Aligarh News: ODOP के तहत कैदियों को मिला रोजगार, जिला कारागार में खूब बन रहे अलीगढ़ के ताले

Aligarh News: सरकार की महत्वाकांक्षी योजना वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत बंदियों को भी लाभ मिल रहा है। जेल में कुछ बंदी ऐसे है जो पहले से ताला बनाना जानते है और कुछ यह काम सीख रहे है। जेल में एक छोटी सी ताला फैक्ट्री बनाई गई है।

Update: 2024-08-05 14:48 GMT

Aligarh News (Pic: Newstrack)

Aligarh News: जिला कारागार अलीगढ़ में बंद बंदियों को आत्मनिर्भर और हुनरमंद बनाने के लिए कारागार में बंद बंदियों द्वारा ताले बनाने का काम किया जा रहा है। वैसे तो अलीगढ़ की हर गली में ताले बनाने का काम होता है। लेकिन अब सरकार की वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट स्कीम के तहत जेल में भी अब ताले बनाने का काम शुरू हो चुका है। जैसा कि तालों का जब जिक्र होता है तो सबसे पहले नाम अलीगढ़ का आता है। अलीगढ़ के ताले हर घर की पहली पसंद होते है। अब यही ताले यहां की जेल में भी बनाए जा रहे है। अलीगढ़ की जेल में बंद बंदी अब हुनरबाज बन रहे है। ये जेल में रहकर ऐसा काम कर रहे है। जिससे इनकी आमदनी भी हो रही है।

सरकार की महत्वकांक्षी योजना वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत बंदियों को भी लाभ मिल रहा है। जेल में कुछ बंदी ऐसे है जो पहले से ताला बनाना जानते है और कुछ यह काम सीख रहे है। जेल में एक छोटी सी ताला फैक्ट्री बनाई गई है। जिसमे सभी प्रकार की मशीनरी रखी गई है। यहां से बने हुए ताले बाहर की कंपनियों में भेजे जाते है। वही जेल अधीक्षक ब्रजेंद्र सिंह यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि वेस्पा एंटरप्राइजेज के माध्यम से कारागार विभाग के द्वारा एक एमू साइन किया गया है। जो सामान्य रूप से ओजीओपी ओडीओपी की तर्ज पे उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप जेलों में वन जेल वन प्रोडक्ट के अंतर्गत कार्यवाही के रूप में यह चीजें की गई है।

वेस्पा एंटरप्राइजेज के माध्यम से यह चीजें प्रारंभ कराई गई हैं। जिसमे स्टार्टिंग में लगभग 40 से 42 बंदी है। वहा पर प्रशिक्षण और कार्य दोनों कर रहे है। वहीं 15 ऐसे बंदी है जो प्रशिक्षण और कार्य बेहतर कर रहे है। शेष वहा सहायक के रूप में प्रशिक्षण भी प्राप्त कर रहे है और सहायता भी करते रहते है। प्रतिदिन औसत तक तीन से चार दिन दो से ढाई हजार ताले बंदियों के द्वारा निर्मित करके असेंबल किए जाते है। वो संबंधित एंटरप्राइजेज को दे दिए जाते है। मार्केटिंग का कार्य जो है वो उन्ही के द्वारा किया जा रहा है। जो छोटे ताले बनाए जाते है उन पर 85 पैसे निर्माण पर मिलते है और बड़े ताले पर 1 रूपए 90 पैसे का प्रावधान है।

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