Aligarh News: ताला ही नहीं, मूर्तियां भी बन रहीं अलीगढ़ की पहचान, देश-विदेश में हो रही मांग
Aligarh News: दुनिया भर में अलीगढ़ ताला और तालीम के लिए जाना जाता है। लेकिन ताले के कारोबार के साथ-साथ अलीगढ़ में कॉपर, पीतल व जस्ता मिक्स निर्मित मूर्तियां भी बड़े पैमाने पर बनती है।
Aligarh News: दुनिया भर में अलीगढ़ ताला और तालीम के लिए जाना जाता है। लेकिन ताले के कारोबार के साथ-साथ अलीगढ़ में कॉपर, पीतल व जस्ता मिक्स निर्मित मूर्तियां भी बड़े पैमाने पर बनती है। जिसकी मांग देश के अलावा विदेशों तक है।
कृष्ण जन्माष्टमी के लिए लड्डू गोपाल की तैयारी
दरअसल, श्रावण मास के साथ बाजार में त्योहारी तैयारी शुरू हो चुकी हैं। अलीगढ़ के मूर्ति कारोबारीयों ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी शुरू कर दी हैं। मूर्ति कारोबारी विदेशी मांग को ध्यान में रखते हुए लड्डू गोपाल भेजने की तैयारी में जुट चुके हैं। अलीगढ़ के बने लड्डू गोपाल पूरे भारतवर्ष के साथ-साथ दूसरे कई बाहरी मुल्कों में भी जाते हैं। इस बार करीब 10 करोड़ से अधिक के विदेशी आर्डर का अनुमान अलीगढ़ के कारोबारियों द्वारा लगाया जा रहा है।
आजादी के पहले के दौर से बनती रहीं हैं पीतल की मूर्तियां
ताला कारोबार के अलावा ब्रास की बनी मूर्तियों से भी अलीगढ़ की पहचान है। अलीगढ़ ताला कारोबार के साथ ही आजादी के पहले से यहां ढलाई के जरिए पीतल की मूर्तियां बनाने का काम चला रहा है। पहले अलीगढ़ के मूर्ति कारोबारी मूर्तियां खुद बनाकर दिल्ली और मुंबई के बाजार में बेचने जाया करते थे। मगर पिछले कुछ वर्षों से यह कारोबार बहुत तेजी से आगे बढ़ गया है। अब अलीगढ़ में यह कारोबार जयगंज, सराय भूखी, भुजपुरा, पला रोड जैसे कई इलाकों में हो रहा है। इस मूर्ति कारोबार में कई मुस्लिम परिवार भी शामिल है। जो मूर्तियां बनाते हैं।
ऑनलाइन प्लेटफार्म पर भी होती है सप्लाई
अलीगढ़ से बनने वाली लड्डू गोपाल की मूर्तियों की दिल्ली, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे शहरों के अलावा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के ज़रिए कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस में रहने वाले भारतीयों के बीच भारी मांग है।
ये कहना है कारीगरों का
लड्डू गोपाल की मूर्ति बनाने वाले कपिल कुमार वार्ष्णेय बताते हैं कि आने वाला पर्व हमारा जन्माष्टमी का है। लड्डू गोपाल की मूर्ति की सबसे खास बात यह है कि पूरे हिंदुस्तान में सिर्फ अलीगढ़ में ही इसकी मैन्युफैक्चरिंग की जाती है। इसके बाद यह लड्डू गोपाल पूरे देश विदेश में जाते हैं। इस व्यापार से सब तरह के समुदाय के लोग जुड़े हुए हैं। सबसे पहले इसे बनाने के लिए मिट्टी का पीस बनाते हैं। फिर इसका पैटर्न हम बनाते हैं। जिसके बाद इसको पीतल में डेवलप करते हैं। तत्पश्चात इसकी कास्टिंग, पॉलिश वगैरह जैसे कई काम होते हैं। हमारे इन लड्डू गोपाल जी के बनाने में करीब 5000 परिवारों को रोजगार मिलता है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह एक हैंडमेड काम है। पूरे साल का अलीगढ़ से मूर्तियों का 500 से 1000 करोड़ का व्यापार हो जाता है।