडेड टैब उपलब्ध कराने हेतु वित्तीय सहायता मिले। यह योजना आंकाक्षी महाविद्यालयों में आरंभ की गई है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा के कार्यों हेतु कार्ययोजना के तहत 2020-21 में डिजिटल लाइब्रेरी, ऑनलाइन कक्षाएं, शिक्षक प्रशिक्षण, आधारभूत सुविधाओं के विकास पर जोर दिया जा रहा है।
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उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-23 के मध्य ई-सुविधा केन्द्रों का विश्वविद्यालय से समन्वय, ऑनलाइन कक्षा एवं परीक्षा, सोलर ग्रिड एवं इंटरनेट-कनेक्टीविटी, अकादमिक डाटा बैंक, प्रीलोडेड टैबलेट की उपलब्धता का लक्ष्य रखा गया है। इस में 2023-25 के मध्य सभी संस्थानों में वर्चुअल लैब्स की स्थापना, उच्च शिक्षण संस्थानो का पूर्ण डिजिटलीकरण एवं इको-फ्रैन्डली कैम्पस की स्थापना की जानी है। इस दिशा में कार्य आरंभ कर दिया गया है। सरकार का प्रयास है कि विद्यार्थियों को गुणवत्ता एवं रोजगारपरक उच्च शिक्षा प्रदान की जा सके।
श्रीधर अग्निहोत्री