औरैया के किसान बोले- हमें आंदोलन से नहीं मेहनत से ही रोटी मिलेगी

पहले वह अपने गेहूं की फसल बोने की चिंता कर रहे हैं और कैसे उनके बच्चों की स्कूल की फीस जमा होगी वह इस पर विचार कर रहे हैं, किसान बिल तो उनके लिए बाद की बात है।

Update: 2020-12-12 13:59 GMT
15 दिसंबर का उन्हें टोकन मिला है, धान सरकारी क्रय केंद्र पर बिकने के बाद वह गेहूं की फसल बोएंगे और मेहनत की दम पर बेहतर फसल करेंगे। हमें आंदोलन से कोई मतलब नहीं है, हम अपना काम मेहनत के साथ करेंगे।

औरैया वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर कुछ अन्नदाताओं ने नए रूप में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि उन्हें तो सिर्फ मेहनत करने पर ही रोटी मिलेगी जो लोग आंदोलन व धरना प्रदर्शन कर रहे हैं वह सिर्फ नेतागिरी के दम पर अपनी राजनीति चमका रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार ने जो भी नियम लागू किए हैं उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। पहले वह अपने गेहूं की फसल बोने की चिंता कर रहे हैं और कैसे उनके बच्चों की स्कूल की फीस जमा होगी वह इस पर विचार कर रहे हैं, किसान बिल तो उनके लिए बाद की बात है।

कृषि बिल संशोधित किए जाने की मांग

एक ओर विपक्षी पार्टियां व किसान नेता कृषि बिल संशोधित किए जाने की मांग कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर किसान अपनी उपज को बेहतर पैदा करने के लिए परिवार समेत खेतों पर मेहनत कर रहे हैं। आनेपुर गांव में जब न्यूज ट्रेक की टीम गई तो खेत पर काम कर रहे किसान बोले कि आंदोलन तो कार में चलन वाले किसान कर रहे, उन्हें मेहनत से ही दो रोटी नसीब होगी। बड़े काश्तकारों को तो कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। हम लोग दिन-रात मेहनत करके अपनी फसल उगाते हैं।

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फसल की चिंता सता

 

कृषि कानूनों के विरोध में लगातार आंदोलन जारी है, पर मेहनतकश किसानों को अपने घर-परिवार व आगे की फसल की चिंता सता रही है। वह अपने परिवार समेत खेतों पर काम कर रहे हैं। शनिवार दोपहर 12 बजे आनेपुर निवासी ज्ञान सिंह अपने खेत पर तिरपाल से ढका रखा धान छानते मिले। उनकी पत्नी मीरा देवी छन चुके धान को बोरियों में भरती दिखी। ज्ञान सिंह कहते हैं कि हम सबका खुद की मेहनत पर पूरो भरोसा है, अगर हमई लोग प्रदर्शन करन लगे, तो लोगन का पेट भरन में भी मुश्किल होए, याके खातिर हम आंदोलन नाही, मेहनत करहै।

क्रय केंद्र पर बिकने

कहा कि हम लोग बिना पढ़े लिखे हैं तो खेती ही हम सब की कमाई का जरिया है, बच्चों को पढ़ाना और उन्हें परेशानी न हो, इसका भी ध्यान रखना है। यह आंदोलन और प्रदर्शन करवो तो बड़े किसान को काम है। वहीं दो खेत छोड़कर काम कर रहे किसान रामकिशोर कहते हैं कि नेतन को तो बस राजनीति करन से मतलब है, उनह किसानन के दुख दर्द से का परी। अगर हमई लोग सड़क पर उतर आए तो घर तो घर को, बच्चन को और देश को का होए।

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इसलिए हम तो सरकार के फैसले से सहमत है, जो सरकार कर है वह ठीक ही होए। 15 दिसंबर का उन्हें टोकन मिला है, धान सरकारी क्रय केंद्र पर बिकने के बाद वह गेहूं की फसल बोएंगे और मेहनत की दम पर बेहतर फसल करेंगे। हमें आंदोलन से कोई मतलब नहीं है, हम अपना काम मेहनत के साथ करेंगे।

 

रिपोर्टर प्रवेश चतुर्वेदी औरैया

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