नेताओं के अपशब्दों से हाईकोर्ट नाराज, अभिव्यक्ति की सीमा पर होगी बहस

Update: 2016-07-27 14:45 GMT

लखनऊ: हाईकोर्ट ने राजनेताओं द्वारा पब्लिक प्लेस में अश्लील टिप्पणियां किए जाने पर कड़ा संज्ञान लिया है। कोर्ट ने दो वरिष्ठ वकीलों को एमीकस क्यूरी नियुक्त कर उनसे अभिव्यक्त की आजादी की सीमा और अन्य के खिलाफ अश्लील बयान पर प्रभावित व्यक्ति के कानूनी अधिकारों को तय करने में अदालत की मदद करने की गुजारिश की है। कोर्ट ने इस संबंध मे 29 जुलाई को विस्तृत आदेश पारित करने की बात कही।

कोर्ट ने जाहिर किया अफसोस

-जस्टिस एपी साही और जस्टिस विजय लक्ष्मी की बेंच ने नेताओं के बीच अमर्यादित शब्दावली के बढ़ते चलन पर अफसोस जाहिर किया।

-बेंच ने कहा कि पब्लिक प्लेस पर कई बार ऐसी भाषा का प्रयोग होता है, जिससे उधर से गुजरने वाले का सीधा संबध नहीं होता, लेकिन वह उसको सुनने को बाध्य होता है।

-ऐसे में क्या उस राहगीर को कोई अधिकार है कि ऐसा कृत्य करने वाले के खिलाफ कोई कानूनी उपचार प्राप्त कर सके।

जफरयाब जिलानी और राघवेंद्र सिंह कोर्ट मित्र

-कोर्ट ने ऐसे तमाम सवालों के जवाब तक पहुंचने के लिए सपा सरकार के मौजूदा अपर महाधिवक्ता और वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी और भाजपा के लीगल सेल के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक और वरिष्ठ वकील राघवेंद्र सिंह को कोर्ट का मित्र नियुक्त करने को कहा है।

-कोर्ट के पूछने पर बसपा सरकार के पूर्व महाधिवक्ता और वरिष्ठ वकील ज्योतिंद्र मिश्रा ने एमीकस क्यूरी बनने से इनकार कर दिया।

-कोर्ट ने अधिक से अधिक वरिष्ठ वकीलों को एमीकस क्यूरी बनाकर मदद लेने की बात कही है।

-सामाजिक कार्यकर्ता ममता जिंदल ने याचिका दायर हजरतगंज चौराहे पर गत दिनों प्रशासन की अनुमति के बिना प्रदर्शन करने के दौरान मूक दर्शक बने रहने वाले प्रशासनिक अधिकारिेयो के लिखाफ कार्यवाही की मांग की है।

याची ने क्या कहा?

-याची की ओर से बहस करते हुए भाजपा के मानवाधिकार प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक और वकील कुलदीप पति त्रिपाठी ने कहा कि जिस प्रकार प्रदर्शन के दौरान अश्लील नारेबाजे की गई वह कतई गलत है। उस दौरान वहां से आम जनता के तमाम लोग गुजर रहे थे, जिन्हें ये भाषा सुनकर बुरा लगा।

-त्रिपाठी ने कहा कि प्रशासन के लोग वहां हाथ बांधे खड़े थे। एक दिन पहले शिक्षा अनुदेशकों पर प्रदर्शन के दौरान लाठी भांजने वाली पुलिस बसपा के अवैध प्रदर्शन के दौरान शांत क्यों रही?

बीएसपी नेताओं को बनाया पक्षकार

-याचिका को देखने के बाद कोर्ट ने इस बात से सहमति प्रकट की कि जब दो लोग एक दूसरे पर अश्लील शब्दों के बाण चलाते हैं तो तीसरे के अधिकारों पर भी उसका विपरीत प्रभाव पड़ता है।

-कोर्ट ने याची के वकील को इस विषय पर और रिसर्च कर याचिका मे सप्लीमेंटरी के जरिए पेश करने को कहा।

-साथ ही कोर्ट ने याची से आगे कहा कि उस दिन जो नेता चैराहे पर मौजूद थे, उन्हें पक्षकार बनाएं जिससे कि कोर्ट उनको नेाटिस जारी कर उनका पक्ष भी सुने।

क्या है पूरा मामला

बीजेपी के पूर्व उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने पिछले दिनों बीएसपी सुप्रीमो मायावती के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग किया था। इसके विरोध में बीएसपी नेताओं ने प्रदर्शन किया गया। इसमें दयाशंकर सिंह की बेटी और पत्नी को लेकर आपत्तिजनक नारे लगाए गए। दोनों पक्षों की ओर से एक-दूसरे के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है।

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