औरैया: भ्रष्टाचारियों को प्रशासन का डर नहीं, धान खरीद में सरकारी दावे फेल
धान खरीद को लेकर कई किसानों ने तरह-तरह की शिकायतें अधिकारियों को सौंपीं है। जिसमें कई किसानों की समस्याओं का समाधान हुआ, जबकि कई किसान आज भी अपनी समस्याओं को लेकर चक्कर काट रहे हैं।
औरैया: धान खरीद को लेकर कई किसानों ने तरह-तरह की शिकायतें अधिकारियों को सौंपीं है। जिसमें कई किसानों की समस्याओं का समाधान हुआ, जबकि कई किसान आज भी अपनी समस्याओं को लेकर चक्कर काट रहे हैं। वहीं विभागीय अधिकारी किसानों की समस्याओं को अनदेखा करते हुए शासन के आदेशों को धता बता रहे हैं। इससे पूर्व भी न्यूज़ ट्रैक की टीम इस मामले को उठा चुकी है।
घुटने टेक रहे सरकार के आदेश
शासन द्वारा किसानों के लिए विभिन्न लाभकारी योजनाओं के साथ-साथ धान खरीद केंद्र में भी पारदर्शिता से खरीद किए जाने को लेकर आदेश जारी किए गए थे लेकिन सरकार के आदेश भी भ्रष्टाचारियों के आगे घुटने टेक रहे हैं। जिले में दर्जनों किसान ऐसे हैं जिनके धान की बिक्री का भुगतान अभी तक नहीं हो सका है। जिससे उन्हें बार-बार अधिकारियों के चक्कर काटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जबकि केंद्र संचालक उच्चाधिकारियों को जिम्मेदार ठहराकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। यही नहीं औरैया मण्डी समिति में संचालित एक धान क्रय केंद्र पर कई रजिस्ट्रेशनों पर बेची गए धान का सत्यापन भी हवा में हो गया।
जमीन मालिक को मामले की भनक नहीं
जबकि रजिस्ट्रेशन में दर्ज जमीन मालिक को मामले की भनक भी नहीं लग सकी। जबकि रजिस्ट्रेशन में दर्ज बटाईदार और जमीन मालिका दूर-दूर तक कोई वास्ता भी नहीं है। जब जमीन मालिक से मामले को लेकर जानकारी की गई जिस पर जमीन मालिक ने बताया कि उनकी जमीन पर रजिस्ट्रेशन किसने कराया इसका उन्हें कोई पता नहीं है। साथ ही कई जमीन मालिकों ने यह भी बताया कि उनके खेत में धान बोए ही नहीं गए और न ही उनका कोई बटाईदार है। जब उक्त मामले की जानकारी संबंधित लेखपालों से की गई तो लेखपालों ने भी मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया। वहीं तहसील में तैनात एक कंप्यूटर ऑपरेटर से जब मामले की जानकारी चाही तो उसने यहां तक भी बता दिया कि 90 कुंतल से नीचे धान विक्रय करने के लिए ऑटोमेटिक सत्यापन हो जाता है।
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रजिस्ट्रेशन में दर्ज होता किसका पता ?
कुछ रजिस्ट्रेशनों में बटाईदारों द्वारा रजिस्ट्रेशन कराया गया लेकिन पता भूमि मालिक का दर्ज किया गया। वहीं कुछ रजिस्ट्रेशनों में बटाईदार का ही पता दर्ज किया गया। आखिर रजिस्ट्रेशन में बटाईदार अथवा जमीन मालिक किस का पता दर्ज किया जाता है यह भी संदेह के घेरे में है। उक्त मामलों को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि उक्त धान क्रय केंद्र पर बड़ी मात्रा में घपला किया गया है। फिर भी स्थानीय प्रशासन इस घपले को उजागर करने में क्यों पीछे हट रहा है ?
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क्या कहते उपजिलाधिकारी
उक्त मामले को लेकर जब उपजिलाधिकारी रमेश चन्द्र यादव से जानकारी चाही तो उन्होंने बताया कि मामले की जानकारी व्हाट्सएप ग्रुपों के माध्यम से हुई थी। लेकिन किसी ने कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराए। साक्ष्य मिलने पर मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कोई भी दोषी बख्सा नहीं जाएगा।
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रिपोर्ट- प्रवेश चतुर्वेदी