Apna Bharat Exclusive : UP डायल 100 में 620 करोड़ का खेल

Update:2017-04-24 15:10 IST

शारिब जाफरी

लखनऊ: अखिलेश यादव लगभग सभी मंचों पर ‘यूपी 100’ को अपनी सरकार का अनोखा और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट करार देते थे। यह वाकई में अनोखा प्रोजेक्ट है जिसमें कुल 2400 करोड़ रुपए के बजट में से 620 करोड़ रुपए सिर्फ सॉफ्टवेयर डेवलेपमेंट पर ही खर्च कर दिए गए। इतना पैसा तो ढेर सारी गाडिय़ों, बिल्डिंग और कंट्रोल रूम बनाने तक में नहीं खर्च किया गया। कई बड़े अफसर सॉफ्टवेयर पर इतने बड़े खर्च को मंजूरी देने के लिए भी तैयार नहीं थे।

‘यूपी 100’ में आईजी रहे अफसरों के अलावा पुलिस महानिदेशक ने भी इस पर आपत्ति दर्ज कराई थी मगर उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। यह परियोजना तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव के लिए नाक का सवाल थी। इसलिए आपत्तियों को दरकिनार कर इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गयी। आईटी एक्सपर्ट मानते हैं कि इस पूरे प्रोजेक्ट पर पानी की तरह पैसा बहाया गया। औसतन एक कम्प्यूटर के मेंटेनेंस पर करीब सवा लाख रुपया प्रतिमाह खर्च किया जा रहा है। इसमें कम्प्यूटर मेंटेनेंस के साथ महिंद्रा डिफेन्स सिस्टम लिमिटेड की महिला कॉल टेकर शामिल हैं।

आगे की स्लाइड में पढ़ें आईजी से लेकर डीजीपी तक ने जताई आपत्ति...

आईजी से लेकर डीजीपी तक ने जताई आपत्ति

यूपी 100 पर ऊपर से लेकर नीचे तक विवाद रहा। इसकी सबसे बड़ी वजह लागत खर्च यानी कॉस्टिंग के बारे में अफसरों द्वारा फाइल पर नोटिंग करने से इनकार करना रहा। इस परियोजना में बतौर पुलिस महानिरीक्षक तैनात रहे असीम अरुण, दीपक रतन, और अमिताभ यश ने समय-समय पर नोटिंग करने से इनकार कर दिया था जिस कारण फाइल कई दिनों तक अटकी भी रही। इस दौरान एडीजी ट्रैफिक अनिल अग्रवाल इस प्रोजेक्ट से लगातार जुड़े रहे जबकि आईजी बदले जाते रहे। पूरे प्रोजेक्ट की खास बात यह भी रही कि पुलिस महानिदेशक जावीद अहमद भी बजट की रकम पर सहमत नहीं थे और डीजीपी मुख्यालय में भी फाइल काफी दिनों तक रुकी रही।

सार्वजनिक मंच से अखिलेश ने जताई थी नाराजगी

तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए यूपी 100 परियोजना प्रतिष्ठा का सवाल थी। यही वजह रही कि परियोजना के काम में हीलाहवाली करने वाले अफसरों को हटाने में जरा भी देरी नहीं की गयी। परियोजना की फाइलों को जब तेज रफ्तार से दौड़ाने की कोशिश की जा रही थी तब कुछ अफसरों ने नोटिंग के जरिये अपनी आपत्ति जताई। इस पर अखिलेश यादव ने सार्वजनिक मंच से नाराजगी जताई थी और कहा था कि अफसर फाइलों को अटका रहे हैं।

आगे की स्लाइड में पढ़ें 620 करोड़ रुपए का करार एमडीएसएल से...

620 करोड़ रुपए का करार एमडीएसएल से

यूपी 100 सेवा के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एमडीएसएल (महिन्द्रा डिफेंस सिस्टम लिमिटेड) से करार किया है। पुलिस अफसरों का दावा है कि यूपी 100 के सॉफ्टवेयर का ही कमाल है कि यूपी पुलिस सबसे हाईटेक और त्वरित रिस्पॉन्स देने वाली पुलिस है। सरकार ने एमडीएसएल से 620 करोड़ रुपये में 5 साल तक सेवा प्रदान करने के लिए करार किया है। एमडीएसएल का दावा था कि सॉफ्टवेयर इस तरह डिजाइन किया गया है कि जानकारी मिलते ही घटनास्थल के सबसे करीब ‘पीआरवी’ (रिस्पॉन्स व्हीकल) मौके के लिए रवाना कर दी जाएगी। लेकिन असलियत में अभी तक ऐसा मुमकिन नहीं हो पा रहा है। एमडीएसएल के अफसर कहते हैं कि मोबाइल नेटवर्क की समस्या के कारण ऐसी स्थिति है।

आगे की स्लाइड में पढ़ें समय से नहीं पहुंचती पीआरवी...

