HC ने CS से पूछा- हाईवे पर दुर्घटनाओं के बावजूद शराब दुकानों का लाइसेंस क्यों है जारी

Update: 2016-10-17 14:38 GMT

इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने राजमार्गाें के किनारे स्थित शराब की दुकानें हटाने के मामले में प्रदेश के मुख्य सचिव से हलफनामा मांगा है।

लाइसेंस न देने का किया अनुरोध

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने शराब की दुकानों के चलते बढ़ती दुर्घटनाओं पर चिंता जताते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव को मई 2016 में एक पत्र भेजा था। पत्र में अनुरोध किया गया था कि वो नेशनल हाईवे पर शराब की नई दुकानों को लाइसेंस न दें। इस पर कोर्ट ने सोमवार को जानना चाहा कि मुख्य सचिव ने प्राधिकरण के इस पत्र पर संज्ञान लेकर क्या कार्रवाई की।

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5 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान

अपर आबकारी आयुक्त ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि 17 फीसदी दुकानें राजमार्गाें पर स्थित हैं। यदि इन्हें शिफ्ट किया गया तो 5 हजार करोड़ के राजस्व का नुकसान होने की संभावना है। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से पक्ष स्पष्ट करने को कहा है। याचिका की अगली सुनवाई 2 नवम्बर को होगी।

ये आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने श्रेष्ठ प्रताप सिंह की जनहित याचिका पर दिया है।

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ये था याची का कहना

याची का कहना है कि प्राधिकरण के पत्र पर राज्य सरकार को विचार कर नए लाइसेंस न देने और वर्तमान शराब की दुकानों को हाईवे से शिफ्ट किया जाए। क्योंकि राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्थित शराब की दुकानों के कारण ड्राइवर शराब पीकर वाहन चलाते हैं। इससे आए दिन दुर्घटनाएं घाट रही हैं। कोर्ट ने प्राधिकरण के पत्र को गंभीरता से लिया और राज्य सरकार को अपना पक्ष स्पष्ट करने का निर्देश दिया है।

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