Ambedkarnagar News: जिला अस्पताल में मरीजों की ऑक्सीजन पर डाका, जनरेटर खरीद में घोटाले की बू

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की किल्लत के चलते कई लोगों की जान चली गई।

Report :  Manish Mishra
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update:2021-08-09 17:30 IST

जिला अस्पताल में स्थापित 115 एलपीएम क्षमता का ऑक्सीजन जनरेटर

Ambedkarnagar News: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में केंद्र व प्रदेश सरकार के सामने जिस कमी के चलते लगातार हो रही मौतों को रोक पाना संभव नहीं हो पा रहा था, वह थी ऑक्सीजन। उस समय ऑक्सीजन की किल्लत ने सरकार के सामने कुछ समय के लिए ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी थी, जिसका त्वरित समाधान हो पाना संभव नहीं हो पा रहा था। हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश को जो सहयोग मिला उससे इस समस्या का काफी हद तक समाधान हो गया, लेकिन इसका समाधान होते होते बड़ी संख्या में लोग असमय ही काल के गाल में समा गए थे। ऐसी ही स्थिति जिला मुख्यालय पर स्थित महात्मा ज्योतिबा फुले संयुक्त जिला चिकित्सालय में भी देखने को मिला।

शासन व प्रशासन की तमाम व्यवस्थाओं के बावजूद यहां भी बड़ी संख्या में लोग ऑक्सीजन की कमी से मौत के मुंह में चले गए। यह सब तब हुआ जब जिला अस्पताल में शासन स्तर से ऑक्सीजन आपूर्ति की बेहतर व्यवस्था करने के लिए धनराशि की उपलब्धता काफी समय पूर्व ही करा दी गई थी, लेकिन विभागीय भ्रष्टाचार ने सरकार की इस मंशा पर पूरी तरह से पानी फेर दिया। कोरोना के संक्रमण काल में ऑक्सीजन की कमी के बाद सामने आई हकीकत पर से जब पर्दा उठने का सिलसिला शुरू हुआ तो ऐसे तथ्य सामने आए जिससे पैरों तले जमीन खिसक गई। अब सवाल यह उठता है कि आखिर जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग भ्रष्टाचार करने वाले ऐसे तत्वों के विरुद्ध कार्यवाही करने से क्यों हिचकिचा रहा है।

बात करते है जिला अस्पताल में 2014-15 में तत्कालीन सीएमएस डॉ. आरके पटेल के कार्यकाल में लगे ऑक्सीजन जनरेटर की। प्रदेश सरकार ने उस दौरान जिला अस्पताल को लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपए का बजट उपलब्ध कराया था। इसमें लगभग ढाई करोड़ रुपए का जिला अस्पताल के उच्चीकरण के लिए सामान क्रय किया जाना था तथा लगभग एक करोड़ की धनराशि से जिला अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगवाने के साथ ही 100 बेड के लिए ऑक्सीजन पाइप लाइन डाला जाना था। इसमें से पाइप लाइन पर लगभग 20 लाख व ऑक्सीजन प्लांट के लिए लगभग 80 लाख व्यय किया जाना था। सरकार की मंशा थी कि ऑक्सीजन प्लांट से ऑक्सीजन गैस आसानी से मरीजों के पास तक पहुंच सके।


जिला अस्पताल में सौ बेड के लिए ऑक्सीजन पाइप लाइन डाले जाने व ऑक्सीजन जनरेटर लगवाने का काम कानपुर की वी केयर नाम की फर्म को सौंपा गया था। इस कम्पनी ने अस्पताल में 100 बेड तक सेंट्रल ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए पाइप लाइन तो डाल दिया, लेकिन स्थानीय स्तर पर ऑक्सीजन जनरेटर की खरीद में बड़ा खेल कर दिया गया।

नियमानुसार एक बेड पर पांच लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। इस प्रकार 100 बेड के लिए 500 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन उत्पादन करने का प्लांट लगाया जाना था, जिसकी मौजूदा कीमत लगभग 74 से 78 लाख रुपये बताई जाती है। लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों ने 500 एलपीएम क्षमता के ऑक्सीजन प्लांट के स्थान पर लगभग 24 लाख रुपये की कीमत में केवल 115 एलपीएम क्षमता के ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना करा दी। 115 एलपीएम के ऑक्सीजन प्लांट से केवल 23 बेड को ही ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सकती है। यही कारण है कि इस प्लांट को आये दिन खराब ही दिखाया जाता रहा जिससे उसकी वास्तविक क्षमता सामने न आ सके।

हैरत इस बात की है कि जिला अस्पताल में मौजूद अभिलेखों में लगभग 80 लाख रुपये की कीमत के ऑक्सीजन प्लांट की खरीद का उल्लेख तो है पर वह कितने एलपीएम का है, इसे हजम कर लिया गया है। सीएमएस डॉ. ओमप्रकाश भी इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि अभिलेख में प्लांट की क्षमता का उल्लेख नही है। ऐसा क्यों,इस सवाल पर वह कहते हैं कि वह क्या बताएं। उनके कार्यकाल की बात नही है। यदि तत्समय सरकारी धन का सदुपयोग करते हुए सही क्षमता का प्लांट लगवाया गया होता तो जिला अस्पताल में कोरोना संक्रमण के दौरान बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई जा सकती थी। जाहिर है कि 2014 -15 में ऑक्सीजन जनरेटर लगवाने में पचासों लाख रुपए का घोटाला किया गया है। देखना यह है कि सरकार व प्रशासन इन घोटालेबाजो के साथ कैसे पेश आती है।

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