लिव इन रिलेशन मामला: HC ने कहा- क्यों ना पुलिस विभाग पर लगाएं भारी जुर्माना

अपनी मर्जी से लिव इन रिलेशन मे रह रही बरेली की एक बालिग लड़की को लड़के से अलग कर उसे निरुद्ध करना बरेली के पुलिस प्रशासन को महंगा पड़ सकता है।

Update:2017-06-24 18:39 IST
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इलाहाबाद: अपनी मर्जी से लिव इन रिलेशन मे रह रही बरेली की एक बालिग लड़की को लड़के से अलग कर उसे निरुद्ध करना बरेली के पुलिस प्रशासन को महंगा पड़ सकता है। लिव इन रिलेशन में रह रहे इन बालिग जोड़ों ने पुलिसिया कार्यवाही के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ली है और कहा है कि वे बालिग हैं उन्हें अपनी इच्छा से जीवन जीने का हक है। इन बालिग जोड़ों का कहना है कि वे साथ-साथ रह रहे हैं। उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है।

जस्टिस अरूण टंडन और जस्टिस अशोक कुमार की पीठ ने बरेली के इन दोनों बालिग जोड़ों नीतू और नजरूल हसन की याचिका पर मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएसपी बरेली से इस पूरे घटनाक्रम पर हलफनामा मांगा है।

लड़की को लड़के से अलग कर महिला अस्पताल में निरूद्ध करने वाले दरोगा को कोर्ट ने मुकदमे की सुनवाई की तिथि 28 जून को तलब की है। यही नहीं कोर्ट ने कहा है कि पुलिस की इस गलती के लिए क्यों न विभाग पर भारी हर्जाना लगाया जाए।

दोनों बालिग जोड़े कई महीने से लिव इन रिलेशन में रह रहे थे। लड़की के परिवार वालों ने मुकदमा दर्ज करा दिया। पुलिस ने लड़की को उठा लिया और मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। लड़की की उम्र को लेकर विवाद के चलते उसे बाल कल्याण संस्थान के सामने पेश किया गया, लेकिन वहां से फिर उसे एडीजे के सामने पेश किया गया।

आदेश मिलने पर लड़की को नारी निकेतन ले जाया गया, लेकिन वहां भी एडमिट न करने पर उसे महिला अस्पताल में पुलिस ने निरूद्ध किया। हाईकोर्ट के संज्ञान में मामला आने पर कोर्ट ने पुलिस से पूछा है कि वह बताए बालिग लड़की को पुलिस किस कानून से बंधक बना कर रख सकती है। दरोगा जे.पी.रावत को कोर्ट ने केस की सुनवाई के दिन हाजिर रहने का आदेश दिया है।

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