यमुना प्रदूषण: HFL से दो सौ मीटर तक निर्माण पर रोक, परियोजना प्रंबधक पर गिरी गाज
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा वष्न्दावन में यमुना नदी के उच्चतम बाढ़ बिन्दु से 200 मीटर तक निर्माण पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने मुख्य सचिव अनुपा
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा वृन्दावन में यमुना नदी के उच्चतम बाढ़ बिन्दु से 200 मीटर तक निर्माण पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने मुख्य सचिव अनुपालन रिपोर्ट मांगी है। साथ ही प्रमुख सचिव द्वारा जल निगम के प्रबंध निदेशक को कोर्ट को गलत जानकारी देने के लिए परियोजना प्रबंधक को निलम्बित करने की जानकारी मिलने के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 18 जनवरी को कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है।
कोर्ट ने कहा है कि सरकारी अधिकारी जवाबी हलफनामा दाखिल करते समय सावधानी बरते और सम्पूर्ण जवाब दाखिल करे ताकि बार बार हलफनामा दाखिल करने में कोर्ट का समय बर्बाद न होने पाये। जवाबी हलफनामा पूरी जिम्मेदारी व तथ्यों के सत्यापन के बाद ही हलफनामे दाखिल हो। राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता शशि नन्दन ने मुख्य सचिव के गलत जानकारी वाले हलफनामे के लिए माफ करने का अनुरोध किया।
यह आदेश जस्टिस अरूण टण्डन तथा जस्टिस राजीव जोशी की खण्डपीठ ने मथुरा के मधु मंगल शुक्ल की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि 10.89 करोड़ की योजना सभी घरों को सीवर लाइन से जोड़ने की मंजूर की गयी है। जब नगर के भवनों का पता ही नहीं तो योजना पर अमल किस तरह होगा। कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद की तरह सीवर वृन्दावन में डाला गया तो पैसे की बर्बादी होगी।
अपर महाधिवक्ता एम.सी चतुर्वेदी व जल निगम के अधिवक्ता वशिष्ठ तिवारी ने कोर्ट को बताया कि लापरवाही बरतने वाले परियोजना प्रबंधक को एक हफ्ते में प्रबंध निदेशक द्वारा निलम्बित कर दिया जायेगा। इस आशय का सरकारी आदेश जारी किया जा चुका है। कोर्ट ने वृन्दावन में 11034 मकान होने के हलफनामे पर नाराजगी जाहिर की थी। मुख्य सचिव ने मथुरा वृन्दावन में घरों की इतनी ही संख्या का हलफनामा दाखिल किया था। जिसे विश्वसनीय नहीं मानते हुए दोषी अधिकारी पर कार्यवाही करने का आदेश दिया था।