जाजमऊ हादसा: प्रशासन की मदद में जुटे सेना के 'सर्च ऐंड रेस्क्यू डॉग्स', कई शव निकाले गये

सेना के अधिकारी एसके मिश्रा ने बताया कि इनका काम मलबे में दबे लोगों को ढूंढना होता है, और इस घटना में ये काफी मददगार साबित हुए हैं। सेना ने इन्हीं रेस्क्यू डॉग्स की मदद से रात में 3 साल की बच्ची को जिन्दा बाहर निकाला था।

Update: 2017-02-03 09:12 GMT

कानपुर: सेना के सर्च एंड रेस्क्यू डॉग की मदद से हादसे वाली बिल्डिंग में दबे कई मजदूरों को जिन्दा बाहर निकाल लिया गया है। जिन जगहों पर जवान नहीं पहुंच पाते, वहां इन ट्रेन्ड डॉग्स की मदद ली जाती है। इस बीच मलबे से निकले कई शवों की शिनाख्त कर ली गई है।

रेस्क्यू डॉग्स की मदद

-जाजमऊ इमारत हादसे में अब सेना के 'सर्च एंड रेस्क्यू डॉग्स' की मदद ली जा रही है।

-इन प्रशिक्षित कुत्तों की सूंघने की क्षमता की मदद से दुर्गम जगहों पर इनसे मदद ली जाती है।

-लगातार 24 घंटे बिना थके अपने मकसद में जुटे रहने वाले ये 'स्निफर डॉग्स' जवानों को घटना के संकेत देते हैं।

-इन स्निफर डॉग्स की मदद से ही सेना ने मलबे में दबे कई शवों को बाहर निकाला है।

जबर्दस्त क्षमता

-सेना के अधिकारी एसके मिश्रा ने बताया कि इनका काम मलबे में दबे लोगों को ढूंढना होता है, और इस घटना में ये काफी मददगार साबित हुए हैं।

-सेना ने इन्हीं रेस्क्यू डॉग्स की मदद से रात में 3 साल की बच्ची को जिन्दा बाहर निकाला था।

-इसके बाद इन स्निफर डॉग्स ने कई शवों को भी निकालने के लिये जवानों को संकेत दिये।

-ये डॉग्स सेना के संकेतों को अच्छी तरह समझते हैं और तत्काल अपने काम में जुट जाते हैं।

-फिलहाल ये 'स्निफर डॉग्स' प्रशासन की मदद कर रहे हैं।

आगे स्लाइड्स में देखिये किस तरह मुश्किल जगहों पर लोगों को ढंढ लेते हैं 'सर्च एंड रेस्क्यू डॉग्स'...

 

 

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