इलाहाबाद हाईकोर्ट का सख्त निर्देश, रिटायरमेंट के दिन ही हो सेवा लाभों का भुगतान
कोर्ट ने कहा कि यदि कोई वैधानिक अड़चन न हो तो भुगतान में देरी न की जाए। यदि समय के भीतर भुगतान नहीं होता तो वास्तविक भुगतान किये जाने तक ब्याज का भुगतान किया जाए। ब्याज का भुगतान राज्य सरकार करेगी तथा वह संबंधित लापरवाह कर्मी से इसकी वसूली कर सकती है।
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के रिटायरमेंट के बाद पेंशन और ग्रेच्युटी आदि के भुगतान में देरी पर सख्त रूख अपनाया है। कोर्ट ने कहा है कि सेवानिवृत्ति तिथि की शाम को सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान कर दिया जाए।
रिटायरमेंट के साथ भुगतान
-कोर्ट ने कहा कि यदि कोई वैधानिक अड़चन न हो तो भुगतान में देरी न की जाए।
-यदि समय के भीतर भुगतान नहीं होता तो वास्तविक भुगतान किये जाने तक ब्याज का भुगतान किया जाए।
-ब्याज का भुगतान राज्य सरकार करेगी तथा वह संबंधित लापरवाह कर्मी से इसकी वसूली कर सकती है।
-यदि कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गया हो तो उसको मिलने वाले परिलाभों से वसूली की जा सकती है।
-कोर्ट ने कहा कि परिलाभों का भुगतान करने में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारी के खिलाफ कदाचार की नियमानुसार कार्यवाही की जाए।
-हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि नियमावली के अनुसार कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने के छह माह पहले औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएं ताकि सेवानिवृत्ति के बाद तत्काल भुगतान किया जाए।
ब्याज समेत हो भुगतान
-यह आदेश न्यायमूर्ति पी.के.एस.बघेल ने झांसी के योगेंद्र सिंह व दो अन्य की याचिका पर दिया है।
-याची के पिता किशन चौधरी समाज कल्याण विभाग झांसी में सहायक विकास अधिकारी पद पर तैनात थे। 26 साल की सेवा के बाद उनकी मौत हो गई।
-याचीगण ने सेवानिवृत्ति व मृत्यु से मिलने वाले परिलाभों के भुगतान की मांग की। पारिवारिक पेंशन का भुगतान नहीं किया गया। तीन साल बाद ग्रेच्युटी पेंशन दी गयी किन्तु ब्याज नहीं दिया गया।
-कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग को निर्देश दिया है कि वह याची को 9 फीसदी ब्याज के साथ समस्त परिलाभों का भुगतान एक माह में करे और साथ ही जीपीएफ का भी भुगतान किया जाए।
(फोटो साभार:इंडियनलायर.वर्डप्रेस)