Allahabad High Court: मेडिकल कॉलेज रिश्वत मामले में फंसे इलाहाबाद HC के रिटायर्ड जज, CBI ने दाखिल किया चार्जशीट

Allahabad High Court: मेडिकल कॉलेज रिश्वत मामले में सीबीआई ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज एसएन शुक्ला के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया है।

Newstrack :  Network
Published By :  Chitra Singh
Update:2021-12-18 10:32 IST

सीबीआई ऑफिस- एसएन शुक्ला (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

Allahabad High Court: सीबीआई ने गुरुवार (16 दिसंबर) मेडिकल कॉलेज रिश्वत मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज (Allahabad High Court retired judge) एसएन शुक्ला ( SN Shukla) के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया है। यह चार्जशीट सरकार के आदेश के बाद दाखिल किया है।

इस मामले पर सीबीआई के अधिकारियों ने देते हुए कहा कि रिटायर्ड जज एसएन शुक्ला पर आरोप है कि "उन्होंने अपने आदेशों में एक निजी मेडिकल कॉलेज का पक्ष लिया था।" जानकारी के मुताबिक, सीबीआई ने एसएन शुक्ला के अलावा कई अन्य आरोपियों पर भी शिकंजा कसा है। सीबीआई ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज आईएम कुद्दूसी, भगवान प्रसाद यादव और प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के पलाश यादव के खिलाफ भी एक्शन लिया है।

बताया जा रहा है कि सीबीआई ने इस मामले में लगभग 46 कॉलेजों को शार्टलिस्ट किया है। ये वो कॉलेज हैं जिसे 2017 में कुछ सुविधाओं की कमी की वजह से सरकार ने छात्रों का एडमिशन 2 वर्ष के लिए रोक दिया था, जबकि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (Medical Council of India) और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति दी थी।

मिली जानकारी के अनुसार, इस मामले में प्रसाद एजुकेशनल ट्रस्ट (Prasad Educational Trust) के अध्यक्ष बीपी यादव (BP Yadav), आईएम कुद्दूसी, भावना पांडे और वेंकटेश्वर मेडिकल कॉलेज (मेरठ) के सुधीर गिरि का नाम सामने आया है। इन लोगों ने अवैध तरीके से एसएन शुक्ला के माध्यम से आदेश प्राप्त किया था।

सीबीआई के अधिकारियों ने इस बारे में बताया कि प्रवेश पर लगे रोक लगाने के निर्णय को ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका के माध्यम से चुनौती द, जिसके बाद याचिका वापस ले ली गई। फिर 24 अगस्त 2017 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ पीठ के समक्ष एक और रिट याचिका दाखिल की गई, जिस पर पीठ ने कॉलेज के पक्ष में निर्णय लिया। इस पीठ में जस्टिस एसएन शुक्ला भी मौजूद थे। उन्होंने कॉलेज में प्रवेश की इजाजत देकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की।

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