Atique Ahmed: पांच बार का विधायक और एक बार का सांसद, माफिया का परिवार भी उसी की राह पर, जाने परिवार का काला चिट्ठा

Atique Ahmed: 10वीं में फेल होने के बाद अतीक की इलाके के कई बदमाशों के साथ दोस्ती हो गई। अतीक जल्द ही अमीर बनना चाहता था, उसने लूट, अपहरण और रंगदारी वसूलने जैसी वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया। 1997 में अतीक पर पहला मुकदमा दर्ज हुआ था।

Update:2023-03-27 01:41 IST
Atique Ahmed (Photo-Social Media)

Atique Ahmed: एक समय था जब राजनीति में हर पार्टियां बाहुबलियों को अपने साथ जोड़ना चाहती थीं। वह जानती थीं कि बाहुबली खुद तो जीत जाएंगे ही और साथ ही कुछ और को भी जीता लेंगे। यूपी में ऐसे ही कई गैंगेस्टर पैदा हुए जिन्होंने वर्षों तक अपना खौफ जमाए रखा और किसी राजा की तरह शासन किया। अपनी दबंगई के दम पर ये गैंगेस्टर बाहुबली का तमगा हासिल किए और उनमें से कई सफेदपोश भी बने। कई तो कई-कई बार विधायक और सांसद रहे। इस समय यूपी ही नहीं देश में एक नाम काफी चर्चा में है। मीडिया में भी वह खुशियों में है। लेकिन समय बदला और जिन माफियाओं की यूपी में कभी तूती बोलती थी आज उनकी बोलती बंद हो गई। हम यहां बात कर रहे हैं। यूपी के उस कुख्यात गैंगेस्टर और माफिया डाॅन अतीक अहमद की। अतीक ने कम उम्र में ही अपराध की दुनिया में कदम रखा और इस काली दुनिया में अपनी एक जगह बना ली। राजू पाल हत्या कांड के अहम गवाह उमेश पाल अपहरण कांड में नामजद अतीक अहमद को यूपी एसटीएफ गुजरात की साबरमती जेल से प्रयागराज ला रही है। आइए यहां जानते हैं अतीक और उसके परिवार के आपराधिक रिकाॅर्ड के बारे में-

अतीक अहमद का जन्म 10 अगस्त 1962 को अब के प्रयागराज और तब के इलाहाबाद स्थित चाकिया नाम के मोहल्ला में हुआ था। उसके पिता फिरोज अहमद तांगा चलाकर परिवार का पालन-पोषण करते थे। अतीक घर के पास में ही स्थित एक स्कूल में पढ़ने लगा। जब वह 10वीं में पहुंचा तो फेल हो गया। इस बीच उसकी इलाके के कई बदमाशों के साथ दोस्ती हो गई। अतीक जल्द ही अमीर बनना चाहता था, उसने लूट, अपहरण और रंगदारी वसूलने जैसी वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया। 1997 में अतीक पर पहला मुकदमा दर्ज हुआ था।

उन दिनों चांद बाबा का खौफ था

उस समय इलाहाबाद के पुराने शहर में चांद बाबा का बेहद खौफ हुआ करता था। चांद बाबा इलाहाबाद का बड़ा गुंडा माना जाता था। आम जनता, पुलिस और राजनेता हर कोई उससे परेशान था। अतीक अहमद ने इसका फायदा उठाते हुए पुलिस और नेताओं से सांठगांठ की और कुछ ही सालों में वह चांद बाबा से भी बड़ा बदमाश बन बैठा। जिस पुलिस ने अतीक अहमद को शह दे रखी थी, अब वही अतीक उसकी आंख की किरकिरी बन गया। अब उसे इन सबसे बचने का सबसे आसान तरीका राजनीति का लगा और फिर अतीक ने 1989 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर इलाहाबाद पश्चिमी सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत गया। इसके बाद से अतीक ने प्रयागराज में अपनी धमकी जमा ली। निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राजनीति की शुरुआत करने के बाद अतीक अहमद समाजवादी पार्टी में शामिल हुआ उसके बाद फिर अपना दल में आ गया। अतीक अहमद पांच बार का विधायक और एक बार फूलपुर से सांसद रहा।

बेटे भी चल दिए बाप की राह-

कहते हैं कि पिता की राह पर ही बच्चे चलते हैं और ऐसा ही हुआ अतीक अहमद के बेटों के साथ। बेटे भी बाप की राह पर चल दिए। अतीक अहमद ने 1996 में शाइस्ता परवीन से निकाह किया। इन दोनों के पांच बेटे- मोहम्मद उमर, मोहम्मद अली और तीन नाबालिग बेटे हैं। अतीक के पांच में से चार बेटों का भी आपराधिक रिकॉर्ड है। दो बेटे- मोहम्मद उमर और मोहम्मद अली जेल में बंद हैं, जबकि, दो बेटे- मोहम्मद अहजम और मोहम्मद आबान के बारे में पता नहीं चल पाया कि वे अभी कहां हैं। इसको लेकर भी चर्चा है।

सीबीआई के सामने सरेंडर कर दिया था-

वहीं दो लाख के इनामी मोहम्मद उमर पर रंगदारी का आरोप है। पिछले साल अगस्त में उसने सीबीआई के सामने सरेंडर कर दिया था। वहीं, मोहम्मद अली पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज है। जबकि दो बेटों को उमेश पाल हत्याकांड के मामले में पुलिस ने हिरासत में लिया है। यहां रोचक बात यह है कि पुलिस इससे साफ इनकार कर रही है, लेकिन इनकी मां शाइस्ता परवीन का कहना है कि दोनों को पुलिस अपने साथ लेकर गई थी और तब से ही दोनों का कोई सुराग नहीं है।

बसपा में शामिल हुई अतीक की पत्नी

साल की शुरुआत में ही अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुई है। उनके अलावा बेटे अहजम अहमद ने भी बसपा की सदस्यता ली है। चर्चा थी कि बसपा उन्हें प्रयागराज मेयर पद का प्रत्याशी बना सकती हैं लेकिन उमेश पाल की हत्या के बाद अब ये होता हुआ मुश्किल नजर आ रहा है। बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले शाइस्ता परवीन ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ज्वाइन किया था। खुद ओवैसी ने लखनऊ में उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई थी। इसके बाद उन्हें चुनाव में उम्मीदवार भी बनाया गया लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था।

भाई अशरफ भी कम नहीं

2004 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर से सपा के टिकट पर अतीक अहमद ने चुनाव लड़ा ओर जीत कर सांसद बन गया। अतीक के लोकसभा में पहुंचने के बाद इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट खाली हो गई। इस सीट पर उप चुनाव हुआ सपा ने अतीक के छोटे भाई अशरफ को टिकट दिया था, लेकिन बसपा ने उसके सामने राजू पाल को खड़ा कर दिया। उस उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी राजू पाल ने अतीक अहमद के भाई अशरफ को हरा दिया था। इस हार को अशरफ ही नहीं बल्कि अतीफ अहमद भी पचा नहीं पाया। उपचुनाव में जीत दर्ज कर पहली बार विधायक बने राजू पाल की कुछ महीने बाद ही 25 जनवरी, 2005 को दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में देवी पाल और संदीप यादव की भी मौत हुई थी। दो अन्य व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुए थे। इस हत्याकांड में सीधे तौर पर सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ का कनेक्शन सामने आया था। फिलहाल अशरफ बरेली जेल में बंद है। अशरफ को भी बरेली जेल से सोमवार को प्रयागराज लाने की बात सामने आ रही है।

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