समय से नहीं पहुंचती पीआरवी

किसी भी घटना की सूचना मिलने के बाद पीआरवी का रिस्पॉन्स टाइम बेहद खराब पाया जा रहा है। हालात ऐसे हैं कि सूचना के बाद देहात में गाड़ी पहुंचने में औसतन 36 मिनट लग रहे हैं जबकि शहरी इलाकों में 22 मिनट। यूपी १०० में तैनात अफसरों के अनुसार एमडीटी यानी मोबाइल डेटा टॢमनल में समस्या के कारण मैसेज पहुंचने में देरी हो रही है। यूपी १०० सेवा के बारे में दावा किया गया था कि शहरी इलाकों में पुलिस की गाड़ी 5 से 10 मिनट में व ग्रामीण क्षेत्र में 10 से 20 मिनट में पहुंच जाएगी। लेकिन यूपी पुलिस के अफसरों का यह दावा खोखला साबित हो रहा है। मदद का देर से पहुंचना, गलत जगह चले जाना या सिरे से पहुंचना, ऐसी शिकायतें आम हैं। समस्या चाहे सॉफ्टवेयर की हो या मोबाइल नेटवर्क की, सूचना मिलने के बाद देर से घटनास्थल पर पहुंचने के आरोप में रिस्पॉन्स व्हीकल पर तैनात पुलिसवालों पर ही ठीकरा फूट रहा है। पिछले कुछ दिनों में ही देर से घटनास्थल पर पहुंचने के आरोप में 125 पुलिसवालों के खिलाफ निलंबन / लाइन हाजिर करना और वेतन रोके जाने की कार्रवाई की गई है।

आगे की स्लाइड में पढ़ें 3,200 गाडिय़ों और बिल्डिंग का खर्च...

3,200 गाडिय़ों और बिल्डिंग का खर्च

यूपी 100 का पांच साल का प्रोजेक्ट 2400 करोड़ रुपए का है। इस बजट में 3,200 चार पहिया गाडिय़ां खरीदी गईं हैं। इनमें 700 टोयटा इनोवा और 2,500 महेंद्रा बोलेरो हंै। इनोवा के पुराने मॉडल की कीमत अधिकतम 15 लाख व बोलेरो की कीमत औसतन 9 लाख रुपए है। ऐसे में सभी वाहनों की कीमत 300 करोड़ से अधिक नहीं हो सकती है, जबकि बिल्डिंग के निर्माण पर 250 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। यानी वाहन और बिल्डिंग पर अधिकतम 600 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। दूसरी ओर महिंद्रा डिफेन्स सिस्टम लिमिटेड को 620 करोड़ रुपए दिए जाने हैं। कंपनी से पांच साल का करार है जिसमें वह सिर्फ सॉफ्टवेयर अपग्रेडेशन ही करेगी। बताया जाता है कि इसी बजट पर सबसे पहले इस परियोजना से जुड़े आईजी रैंक के कई अफसरों ने आपत्ति जताई थी जिसकी वजह से फाइल कई दिनों तक मुख्यालय में अटकी रही थी।

आगे की स्लाइड में परियोजना प्रभारी को नहीं पता सालाना खर्च...

परियोजना प्रभारी को नहीं पता सालाना खर्च

अपर पुलिस महानिदेशक ट्रैफिक अनिल अग्रवाल इस परियोजना के प्रभारी हैं। वे बताते हैं कि पूरे प्रोजेक्ट के सॉफ्टवेयर पर 620 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। रखरखाव का काम पांच साल तक महिंद्रा डिफेन्स सिस्टम लिमिटेड करेगा। अनिल अग्रवाल मेंटेनेंस का सालाना खर्चा बता पाने में खुद को फिलहाल असमर्थ बताते हैं। एडीजी कहते हैं कि परियोजना का पांच साल का खर्च 2400 करोड़ है जिसमें गाडिय़ों की खरीद, बिल्डिंग का निर्माण गाडिय़ों के मेन्टेन्स के अलावा ईंधन का खर्चा भी शामिल है।

आगे की स्लाइड में पढ़ें एमपी में प्रोजेक्ट सिर्फ 250 करोड़ का...

एमपी में प्रोजेक्ट सिर्फ 250 करोड़ का

मध्य प्रदेश में ‘100 घुमाओ, पुलिस बुलाओ’ परियोजना मात्र 250 करोड़ की है जिसमें 1000 चार पहिया वाहन (स्कार्पियो और सफारी) शामिल हैं। लेकिन यूपी में मध्य प्रदेश के पूरे प्रोजेक्ट के बजट से दोगुने बजट से ज्यादा की रकम सिर्फ सॉफ्टवेयर पर ही खर्च कर दी गई। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है। हालांकि इस पूरे मामले पर अफसर बातचीत करने से कतरा रहे हैं।

आगे की स्लाइड में पढ़ें आंध्र प्रदेश में तीन साल पहले शुरू हुई डायल 100...

