हाईकोर्ट ने कहा- किसानों से 10 प्रतिशत रिकवरी चार्ज नहीं वसूल सकते तहसीलदार
लखनऊ: हाईकोर्ट की अवकाशकालीन पीठ ने प्रदेश के सीमांत व गरीब किसानों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा है कि रेवेन्यू ऑफिसर कर्ज की वसूली करते समय किसानों द्वारा जमा की जाने वाली राशि का 10 प्रतिशत रिकवरी चार्ज के रूप में नहीं वसूल सकते हैं।
कोर्ट ने रेवेन्यू सेक्रेटरी को आदेश दिया है कि वे सभी तहसीलदारों व अन्य राजस्व अधिकारियों को इस संबंध में एक निर्देश जारी करें। जिसके तहत रिकवरी सर्टिफिकेट जारी करते समय उसमें रिकवरी चार्जेज रिकवरी खर्च या अन्य खर्च जैसे शब्द न प्रयोग करें।
10 फीसदी राशि की वसूली अवैध
कोर्ट ने इस बात का कड़ा संज्ञान लिया कि अभी तक रिकवरी सर्टिफिकेट जारी करते समय उसमें अन्य रिकवरी खर्च के नाम पर तहसीलदार 10 प्रतिशत राशि और जोड़ दिया करते थे और वसूली जाने वाली राशि में से 10 प्रतिशत काटकर किसान के खाते में बैंक में जमा की जाती थी। कोर्ट ने कहा है कि 10 प्रतिशत रिकवरी चार्ज वसूलने का कोई नियम नहीं है। अतः तहसीलदारों द्वारा यह वसूली मनमानी व अवैध है।
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यह आदेश जस्टिस विवेक चैधरी की बेंच ने कृष्ण बहादुर सिंह व अन्य की ओर से अलग-अलग दायर रिट याचिकाओं पर एक साथ पारित किया।
आये दिन आते हैं ऐसे मामले
कोर्ट ने कहा, कि बैंकों से लिया कर्ज न चुका पाने की स्थिति में बैंकों के कहने पर तहसीलदार किसानों व गरीबों के खिलाफ वसूली हेतु रिकवरी सर्टिफिकेट जारी करते हैं। इसमें अपने खर्च के लिए 10 प्रतिशत की रकम और जोड़ देते हैं। ऐसे मामले रोज कोर्ट के सामने आते हैं।
कोर्ट ने दिखाया आईना
कोर्ट ने कहा, कि यह रिकवरी यूपी रेवेन्यू कोड 2006 की धारा 180 व यूपी रेवेन्यू कोड रूल्स 2016 के नियम 178 व 179 के तहत जारी की जाती है। इसमें 10 प्रतिशत वसूली चार्ज लेने का कहीं प्रावधान नहीं है। इसमें केवल इतना है कि रिट ऑफ डिमांड के लिए पांच रुपए व रिट ऑफ अरेस्ट जारी करते समय 10 रुपए वसूल किए जा सकते हैं। इसके मददेनजर कोर्ट ने रेवेन्यू सेक्रेटरी को अपने मातहत अफसरों को जरूरी निर्देश जारी करने के आदेश दिए हैं।
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यह है मामला
बहराइच के महसी तहसीलदार ने याचियों के खिलाफ 12 लाख 85 हजार रुपए की रिकवरी गत 5 मई महीने में जारी की। जिसके बाद याचियों ने 99 हजार रुपए जमा किए। जिसमें से तहसीलदार ने 10 प्रतिशत काटकर बैंक में जमा किए। इस पर कोर्ट ने तहसीलदार को उक्त राशि वापस याचगणों के बैंक खाते में जमा करने के आदेश दिये हैं। साथ ही जिलाधिकारी को भी कहा कि वे देखें कि तहसीलदार ने किस अधिकार से ऐसा किया। कोर्ट ने याची को दो माह में दो लाख रुपए जमा करने व शेष एक वर्ष में जमा करने के आदेश दिये हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने उपरोक्त आदेश भी पारित किये।