मानदंडों के विपरीत शिक्षकों की नियुक्तियां करने के आरोपों पर यूपी सरकार से जवाब तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने भाषा शिक्षकों से संबंधित यूपी टीईटी परीक्षा एनसीटीई द्वारा तय मानदंडों के विपरीत करने के आरोपों पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने सरकार से दो सप्ताह में इस संबंध में हलफनामा दाखिल करते हुए स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।

Update:2017-05-03 00:15 IST

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने भाषा शिक्षकों से संबंधित यूपी टीईटी परीक्षा एनसीटीई द्वारा तय मानदंडों के विपरीत करने के आरोपों पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने सरकार से दो सप्ताह में इस संबंध में हलफनामा दाखिल करते हुए स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।

यह आदेश जस्टिस एपी साही और जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने नूतन ठाकुर की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया। याचिका में भाषा शिक्षकों से संबंधित साल 2013 और 2014 की यूपी-टीईटी परीक्षा एनसीटीई द्वारा निर्धारित गाइडलाइंस के अनुसार नहीं होने का आरोप लगाया गया है। याचिका में भाषा शिक्षकों की सभी टीईटी परीक्षाएं और इनके आधार पर किए जा रहे उर्दू शिक्षकों की भर्ती को निरस्त करने की मांग की गई है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सरकार के 8 मई 2014 के हलफनामे में कहा गया था कि यूपी बेसिक शिक्षा शिक्षक सेवा नियमावली-1981 के अनुसार उर्दू समेत सभी भाषाओं के लिए अलग-अलग शिक्षकों की आवश्यकता है। हलफनामे में यह भी कहा गया कि परीक्षा के लिए सरकार को पाठ्यक्रम बदलने का भी अधिकार है।

जबकि याची का दावा है कि अब भी गलत पाठ्यक्रम के अनुसार परीक्षा ली जा रही है। याची पक्ष की ओर से 11 मार्च 2016 को आरटीआई के तहत प्राप्त सूचना भी प्रस्तुत की गई जिसके अनुसार एनसीटीई के नियम सभी जगहों के लिए समान हैं और भाषा परीक्षा के लिए कोई अलग पाठ्यक्रम नहीं है।

इस पर कोर्ट ने कहा कि आरटीआई से प्राप्त सूचना से यह भी स्थापित होता है कि सरकार ने एनसीटीई के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है। यही नहीं परीक्षा में मात्र वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाने चाहिए थे, न कि निबंधात्मक प्रश्न।

कोर्ट ने कहा कि स्वयं एनसीटीई ने राज्य सरकार की परीक्षा को साल 2011 के गाइडलाइंस के विरुद्ध बताया है। लिहाजा सरकार स्पष्ट करे कि किन परिस्थितियों में एनसीटीई के निर्देशों का उल्लंघन किया गया। राज्य सरकार द्वारा पूर्व में दाखिल किए गए जवाब में उक्त तथ्य स्पष्ट नहीं है। जबकि यह महत्वपूर्ण प्रश्न है। कोर्ट ने एनसीटीई को भी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। मामले की अग्रिम सुनवाई 17 मई को होगी।

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