Aligarh News: AMU के अल्पसंख्यक संस्थान की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होगी शुरू, माइनॉरिटी स्टेटस पर होगा फैसला

Aligarh News: एएमयू का पक्ष मंगलवार को एडवोकेट राजीन धवन ने रखा। वहीं प्रख्यात वकील और राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद भी आने वाले दिनों में एएमयू का पक्ष रखेंगे।

Update: 2024-01-10 02:05 GMT

Aligarh  (photo: social media )

Aligarh News: मुस्लिम विश्वविद्यालय के माइनॉरिटी स्टेटस को लेकर मंगलवार को सुनवाई जारी रही। सुप्रीम कोर्ट में एएमयू के अल्पसंख्यक स्वरुप पर शाम पांच बजे तक सुनवाई होती रही। एएमयू ओल्ड ब्वायज एसोसियेशन के सचिव आजम मीर ने बताया कि तीन दिन तक लगातार सुनवाई होगी। यह सुनवाई आगे बढ़ भी सकती है। एएमयू का पक्ष मंगलवार को एडवोकेट राजीन धवन ने रखा। वहीं प्रख्यात वकील और राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद भी आने वाले दिनों में एएमयू का पक्ष रखेंगे। सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस मनोज मिश्रा,जस्टिस जेबी पारटीवाला,जस्टिस सूर्यकांत,जस्टिस दीपांकर दत्ता,जस्टिस एससी शर्मा,जस्टिस संजीव खन्ना शामिल हैं।

क्या एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा छिन जाएगा, इस पर लोगों की नजर रहेगी। सात जजों की बेंच इस पर सुनवाई कर रही है। अल्पसंख्यक स्टेटस को लेकर AMU बनाम नरेश अग्रवाल व अन्य के बीच वाद चल रहा है। यूपीए की केंद्र सरकार के समय इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 2006 में अपील की गई थी। तब हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था। कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। उसी को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी प्रशासन ने भी हाईकोर्ट के फैसले को अलग से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। साल 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार की ओर से एक लेटर में कहा गया कि AMU माइनॉरिटी संस्थान है। इसलिए वह अपने हिसाब से एडमिशन प्रोसेस में बदलाव कर सकती है।

कांग्रेस सरकार के समय AMU ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में 2006 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील लगाई थी। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह कहा था। कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। माइनॉरिटी स्टेटस को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। यूनिवर्सिटी ने कहा कि हमें माइनॉरिटी करेक्टर का स्टेटस मिलना चाहिए। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला पेंडिंग चल रहा था। वहीं मंगलवार से इसकी सुनवाई सात जजों की बेंच में शुरू हो रही है। सुप्रीम कोर्ट के जज यह निर्णय लेंगे, कि क्या एएमयू माइनॉरिटी स्टेटस है। इसका असर अन्य विश्वविद्यालय पर भी पड़ेगा। बड़ी बात यह है। कि एएमयू को फंडिंग केंद्र सरकार करती है। ऐसे में क्या AMU अल्पसंख्यक संस्थान के दायरे में आएगा? इस पर सुप्रीम कोर्ट के सात जज विचार करेंगे।

कई तरह के फायदे

अल्पसंख्यक संस्थान को कई तरह के फायदे मिलते हैं। उनका सबसे बड़ा फायदा वह अपनी एडमिशन पॉलिसी खुद से डिसाइड करते हैं। हालांकि सात जजों के अपने अलग - अलग विचार होंगे। जब मामला दो जजों की बेंच से निर्णय नहीं होता है। तो तीन जजों और फिर पांच जजों की बेंच में निर्णय होता है। लेकिन एएमयू का माइनॉरिटी संस्थान के दर्जा की सुनवाई सात जजों की बेंच कर रही है। सात जजो की बेंच का निर्णय बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। माइनॉरिटी स्टेटस को लेकर कानून क्या होना चाहिए। इसके बहुत डिटेल में जाएंगे। इससे कई सालों के पुराने मामले भी सुलझ जाते हैं। भविष्य में ऐसे केस न आए , तो उसका भी निपटारा हो जाता है।

एएमयू के पूर्व मीडिया सलाहकार प्रोफसर जसीम मोहम्मद ने बताया। कि अल्पसंख्यक स्वरुप का औचित्य खत्म हो गया है। क्यों कि अब एडमिशन कामन एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर हो रहा है। उन्होंने बताया कि माइनारिटी स्टेटस का मतलब है। कि अल्पसंख्यकों को एडमिशन में तरजीह देने से है। लेकिन अब इसका कोई इश्यू नहीं रह गया है। हांलाकि एएमयू में इंटरनल और एक्सटरनल के आधार पर रिजर्वेशन पालिसी है। उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यक मुद्दे पर विश्वविद्यालय की कोई जहनी तैयारी भी नहीं है।

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