लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में निलंबित आईएएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की ओर ने यूपी सरकार की ओर से सोमवार को दिए गए यश भारती पुरस्कार को चुनौती देने वाली याचिका पर 29 मार्च को सुनवाई होगी।
क्या कहा है याचिका में ?
-यश भारती पुरस्कारों में कई ऐसे नाम हैं जिनसे उनके सामाजिक क्षेत्र में किए गए कार्य निश्चित रूप से श्रेष्ठतर हैं।
-यह भी कहा गया है कि स्थवी अस्थाना, इकबाल अहमद सिद्दीकी, वजीर अहमद खान, चक्रेश जैन सहित तमाम ऐसे नाम हैं जिनकी सार्वजनिक उपलब्धियों के संबंध में इंटरनेट पर नहीं के बराबर जानकारी है।
-याचिका में कहा गया है कि जिस प्रकार पहले चुपके-चुपके 22 नाम घोषित किए गए ।
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-बाद में एक झटके में 12 और दोबारा 12 नाम बढ़ाकर कुल 46 नाम कर दिए गए।
-उससे साफ जाहिर हो जाता है कि ये पुरस्कार मनमाने तरीके से दिए जा रहे हैं।
-उन्होंने कहा कि स्वयं मुख्य सचिव आलोक रंजन की पत्नी सुरभि रंजन को यह पुरस्कार दिया जाना सीधे-सीधे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है।
-इससे इन पुरस्कारों की विश्वसनीयता समाप्त होती है।
-याचिका के अनुसार इस प्रकार बिना किसी सम्यक प्रक्रिया के 11 लाख रुपए का पुरस्कार और 50,000 रुपये प्रति माह का पेंशन दिया जाना स्थापित प्रशासनिक सिद्धांतों के विरुद्ध है।
-यह मनमानेपन की निशानी है।