Gorakhpur News: प्रयागराज महाकुंभ में भव्य व्यवस्था से पूरा विश्व चकित, बोले जगद्गुरु शंकराचार्य विधुशेखर भारती
Gorakhpur News: विजय यात्रा लेकर गोरखपुर पधारे जगद्गुरु शंकराचार्य विधुशेखर भारती सन्निधानम ने कहा है कि प्रयागराज महाकुंभ में भव्य व्यवस्था से पूरा विश्व चकित है।;
Gorakhpur News -Jagadguru Shankaracharya Vidhushekhar Bharti ( Pic- Social- Media)
Gorakhpur News: श्रृंगेरी शारदा पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री भारती तीर्थ महासन्निधानम के मंगलमय आशीर्वाद और दिव्य आदेश से विजय यात्रा लेकर गोरखपुर पधारे जगद्गुरु शंकराचार्य विधुशेखर भारती सन्निधानम ने कहा है कि प्रयागराज महाकुंभ में भव्य व्यवस्था से पूरा विश्व चकित है। इस महाकुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या 50 करोड़ होने जा रही है। यह संख्या भारत के बारे में विषवमन करने वाले कई देशों की जनसंख्या से भी अधिक है। शंकराचार्य जी ने कहा कि महाकुंभ में भव्य व्यवस्था देखकर न केवल उनका मन बेहद आनंदित हुआ है बल्कि उन्होंने जिस किसी भी भक्त या श्रद्धालु से पूछा है, सब के सब लोगों ने व्यवस्था को अत्यंत आनंददायी और सुव्यवस्थित बताया है।
जगद्गुरु शंकराचार्य विधुशेखर भारती सन्निधानम जी विजय यात्रा (11 से 13 फरवरी) के दूसरे दिन बुधवार शाम गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति भवन सभागार में वेदपाठी विद्यार्थियों और अध्यापकों को शंकर वचन (आशीर्वचन) दे रहे थे। शंकराचार्य जी ने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ की भव्य व्यवस्था से दुनिया को सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब सनातन आस्था वाले सन्यासी मुख्यमंत्री बनते हैं तो ऐसा ही व्यापक परिवर्तन देखने को मिलता है जैसा योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि न केवल प्रयागराज महाकुंभ बल्कि काशी और अयोध्या में भी भव्य व्यवस्था की गई है। हर जगह भक्तों का धर्म के प्रति उद्घोष देखकर ह्रदय आनंदित हो रहा है।
जगद्गुरु शंकराचार्य विधुशेखर भारती ने कहा कि हमारे लिए धर्म और देश दोनों दो आंखें होनी चाहिए क्योंकि दोनों का उद्देश्य समाज राष्ट्र और विश्व का कल्याण है। धर्म और देश दोनों पर सामान चिंतन से ही श्रेया प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसे नेता चाहिए जो देश और धर्म दोनों की भलाई के लिए कार्य करें और इसे अपना कर्तव्य समझे। इस कसौटी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों ही धर्म और देश को समान भाव से देखते हैं। दोनों की श्रद्धा धर्म और देश के प्रति देखते ही बनती है। शंकराचार्य जी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश की भलाई के लिए लगातार प्रयत्नशील रहते हैं। उन्होंने महाकुंभ में इतनी बड़ी व्यवस्था की है जिसकी प्रशंसा देश और विदेश के लोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह सिर्फ इसलिए नहीं कह रहे कि उन्हें महाकुंभ में अच्छी सुविधा प्राप्त हुई, बल्कि जो भी भक्त या श्रद्धालु उनसे मिलने आए सबका यही अभिमत रहा है। शंकराचार्य जी ने आशीर्वाद दिया और ईश्वर से यह भी प्रार्थना की कि योगी आदित्यनाथ को उनके सुव्यवस्थित शासन से निरंतर विशिष्ट स्थान प्राप्त होता रहे।
बकवास करने वालों से सावधान रहने की आवश्यकता
जगद्गुरु शंकराचार्य विधुशेखर भारती ने कहा कि देश में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनमें कुछ प्रतिभा तो है लेकिन जब उनकी प्रशंसा अधिक हो जाती है तो उन्हें लगने लगता है कि वह जो भी कहेंगे तो लोग उसे सुनते रहेंगे। ऐसे लोग उन विषयों पर भी कुछ न कुछ बकवास करने लगते हैं जिनका उनसे कोई संबंध नहीं है। ऐसे लोगों के बकवास से सावधान रहना चाहिए शंकराचार्य जी ने कहा कि एक अंधा व्यक्ति बाकी अंधे व्यक्तियों को मार्ग दिखाएं यह संभव नहीं है।
अनादि काल से आचरण में रहने वाला धर्म है सनातन
सनातन धर्म के मर्म को समझाते हुए जगतगुरु शंकराचार्य ने कहा कि सनातन धर्म अनादि काल से आचरण में रहने वाला धर्म है इसका आरंभ नहीं है और अंत भी नहीं है। कुछ लोग कहते हैं कि इसका अंत हो सकता है पर इस पर जवाब देने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि, भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में इसे स्पष्ट कर दिया है कि जब-जब धर्म पर संकट आएगा तब तब ईश्वर अवतार लेकर इसकी रक्षा करेंगे। शंकराचार्य जी ने कहा कि अलग-अलग कालखंड में संकट की परिस्थितियों के अनुरूप ही ईश्वर के अवतार भी हुए हैं। मत्स्य अवतार भिन्न है तो नृसिंह, परशुराम, श्रीराम और श्रीकृष्ण अवतार भिन्न-भिन्न। उन्होंने कहा कि संकट की परिस्थितियों के अनुसार ही हमें भी उसी के अनुरूप धर्म की रक्षा के लिए तैयार होना होगा। शंकराचार्य जी ने कहा कि कई लोग यह प्रश्न उठते हैं कि आधुनिक समय में धर्म की क्या आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दुनिया में आधुनिकता बढ़ी है, इस पर संदेह नहीं। सुविधाओं के होने के बावजूद व्यक्ति की सुख प्राप्त करने की इच्छा पूरी नहीं हो पा रही है इसका कारण यह है कि लोग धर्म का आचरण नहीं कर पा रहे। सुख प्राप्त करने के लिए धर्म का आचरण करना होगा और दुख दूर करने के लिए धर्म का मार्ग छोड़ना पड़ेगा।