बिना सुने नहीं छीन सकते ग्राम प्रधान के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकारः हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल के रामनगर टप्पा वैश ग्राम पंचायत के प्रधान ममता देवी की वित्तीय व प्रशासनिक शक्ति छीनने के जिलाधिकारी के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पंचायतराज अधिनियम की धारा 95 (1) (जी) के तहत ग्राम प्रधान को कारण बताओ नोटिस दिये बगैर जिलाधिकारी ने यह आदेश पारित किया था।

Update: 2019-02-28 13:47 GMT

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल के रामनगर टप्पा वैश ग्राम पंचायत के प्रधान ममता देवी की वित्तीय व प्रशासनिक शक्ति छीनने के जिलाधिकारी के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पंचायतराज अधिनियम की धारा 95 (1) (जी) के तहत ग्राम प्रधान को कारण बताओ नोटिस दिये बगैर जिलाधिकारी ने यह आदेश पारित किया था। कोर्ट ने कहा है कि सुनवाई का मौका दिये बगैर जिलाधिकारी को ग्राम प्रधान की शक्तियां छीनने का विधिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने डीएम संभल को कारण बताओ नोटिस देकर नियमानुसार कार्यवाही करने की छूट दी है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति बी.के.विरला ने ममता देवी की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अरविन्द कुमार मिश्र ने बहस की। याचिका में ग्राम प्रधान के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार छीनने के जिलाधिकारी के 19 जनवरी के आदेश की वैधता को चुनौती दी गयी थी। याची अधिवक्ता का कहना था कि विधायक की शिकायत पर बिना जांच किये उसकी शक्तियां छीन ली गयी और आदेश में बनवारी सिंह की शिकायत का हवाला दिया गया है।

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शिकायत नियम 3 के विपरीत होने के कारण विचारणीय नहीं है। कोर्ट ने विवेकानंद यादव केस में पूर्णपीठ के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि प्रधान को उसके खिलाफ की गयी शिकायत पर आपत्ति करने का अधिकार नही हैं वह यह नहीं कह सकता कि रिपोर्ट या शिकायत नियम 3 के विपरीत है। कोर्ट ने इस तर्क को अस्वीकार कर दिया किन्तु सुनवाई का मौका दिये बगैर ग्राम प्रधान की शक्तियां छीनने के आदेश को विधिविरुद्ध माना और जिलाधिकारी के आदेश को रद्द कर दिया है तथा नये सिरे से नियमानुसार कार्यवाही करने की छूट दी है।

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