लखनऊ: सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इर्द-गिर्द अभेद्य सुरक्षा चक्र होने के बावजूद राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उनकी सुरक्षा में सेंध लग गई। योगी की सुरक्षा में कुल 320 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं, लेकिन हाल ही में लखनऊ यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए जाते समय मुट्ठी भर छात्रों ने हाथों में काला झंडा लेकर बड़ी आसानी से उनकी सुरक्षा में सेंध लगा प्रदर्शन किया।
हद तो तब हो गई जब एक प्रदर्शनकारी छात्र मुख्यमंत्री की गाड़ी के बोनट पर चढ़ गया। यदि इन प्रदर्शनकारी मुट्ठी भर छात्रों की जगह कोई हथियारबंद आपराधिक तत्व होता तो बड़ी अनहोनी घट सकती थी। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अभेद्य मानी जाने वाली सीएम सुरक्षा धरातल पर कितनी पुख्ता है। ऐसे में इस घटना के साथ सीएम सुरक्षा की पड़ताल जरूरी है।
एलआईयू व सुरक्षा में लगे अफसरों की लापरवाही
लखनऊ यूनिवर्सिटी के बाहर (7 जून) को सीएम की फ्लीट जैसे ही विश्वविद्यालय के गेट नंबर- 1 पर पहुंची, समाजवादी छात्र सभा की नेता अपूर्वा वर्मा फ्लीट के आगे कूद गयीं। इस पर पूरी फ्लीट पांच मिनट के लिए अचानक रुक गई। सीएम की फ्लीट रुकते ही समाजवादी छात्र सभा, आईसा, एसएफआई सहित अन्य छात्र संगठनों के छात्र नेता काले झंडे लेकर सीएम की गाड़ी के सामने आ गए। सूत्रों की मानें, तो इस घटना की पूर्व सूचना छात्रों ने एलयू प्रशासन को दी थी, लेकिन पूर्व सूचना के बावजूद एलयू प्रशासन से लेकर एलआईयू और सीएम सुरक्षा में लगे अधिकारियों ने घोर लापरवाही बरती। इसके चलते यह घटना हो गई।
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सीएम का अभेद्य सुरक्षा चक्र
सीएम की सुरक्षा में कुल 320 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। इनसे ही एक अभेद्य सुरक्षा चक्र तैयार किया जाता है। इन सुरक्षाकर्मियों की अलग-अलग तीन शिफ्टों (मॉर्निंग, इवनिंग और नाइट) में ड्यूटी लगती है। सीएम के साथ एक बार में 100 से 125 तक सुरक्षाकर्मी तैनात होते हैं। इनमें तीन अलग-अलग शिफ्टों में 6 डिप्टी एसपी रूटीन में रहते हैं। एक शिफ्ट में दो डिप्टी एसपी सीएम के साथ रहते हैं। इनमें से एक डिप्टी एसपी पसर्नल सिक्योरिटी अफसर यानी पीएसओ की भूमिका में रहता है। जब कभी सीएम राजधानी से बाहर जाते हैं तो मुख्यमंत्री सुरक्षा में तैनात एक डिप्टी एसपी सीएम के पहुंचने से पूर्व ही नियत स्थान पर पहुंचकर सुरक्षा चक्र को स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर पुख्ता करता है और एक डिप्टी एसपी बतौर पीएसओ सीएम के साथ तय स्थान पर पहुंचता है।
फ्लीट और आवास गारद रहती है मुस्तैद
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सुरक्षा में फ्लीट और आवास दो तरह की गारद भी मुस्तैद रहती है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, फ्लीट गारद सीएम के साथ चलने वाले सुरक्षाकर्मियों से तैयार की जाती है। वहीं आवास गारद का कार्य सीएम आवास को अभेद्य किले के रूप में तैयार करना होता है। नाइट शिफ्ट में फ्लीट सुरक्षा के सुरक्षाकर्मी मॉर्निंग शिफ्ट की अपेक्षाकृत कम रहते हैं। जबकि मॉर्निंग शिफ्ट में फ्लीट गारद में अच्छी खासी संख्या में सुरक्षाकर्मी मौजूद रहते हैं।
बड़ों को गर्दन फंसती देख छोटों को निपटाया
सीएम की सुरक्षा में सेंध के बाद सीनियर पुलिस अफसरों ने अपनी-अपनी कुर्सी बचाने की जुगत शुरू कर दी। लखनऊ विश्वविद्यालय में सीएम के कार्यक्रम में 4 अपर पुलिस अधीक्षक, 6 पुलिस उपाधीक्षक, 12 कोतवाल/थानेदार व 40 उपनिरीक्षकों को लगाया गया था। लेकिन बड़ों की कुर्सी बचाने के लिए आनन-फानन में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, लखनऊ दीपक कुमार ने एक पुलिस सब इंस्पेक्टर समेत पुलिस के 5 जवानों को निलंबित कर दिय।
'सीएम सुरक्षा की होगी समीक्षा'
प्रमुख सचिव गृह अरविन्द कुमार ने सीएम सुरक्षा में हुई इस चूक की पड़ताल की। प्रमुख सचिव गृह के साथ डीजीपी सुलखान सिंह, अपर पुलिस महानिदेशक इंटेलिजेंस भावेश कुमार सिंह, एडीजी सिक्योरिटी विजय कुमार, एडीजी कानून व्यवस्था आदित्य मिश्रा, एसएसपी लखनऊ दीपक कुमार, जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा की बैठक में जरूरी कदम उठाने का फैसला लिया गया। बैठक के दौरान ही लखनऊ डीएम और एसएसपी की क्लास भी लगी। प्रमुख सचिव गृह अरविन्द कुमार कहते हैं कि भविष्य में इस तरह की स्थिति न उत्पन्न हो, इसके लिए जरूरी निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, यह दावा भी कि इस तरह की लापरवाही करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।