आम्रपाली विवाद: खुशी व मायूसी के बीच रहा सरकार का फैसला
इन परियोजानाओं को केंद्र सरकार से मिलने वाले 10 हजार करोड़ रुपए के फंड का लाभ नहीं मिल सकेगा। आम्रपाली बायर्स ने ट्विट कर अपना विरोध दर्ज करा दिया है।
नोएडा: हाउसिंग क्षेत्र को गति देने के लिए केंद्र सरकार का फैसला शहर की कई ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं के लिए संजीवनी है। लेकिन बायर्स की एक बड़ी संख्या इस फैसले से नाखुश है। इसकी वजह बिल्डर परियोजनाओं के मामले एनसीएलटी व एनपीए में होना है।
इन परियोजानाओं को केंद्र सरकार से मिलने वाले 10 हजार करोड़ रुपए के फंड का लाभ नहीं मिल सकेगा। आम्रपाली बायर्स ने ट्विट कर अपना विरोध दर्ज करा दिया है।
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जनपद में आम्रपाली व जेपी दो ऐसी बड़ी परियोजनाएं है। जिनके बायर्स की जीवन की कमाई आशियाने के इंतजार में बिल्डरों के खातों में जमा है। इन लोगों को हक दिलाने का काम शीर्ष अदालत कर रही है।
दोनों ही बिल्डर के खिलाफ एनसीएलटी में वाद चल रहे है। ऐसे में एक बार फिर केंद्र सरकार के फैसले ने आम्रपाली के 23 व जेपी के 32 हजार बायर्स की उम्मीदों को तोड़ दिया है। वह नाखुश है ट्यिूट कर अपना विरोध दर्ज करा रहे है। बता दे नोएडा में ग्रुप हाउजिंग में पांच बिल्डर परियोजनाएं है। जिनका वाद एनसीएलटी में है। वहीं, व्यवसायिक विभाग में एक परियोजना व दो अदर स्टेट की परियोजनाएं है जिनका वाद एनसीएलटी में है। इनमे से अधिकांश वाद में नोएडा प्राधिरकण अपना पक्ष रखती है।
बायर्स को क्यों हुई निराशा
सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपये का फंड 60 प्रतिशत तक पूरे हो गए लटके प्रॉजेक्ट को देने की घोषणा की है। हालांकि इसमें शर्त यह होगी वह प्रॉजेक्ट एनपीए और एनसीएलटी में न हो। सरकार के इस ऐलान से दिल्ली-एनसीआर में अपने घर का इतंजार कर रहे हजारों निवेशकों को लाभ मिल सकता है। लेकिन नोएडा व ग्रेटरनोएडा के हजारों बायर्स इस फैसले से नाखुश है।
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केके कौशल बायर्स (आम्रपाली)-
हम बीते 10 सालों से आशियाने के इंतजार में है। सड़कों से लेकर अदालत के चक्कर लगा रहे हैं। सरकार से लगातार स्ट्रेस फंड की मांग कर रहे है। लेकिन अब तक हमारी परेशानियों को समझा नहीं जा सका।
कुलदीप बायर्स ( आम्रपाली ) ने कहा कि -
23 हजार से ज्यादा बायर्स है। एनसीएलटी के शर्त को नहीं लगाना चाहिए। शीर्ष अदालत के फैसले ने ही हमे राहत दी है। सरकार से हमे उम्मीद थी लेकिन उसने हमे निराश किया।
क्या कहते हैं बिल्डर (इनको मिला फायदा)
मनोज गौड़, एमडी, गौर्स ग्रुप व चेयरमैन अफोर्डेबल हाउसिंग कमीटी क्रेडाई-
आवास क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री द्वारा घोषणा वास्तव में स्वागत योग्य है। कई मध्य-आय और किफायती आवास परियोजनाएं जो धन की कमी के कारण धीमी प्रगति देख रही हैं, उन्हें 10,000 करोड़ रुपये की विशेष विंडो स्थापित करने के परिणाम स्वरूप तेज किया जाएगा। यह करीब 3-3.5 लाख आवास इकाइयों के तेजी से वितरण में मदद करेगा।
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सागर सक्सेना, प्रोजेक्ट हेड, स्पेक्ट्रम मेट्रो-
रियल सेक्टर को इन फैसलों से बड़ी राहत मिली, 60 प्रतिशत पूरी होने वाली परियोजनाओं को विशेष विंडो के माध्यम से फंडिंग मिलेगी। उम्मीद है कि इस फैसले से 3.5 लाख अटकी इकाइयां लाभान्वित होंगी। सरकार के इस समर्थन से बाजार और अधिक शक्तिशाली हो जाएगा और कई खरीदारों को जल्द ही अपने घरों का कब्जा मिल जाएगा।
अशोक गुप्ता, सीएमडी, अजनारा इंडिया लिमिटेड-
वित्त मंत्री ने रियल एस्टेट सेक्टर में अफोर्डेबल सेगमेंट को बढ़ावा देने के लिए अहम घोषणा करी, जिसकी खासी मांग हो रही थी। सस्ती और मध्यम आय वर्ग के आवास में अधूरे प्रोजेक्ट्स के निर्माण में 10,000 करोड़ रुपये का योगदान देने के अलावा, वित्त मंत्री ने अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए ईसीबी दिशानिदेर्शों में छूट की घोषणा की। घर खरीदारों के लिए वित्तपोषण को कम करके, सरकार ने तेजी से बिक्री और प्रोजेक्ट के पजेशन का मार्ग आसान किया है।