आंध्र प्रदेश में तीन साल पहले शुरू हुई डायल 100

आंध्र प्रदेश में 10 अगस्त 2013 को डायल 100 योजना लांच की गयी थी। फिर सितंबर 2014 में डायल 100 मोटरसाइकिल सेवा शुरू की गयी। आंध्र में जीवीके ईएमआरआई के साथ मिल कर आंध्र पुलिस विभाग ने यह सेवा शुरू की है। तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी ने तेलुगु नव वर्ष के अवसर पर एकीकृत डायल 100 सेवा की शुरुआत की।

आगे...

तेलंगाना और गुजरात होंगे नेशनल नेटवर्क के पहले दो राज्य

‘डायल 100’ योजना राष्ट्रीय स्तर पर शुरुआत में दो राज्यों को जोड़ कर राष्ट्रीय स्तर पर सेवा शुरू की जाएगी। यह दो राज्य हैं - तेलंगाना और गुजरात। तेलंगाना में डायल 100 के बाद ‘क्राइम स्टॉपर’ नंबर और भारत सरकार द्वारा जल्द शुरू किए जाने वाले एक अन्य इमरजेंसी नंबर - 112 को भी तत्काल लागू किया जाने वाला है। अब तक ६ राज्यों में एकीकृत डायल 100 सेवा शुरू हो चुकी है और सबसे ताजा आगंतुक यूपी है। कर्नाटक, झारखंड और पंजाब में डायल 100 का काम चल रहा है। भारत की राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2012 में देश भर में एकीकृत आपात सहायता तंत्र के लिए एक ही नंबर चलाने की बात कही गयी है।

आगे...

नेशनल नंबर प्लान भी इसी का हिस्सा है। भारत सरकार का सीसीटीएनएस प्लान (क्राइम क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स) के तहत ही डायल 100 योजना है। सीसीटीएनएस के तहत 14 हजार पुलिस थाने आपस में नेटवर्क किए जाने हैं। इसी योजना के तहत बीपीआरडी (ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट) ने डायल 100 योजना शुरू की है जिसे आगे चल कर सीसीटीएनएस में मिला दिया जाएगा। वैसे नास्कॉम (सॉफ्टवेयर कंपनियों के संगठन) ने एकीकृत नंबर के लिए काफी पहले सुझाव दिया था।

आगे स्लाइड में पढ़ें मध्यप्रदेश में 2015 में शुरू हुई थी सेवा...

मध्यप्रदेश में 2015 में शुरू हुई थी सेवा

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य स्थापना दिवस की वर्षगांठ पर पहली नवंबर 2015 को डायल 100 सेवा की शुरुआत की। शुरू में इसे भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर और रीवा जिलों में लॉंच किया गया। राज्य में इसे बीवीजी (भारत विकास ग्रुप) नामक कंपनी के सहयोग से चलाया गया है। मध्य प्रदेश में डायल 100 की गश्ती कारों से एसी निकलवाए जा रहे हैं। क्योंकि अफसरों ने पाया है कि पुलिसवाले फुल एसी चला कर कारों में आराम फरमाते हैं। अब तक राज्य में 15-20 गाडिय़ों से एसी निकलवाए जा चुके हैं।

आगे...

साढ़े आठ करोड़ कॉल

जीवीके ईएमआरआई कंपनी ने गुजरात, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में राज्यव्यापी डायल १०० सेवा स्थापित की और यही कंपनी इसे चलाती है। कंपनी का कहना है कि अभी तक साढ़े आठ करोड़ कॉल का जवाब दिया गया और विभिन्न प्रकार की ३५ लाख इमरजेंसी में सहायता प्रदान की गयी।

आगे...

1968 से अमेरिका में है 911

जिस डायल 100 सेवा को समूचे भारत में लागू किए जाने की योजना है वैसी सेवा अमेरिका में 48 साल पहले यानी 1968 में शुरू हो गयी थी। वैसे इसके और पीछे जाएं तो ऐसी सेवा का परीक्षण सबसे पहले इंग्लैंड ने ‘999’ नंबर के साथ 1937 में ही किया था। 911 सेवा सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि कनाडा में ही है। अमेरिका के कुछ राज्यों में बाकायदा कानून है कि प्रत्येक लैंडलाइन फोन में 911 डायल करने की सुिवधा हमेशा रहेगी भले ही वह फोन किसी कारण से कटा हुआ हो। इसकी तरह मोबाइल फोन ऑपरेटरों के लिए 911 पर कॉल कनेक्ट करने की अनिवार्यता है चाहे कॉलर के खाते में पैसा हो या न हो। कोई भी फोन जो ऑन है भले ही डिएक्टिवेटड क्यों हो, उससे 911 कॉल की जा सकती है।

भारत-बांग्लादेश सीमा पर गाय संरक्षण और पशुओं की तस्करी को लेकर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी है। केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि संयुक्त सचिव, गृह मंत्रालय की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया। समिति ने इस मसले पर कुछ सिफारिशें की हैं। इन सिफारिशों में गाय के लिए अद्वितीय पहचान संख्या (UID) की भी मांग की गई है।

Tags:    

Similar News