इलाहाबाद विवि स्थापना दिवस पर हुए दो आयोजन एक में गुस्सा, दूसरे में नसीहत
प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के 133वें स्थापना दिवस पर आज ऐतिहासिक रूप से दो कार्यक्रम हुए पहला कार्यक्रम रॉयल गार्डेन में इलाहाबाद विश्वविद्यालय संयुक्त संघर्ष समिति और पुराछात्रों द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें विश्व विद्यालय के वर्तमान हालात के प्रति तीखे आक्रोश का इजहार किया गया।
प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के 133वें स्थापना दिवस पर आज ऐतिहासिक रूप से दो कार्यक्रम हुए पहला कार्यक्रम रॉयल गार्डेन में इलाहाबाद विश्वविद्यालय संयुक्त संघर्ष समिति और पुराछात्रों द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें विश्व विद्यालय के वर्तमान हालात के प्रति तीखे आक्रोश का इजहार किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारम्भ द्वीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्ति न्यायमूर्ति सभाजीत यादव ने की।
सीबीआई से जांच कराने की आवश्यकता
स्थापना दिवस व्याख्यान करते हुए प्रो. रमाचरण त्रिपाठी ने कहा कि " विश्वविद्यालय की वर्तमान दुर्दशा को देखते हुए विश्वविद्यालय की सीबीआई से जांच करवाने की नितांत आवश्यकता है। हम समस्त पुराछात्रों को यह समझने की जरूरत है कि हम सब मिलकर विश्वविद्यालय को किन ऊचाइयों तक ले जाना चाहते हैं। हम अपने विश्वविद्यालय की वर्तमान दुर्दशा को देखते हुए यह मांग करते हैं कि विश्वविद्यालय के लिए भी लोकपाल की आवश्यकता है।
इनका किया अभिनंदन
इसके उपरांत अभिनंदन कार्यक्रम के तहत प्रो. रमाचरण त्रिपाठी जी, प्रो. रंजना कक्कड़,न्यायमूर्ति सभाजीत यादव, आर एस वर्मा , बादल चटर्जी , तेज प्रताप सिंह , राधाकांत ओझा, सतीश अग्रवाल , विनोद चंद्र दुबे, डॉ. सुशील सिन्हा, हौसला प्रसाद तिवारी, विनय चंद्र पांडेय , राकेश धर त्रिपाठी , टी पी सिंह, यू यस राय का अभिनन्दन किया।
बादल चटर्जी भी बरसे
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के बारे में अपने संस्मरण सुनते हुए पूर्व कमिश्नर बादल चटर्जी जी ने कहा कि विश्वविद्यालय में वर्तमान में भ्रष्ट लोगों की भरमार हो गयी है, ऐसे भ्रष्ट तत्वों को हटाए विना विश्वविद्यालय को बचाया नही जा सकता। हम सब को यह गंभीरता से सोचने की जरूरत है कि विश्वविद्यालय को बचाएं कैसे और इसे कैसे इसकी पुरानी गरिमा दिलाएंगे।
जनलोकपाल के गठन की आवश्यकता
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए न्यायमूर्ति सभाजीत यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है। इस विश्वविद्यालय को बचाने के लिए सरकारी लोकपाल नही , जन लोकपाल गठित करने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय में व्याप्त कैंसर के इलाज के लिए गंभीर संघर्ष करना पड़ेगा। पूर्व मंत्री राकेश धर त्रिपाठी जी ने छह प्रस्ताव रखे जिसे सभा ने सर्वसम्मति से पास कर दिया ।
कार्यक्रम में छात्रनेता संजय तिवारी , सुरेश यादव , दिनेश यादव , ऋचा सिंह भूपेंद्र यादव, रोहित मिश्रा रिशु सिंह , सूर्य प्रकाश मिश्रा रितेश तिवारी ज्ञान शुक्ला , और सैकड़ों छात्र उपस्थित थे। इसके अलावा कर्मचारी संघ के अखिलेश श्री वास्तव , हौसला प्रसाद तिवारी मुस्ताक जी इत्यादि उपस्थित रहे। कार्य क्रम के अंत मे उपस्थित लोंगो ने गार्डन से लाल पद्मधर की मूर्ति तक कैंडल मार्च किया।
दूसरे कार्यक्रम के अतिथि रहे कलराज मिश्र
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के 133वें स्थापना दिवस पर दूसरा कार्यक्रम विवि के सीनेट हाल में हुआ जिसमे मुख्य अतिथि राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र रहे। कलराज मिश्र ने मंच से तमाम प्रोफेसर्स व कुलपतियों को याद किया। राज्यपाल ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के लिए जो भी कहा जाए वह कम है। उन्होंने 1857 की क्रांति को भी याद किया और कहा कि उस दौरान यह शहर क्रांति का केंद्र बिंदु था। यहां पर पंडित मोतीलाल नेहरू जैसे अनेक महान क्रांतिकारी हुए जिन्होंने अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहे महान गणितज्ञ डॉक्टर गोरख प्रसाद और डॉक्टर हरिश्चंद्र को भी याद किया।
राजस्थान के राज्यपाल ने आरएसएस व बीजेपी से जुड़े रहे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व शिक्षक पूर्व सरसंघचालक राजेंद्र सिंह रज्जू भैया और डॉ. मुरली मनोहर जोशी को भी याद किया। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद की यह धरती विशिष्ट व्यक्तियों की धरती है। भगवान ने भी यहां अमृत को छलकाया था जिसका रसपान करने आज भी दुनिया यहां एकत्रित होती है।
राजनीति विश्वविद्यालय से बाहर आकर करें
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही सदर सांसद डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने अपने अतीत को याद करते हुए विश्वविद्यालय की माटी को नमन किया। उन्होंने कहा कि 37 वर्षों तक विश्वविद्यालय से मेरा सरोकार रहा। मैं 4 वर्ष यहां की विद्यार्थी रही और 33 वर्ष यहां पर मैं शिक्षिका के तौर पर कार्यरत रही।
उन्होंने कहा कि अब वह समय नहीं है कि आप विश्वविद्यालय में राजनीति करके किसी को ऊंचा नीचा दिखाने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि जिसे राजनीति करनी है उसे कैंपस से बाहर आना चाहिए और सियासी मैदान में दो -दो हाथ करना चाहिए। विश्वविद्यालय में सभी को ध्यान में रखते हुए काम होना चाहिए। विश्वविद्यालय में शोध होने चाहिए। खाली पड़े शिक्षकों के पदों को भरने की बात होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि यहां के गौरवाशाली पठन-पाठन का इतिहास ही है कि इस विवि को पूरब का आक्सफोर्ड कहा जाता है। इस छवि को बनाए रखने की सबकी जिम्मेदारी है। कुलपति प्रोफेसर रतनलाल हंगलू ने विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे कामों का जिक्र करते हुए विश्वविद्यालय के गौरवशाली परंपराओं पर चर्चा की।