Asad Encounter: बेटे के मारे जाने के बाद से सदमे में है अतीक अहमद, असद के शव को आज लाया जाएगा प्रयागराज

Asad Encounter: एनकाउंटर ऐसे समय में हुआ, जब अतीक और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज सीजेएम कोर्ट में पेशी हो रही थी। घटना की जानकारी मिलते ही कुख्यात माफिया के चेहरे पीले पड़ गए थे।

Update:2023-04-14 13:37 IST
Atiq Ahmed son Asad Encounter (photo: social media )

Asad Encounter: उमेश पाल हत्याकांड में फरार चल रहे शूटर और माफिया अतीक अहमद के तीसरे बेटे असद अहमद को गुरूवार को झांसी में यूपी एसटीएफ ने मार गिराया। इस दौरान हत्याकांड में शामिल एक अन्य शूटर मोहम्मद गुलाम भी एसटीएफ की गोली की भेंट चढ़ा। ये एनकाउंटर ऐसे समय में हुआ, जब अतीक और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज सीजेएम कोर्ट में पेशी हो रही थी। घटना की जानकारी मिलते ही कुख्यात माफिया के चेहरे पीले पड़ गए थे।

अतीक अहमद को कोर्ट ने पांच दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा है, जिसका आज दूसरा दिन है। गुरूवार को माफिया से बाहुबली बने अतीक और उसके भाई अशरफ को प्रयागराज के धूमनगंज थाने के लॉकअप में ही रखा गया। बताया जा रहा है कि अतीक रातभर सदमे में लॉकअप में बैठा रहा है। बेटे असद के मारे जाने के बाद से वह गम में डूबा है। उमेश पाल हत्याकांड में पूछताछ के लिए माफिया और उसके भाई को प्रयागराज पुलिस ने रिमांड पर लिया है।

असद के शव को आज लाया जाएगा प्रयागराज

माफिया अतीक अहमद का समूचा परिवार इन दिनों या तो जेल में है या पुलिस के डर से फरार है। ऐसे में उसके बेटे असद अहमद का अंतिम संस्कार कौन करेगा, ये बड़ा सवाल है। माफिया अतीक के खुद फिलहाल बाहर आने की गुंजाइश काफी कम है। असद और गुलाम दोनों के शवों का पोस्टमार्टम झांसी के अस्पताल में देर रात हो चुका है। पोस्टमार्टम की पूरी वीडियोग्राफी की गई है। जानकारी के मुताबिक, असद के नाना हारून और मौसा डॉ. उस्मान उसकी बॉडी को शुक्रवार को झांसी से प्रयागराज ले जाएंगे और वहीं पर उसका अंतिम संस्कार होगा।

गुलाम का शव नहीं लेगा परिवार

झांसी एनकाउंटर में मारे गए उमेश पाल हत्याकांड के एक अन्य फरार इनामी शूटर गुलाम मोहम्मद का अंतिम संस्कार कैसे होगा, इस पर सवाल बना हुआ है। दरअसल, गुलाम के परिवार ने काफी पहले कह दिया था कि अगर उसका एनकाउंटर होता है तो वे न ही उसका चेहरा देखेंगे ना शव लेंगे। गुलाम के भाई राहिल हसन जो कि इलाके में बीजेपी के नेता हैं, प्रशासन द्वारा घर को बुलडोजर से गिराए जाने के बाद कहा था कि उसने हमें रोड पर ला दिया है। भाई ने हमारे परिवार का नाम कलंकित किया है। वो भाई है, लेकिन भाई लायक कोई काम भी तो करना चाहिए था। ऐसे में हमारे परिवार ने इस बारे में पहले से ही डिसाइड कर लिया कि एनकाउंटर की स्थिति में हम गुलाम का शव लेने नहीं जाएंगे।

कानून के मुताबिक, एनकाउंटर में मारे गए किसी अपराधी के शव को दिन तक इस इंतजार में रखा जाता है कि शायद कोई परिजन या रिश्तेदार आकर उसे ले जाए। तीन दिन बाद भी अगर कोई शव लेने नहीं आता है, तो पुलिस सरकारी खर्च से शव का अंतिम संस्कार करा सकती है। ऐसे में अगर गुलाम मोहम्मद का शव परिजन लेने से इनकार कर देते हैं तो पुलिस झांसी की मुस्लिम इंतजामिया कमेटी से गुजारिश कर उसके शव का अंतिम संस्कार करा सकती है।

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