मायावती की मूर्ति तोड़ने वाले ​अमित जानी अब हिन्दू सम्मेलन कर गरमाएंगे राम मंदिर सियासत

Update:2018-02-04 15:41 IST

लखनऊ : यूपी में राम मंदिर निर्माण मुद्दा फिर गरमा रहा है। पहले ही उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी सूर्य कुमार शुक्ला ने राम मंदिर निर्माण की शपथ ले कर सनसनी मचा रखी है। अब मायावती की मूर्ति तोड़कर रातों-रात सुर्खियां बटोरने वाले अमित जानी ने लखनऊ में धर्म संसद की बैठक बुलाने का ऐलान कर सियासी खेमों में सरगर्मी बढा दी है। धर्म संसद की बैठक कब होगी, इसकी तारीख सोमवार को राजधानी के डालीबाग स्थित गन्ना संस्थान में होने वाले हिंदू स्वाभिमान सम्मेलन में तय होगी। इसमें डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा समेत देशभर के जाने-माने धर्माचार्यों और मंदिरों के महंतों को आमंत्रित किया गया है।

आजम, रामगोपाल, नरेश रहे निशाने पर

माल एवेन्यू स्थित एक होटल में पत्रकारों को संबोधित करते समय 'जानी' के तेवर बदले-बदले से दिखे। कासगंज​​ हिंसा, दिल्ली में अंकित हत्याकांड का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि देश पाकिस्तान बनने की तरफ अग्रसर है। पूर्व मंत्री आजम खां, सेना के खिलाफ बयान देते हैं। वह राष्ट्रविरोधी बात करें और यूपी की सदन खामोश रहे। सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि (कासगंज हिंसा में)खुद गोली मार देते हैं, हंगामा करते हैं, किसी और पर इल्जाम लगाते हैं। देश की संसद में सांसद नरेश अग्रवाल प्रभु श्रीराम के विषय में टिप्पणी करते हैं। आंध्र प्रदेश में ओवैसी देश के खिलाफ बोलते हैं। आखिरकार यह फैसला कौन करेगा कि देश में किसकी जगह होनी चाहिए और किसकी नहीं? ऐसी मनोवृत्तियों के लोगों से निपटने के लिए लखनऊ में धर्म संसद बुलाई गई है।

धर्म संसद की तारीख तय करने के लिए बुलाया सम्मेलन

जब 'जानी' से पूछा गया कि यह प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है तो उन्होंने कहा कि पदमावत फिल्म, दीपावली में पटाखे, अमरनाथ यात्रा के दौरान जयकारों पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले तुरंत आ जाते हैं। हम मंदिर निर्माण के लिए बुलाई गई धर्म संसद में छह महीने का समय रखेंगे। हालांकि ​अमित जानी ने यह भी कहा कि मंदिर बनेगा या मस्जिद इसका फैसला हिंदु करेगा। धर्म संसद की तारीख के लिए गन्ना संस्थान में हिन्दु स्वाभिमान सम्मेलन बुलाया है। इसमें संतो, धर्माचार्यों और पीठाधीश्वरों को बुलाया गया है। यकीन नहीं रहा कि यही स्थिति रही तो आने वाले समय में बहुसंख्यक सुरक्षित रह पाएगा।

डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, ऋतम्भरा व प्रज्ञा ठाकुर समेत 200 मंदिरों के महंत आमंत्रित

बकौल अमित जानी, 'डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कार्यक्रम में आने की अनुमति दे दी है।' सम्मेलन में श्री राम जन्मभूमि मुक्ति आन्दोलन के राष्ट्रीय संत व विहिप नेता आचार्य धर्मेन्द्र जी महाराज, साध्वी ऋतंभरा जी, सुमेरू पीठ काशी के जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज, हनुमानगढी अयोध्या के महंत राजू दासजी, आचार्य चंद्राशु जी महाराज, आचार्य धर्मेश्वरानन्द जी महाराज, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, साध्वी मुनीश्वरी, स्वामी यतीनरसिंहानन्द जी महाराज, स्वामी मनोज दास और अवध प्रांत के 200 मंदिरों के महंतों को आमंत्रित किया गया है।

अमित जानी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि शिवपाल सिंह यादव इस समय अपने गृह जनपद में सहकारिता के चुनाव को लेकर व्यस्त हैं। जिस तरह पीएम जब गुजरात में रहते हैं तो सारे दौरे कैंसिल कर देते हैं। इसी तरह हम भी उनकी चुनावी व्यस्तता को समझते हैं। धर्माचार्यों से उनका जुड़ाव है, उनके यहां आना-जाना लगा रहता है। वह यदि सम्मेलन में खुद नहीं आ सकेंगे तो अपने किसी प्रतिनिधि को जरूर भेजेंगे।

इस सम्मेलन की अध्यक्षता चरखारी के भाजपा विधायक ब्रजभूषण सिंह राजपूत (गूड्डू राजपूत) करेंगे। कार्यक्रम के आयोजक उत्तर्राज्य नवनिर्माण सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित जानी हैं। विश्व सनातन संघ के राष्ट्रीय प्रचारक उपदेश राणा, गौ रक्षा कमाण्डो फोर्स के अध्यक्ष एसएस टाईगर, आचार्य मनोज शास्त्री भी कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे।

यूपी की सियासत से राम मंदिर निर्माण का गहरा नाता

यूपी की सियासत से राम मंदिर निर्माण का गहरा नाता है। सन 1992 की छह दिसम्बर वह तारीख है। जब अयोध्या विवादित ढांचा विध्वंस हुआ था। पर अब तक उसकी आवाज रह—रह कर सुनाई देती है। अंतर बस सिर्फ इतना भर है कि मंदिर मुद्दे के दम पर नब्बे के दशक में सत्ता में आई भाजपा उसके बाद के वर्षों में ज्यादातर समय विपक्ष की भूमिका में रही है। अब जब यह मुद्दा फिर गरमा रहा है तो सूबे में भाजपा सरकार है और गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ खुद सीएम हैं जिनके गुरू अवैदयनाथ उस समय मंदिर निर्माण के अलम्बरदारों में शामिल थे।

कौन है अमित जानी?

अमित जानी का नाम सन 2009 में तब चर्चा में आया था। जब महाराष्ट्र में राज ठाकरे की नवनिर्माण सेना ने हिंदी भाषियों का उत्पीड़न शुरू किया था। तब उन्होंने उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना बनाई और खुद उसके कर्ताधर्ता बने। सपा से उनकी नजदीकीयां चर्चा मे रही हैं। दो से तीन लग्जरी गाड़ियों के काफिले में चलने वाले 'जानी' के हथियारबंद साथी वाकी टाकी से लैस रहते हैं।

यूपी न​वनिर्माण सेना बनी उत्तर्राज्य नव निर्माण सेना

अमित जानी का संगठन पहले यूपी नव निर्माण सेना के नाम से मशहूर था। पर जब वह संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे। तब पता चला कि उनके संगठन का नाम उत्तर्राज्य नव निर्माण सेना है। जिसका झंडा भगवा से मिलता जुलता है। 'जानी' ने इस पर सफाई पेश करते हुए कहा कि पहले भी यही नाम था। संगठन का असली नाम यही है। यह 'उत्तर्राज्य नव निर्माण सेना' के नाम से ही रजिस्टर्ड है।

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