Ambedkarnagar News: ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण अभियान को पलीता लगा रही अधिकारियों की मनमानी
ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण अभियान को सामान्य तौर पर घरौनी का नाम दिया गया है।
Ambedkarnagar News: ग्राम पंचायतों में आबादी की जमीन को लेकर आये दिन हो रहे विवादों को देखते हुए सरकार ने ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण अभियान तो चलाया लेकिन यह अभियान जिम्मेदार लोगों की लापरवाही के कारण नये विवादों का जन्मदाता बनता जा रहा है। ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण अभियान को सामान्य तौर पर घरौनी का नाम दिया गया है। सरकार ने इस अभियान के क्रियान्वयन के लिए जो दिशा निर्देश जारी किया था, वह पूरी तरह से मजाक बनकर रह गया है। अधिकारियों ने जहां अपने कार्यालय से बाहर निकल कर सर्वेक्षण की हकीकत जानने की कोशिश नहीं की वहीं पंचायत राज विभाग ने इस अभियान से खुद को पूरी तरह से किनारे रखा।
राजस्व विभाग द्वारा किये गये इस सर्वेक्षण में जो खामियां सामने आ रही हैं, उसको लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में सिर फुटौव्वल की स्थिति बनती जा रही है। आने वाले दिनों में यह विवाद गम्भीर मोड़ पर भी पंहुच सकते हैं। शिकायतों के बाद भी अधिकारी मौके पर निरीक्षण कर हकीकत जानने का प्रयास नहीं कर रहे। शासनादेश के अनुसार जिन गांवों में ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण अभियान चलाया जाना होता है, उसकी सूची जिलाधिकारी द्वारा जारी की जाती है। इसके उपरान्त एक सप्ताह पूर्व गांव में खुली बैठक कर लोगों को सर्वेक्षण की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दिये जाने का प्राविधान किया गया है।
इस शासनादेश के पैरा संख्या 11 केे सेक्शन एक में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि राजस्व कर्मी अर्थात लेखपाल के साथ-साथ ग्राम पंचायत अधिकारी अथवा ग्राम विकास अधिकारी की टीम गांव का सर्वे करेगी। इस टीम में सम्बन्धित संस्था का कर्मचारी भी शामिल होगा। यह टीम गांव में प्रत्येक व्यक्ति के कब्जे में रहने वाली जमीन का चूने से चिन्हीकरण करेगी। तत्पश्चात यदि इस पर किसी की आपत्ति आती है तो उसका निराकरण करने के बाद ही ड्रोन से उसकी तस्वीर ली जायेगी। इस प्रक्रिया के बावजूद जिले में पूरे अभियान के दौरान हद दर्जे की मनमानी बरती गई। ग्राम पंचायतों में कहीं भी चिन्हीकरण की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। साथ ही ग्राम पंचायत अधिकारियों ने इस प्रक्रिया से खुद को पूरी तरह से अलग रखा।
ऐसे में लेखपालों ने मनमाने ढंग से घरौनी को तैयार कर उसे अपलोड कर दिया। सबसे ज्यादा शिकायतें टाण्डा व अकबरपुर तहसील क्षेत्र में सामने आ रही हैं। नकल मिलने के बाद लोग तहसीलों का चक्कर काटने को मजबूर हैं। अधिकारियों ने कहीं भी भौतिक सर्वेक्षण करने की आवश्यकता नहीं समझी, जो आज विवाद का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। अकबरपुर तहसील से प्राप्त घरौनी की एक नकल से अधिकारियों की लापरवाही साफ देखी जा सकती है। इस नकल पर न तो ग्राम पंचायत अधिकारी के नाम व हस्ताक्षर हैं और न ही नायब तहसीलदार के। इसके बावजूद यह नकल जारी कर दी गई जबकि सर्वे टीम में ग्राम पंचायत अधिकारी की मौजूदगी अनिवार्य की गई है। फिलहाल जिले में अधिकारियों की मनमानी के कारण सरकार का यह महत्वपूर्ण अभियान नये विवादों को जन्म देने वाला साबित हो रहा है।